एसिड अटैक के 22 साल बाद हुई एफआईआर
सितम्बर 2002 में हुई थी एसिड अटैक का शिकार
एत्माद्दौला थाना क्षेत्र की रहने वाली अलीशा(बदला हुआ नाम) अलीगढ़ स्थित अपनी बड़ी बहन के ससुराल गई थीं, बहन का देवर आरिफ उन्हें परेशान करता था। अलीशा ने उसकी शिकायत बहन और जीजा से की। सात सितंबर 2002 को आरिफ ने नाराज होकर अलीशा के ऊपर अचानक तेजाब डाल दिया। अलीशा कुछ समझ नहीं पाई। बहुत तेज जलन व दर्द से वो चीखीं। अलीशा के जीजा ने उन्हें गले से लगाया। लेकिन तब तक किसी कुछ समझ नहीं आया। बाद में पता चला कि अलीशा के चेहरे के साथ उसका जीवन भी खराब हो गया है। पारिवारिक दवाब के कारण अलीशा उस वक्त कोई पुलिस कार्रवाई नहीं करा पाईं। लेकिन 20 साल तक अलीशा उस दर्द को हर पल महसूस कर रहीं थीं। रविवार को अलीशा की एफआईआर दर्ज हुई। तब जाकर उन्हें उस दर्द से राहत मिली।
जॉब करके बच्चे को पढ़ा रहीं
अलीशा ने बताया कि घटना के वक्त वह 14 साल की थीं। इसके बाद 2010 में उनकी शादी हुई। 2016 में पति तीन साल का बच्चा छोड़कर चला गया। अलीशा ने बताया कि एसिड अटैक के बाद दस माह तक वह इलाज के लिए परेशान रहीं। उनके भाई ने अपने करीबियों से पैसे मांगकर उनका उपचार कराया। 2016 से अलीशा शीरोज हैैंगआउट कैफे में नौकरी कर रही हैैं और अपने बच्चे पढ़ा लिखा रही हैैं और परिवार का भरण-पोषण कर रही हैैं।
कमिश्नर के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर
बता दें कुछ दिन पहले एडीजी राजीव कृष्ण ताजगंज क्षेत्र में स्थित शीरोज हैंग आउट कैफे में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। यहां पर सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा संस्था की मदद से पीडि़त महिलाओं ने एडीजी से शिकायत की थी। एडीजी ने उन्हें मदद का भरोसा दिलाया था। उनके निर्देश पर 7 जनवरी को पीडि़त महिलाएं पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह से मिलीं। पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर थाना एत्माद्दौला व थाना ताजगंज में दोनों महिलाओं का मुकदमा दर्ज किया गया। थाना प्रभारी एत्माद्दौला और थाना प्रभारी ताजगंज का कहना है कि एसिड अटैक की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामला कई साल पुराना है। विवेचना कर कार्रवाई की जाएगी।
एसिड अटैक पीडि़ताओं ने शनिवार को मिलकर अपनी आपबीती बताई। उनकी शिकायत को सुनकर एफआईआर दर्ज करा दी है.
- डॉ। प्रीतिंदर सिंह, कमिश्नर आगरा