आगरा. ब्यूरो हथिनी चंचल से उसका महावत सड़कों पर भीख मंगवाता था. दिनभर वो कंक्रीट की सड़कों पर पैदल चलती थी. इसके चलते उसके पैरों के पैड खराब हो गए थे. एक दिन उसका रोड पर ट्रक से एक्सीडेंट हो गया. उसको कई चोटें आईं. बाद में वन विभाग ने चंचल को महावत से छुड़ाया और सीज करके आगरा मथुरा रोड स्थित चुरमुरा में बने एलीफेंट कंजरवेशन एंड केयर सेंटर भेज दिया. यहां पर उसका उपचार किया गया. इसी तरह से मेल हाथी सूरज को उसके मालिक ने ट्रेनिंग देने के लिए उसके कान पर इतनी बार नुकीली रोड से वार किया कि अब उसका कान ही कट गया है. चंचल और सूरज जैसे 32 हाथी गुलामी के जीवन से आजाद होकर फिलहाल वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा संचालित एलीफेंट कंजरवेशन एंड केयर सेंटर में आजाद रिटायरमेंट बिता रहे हैैं.

वन्य जीवन देने का प्रयास
वाइल्डलाइफ एसओएस कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स के डायरेक्टर बैजूराज एमवी बताते हैैं कि एलीफेंट कंजरवेशन एंड केयर सेंटर में हाथियों को वन्य जीवन देने का प्रयास किया जाता है। यह हाथी अब जंगल में भी नहीं छोड़े जा सकते हैैं क्योंकि अब इनकी हालत जंगल जैसी नहीं है। इसलिए इन्हें यहां पर ऑब्जर्वेेशन में जंगल जैसी लाइफ दी जा रही है।

देश का पहला हाथी अस्पताल
बैजूराज एमवी ने बताया कि एलीफेंट कंजरवेशन एंड केयर सेंटर की शुरूआत 2010 में हुई थी। इसके बाद में 2018 में हाथी संरक्षण सेंटर के समीप ही 12 हजार स्क्वायर फीट एरिया में हमने हाथियों के लिए देश का पहला अस्पताल शुरू किया। इस अस्पताल में हाथियों का इलाज अत्याधुनिक तरीके से किया जाता है। अस्पताल में पोर्टेबल डिजिटल एक्सरे मशीन, डेंटल एक्सरे मशीन, अल्ट्रासोनोग्राफी, हाइड्रोथेरेपी, लेजर ट्रीटमेंट आदि सुविधाएं उपलब्ध है। इसके साथ ही अन्य जांचों के लिए अस्पताल में एक पैथॉलजी लैब भी है। उन्होंने बताया कि हाथियों को सबसे ज्यादा पैरों में दिक्कत होती है। यहां पर आने वाले हाथियों का सबसे पहले वजन लिया जाता है। इसके बाद में उन्हें एक विशेष रैक में भेजा जाता है। जिसका फर्श रबर का बना है। जिस पर हाथी को चलने में दिक्कत न हो। यदि हाथी को खड़े होने में दिक्कत होती है तो उसे रैक में लगी क्रेन की सहायता से सपोर्ट देकर खड़ा किया जाता है और वॉक कराया जाता है। यहां पर हाथियों का विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा उपचार किया जाता है। उपचार के बाद में उन्हें कंजरवेशन एंड केयर सेंटर भेज दिया जाता है।

हाथियों के लिए एंबुलेंस की भी सुविधा
वाइल्डलाइफ एसओएस के श्रेष्ठ पचौरी बताते हैैं कि यहां पर हाथियों के लिए एंबुलेंस की भी सुविधा है। इस एंबुलेंस में अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध है। एंबुलेंस में देश के विभिन्न भागों से हाथियों को हाथी अस्पताल तक लाया जाता है। इस एंबुलेंस में हाथी के शावर लेने की भी सुविधा है। इसके साथ ही इसमें क्रेन भी लगी हुई है। जरूरत पडऩे पर इन तकनीकों का उपयोग भी किया जाता है।

हाथियों के लिए विशेष डाइट
श्रेष्ठ ने बताया कि एलीफेंट कंजरवेशन एंड केयर सेंटर फिलहाल 32 हाथी हैैं। इन सभी को उनकी हेल्थ के हिसाब से अलग-अलग डाइट दी जाती है। श्रेष्ठ ने बताया कि सेंटर में सबसे उम्रदराज हथिनी सूजी है। जिसकी उम्र 72 वर्ष है। उसे सर्कस से रेस्क्यू किया गया था। उसे सर्कस में इतनी यातनाएं दी गईं कि उसकी दोनों आंखे चली गईं। वह दोनों आंखों से देख नहीं सकती है। इसके साथ ही उसके खाना खाने के दांत भी नहीं है। वह खाना नहीं खा सकती। इस कारण उसे फलों का जूस बनाकर दिया जाता है। इसी तरह से सभी हाथियों के लिए अलग-अलग तरह की डाइट दी जाती है।

हाथियों के लिए स्वीमिंग पूल भी
एलीफेंट एंड कंजरवेशन सेंटर में हाथियों के लिए आधुनिक सुविधाएं हैैं। उनके अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैैं। मेल और फीमेल हाथियों को अलग-अलग रखा जाता है। यहां पर सुबह हाथियों को दो घंटे की सैर और शाम को वॉक के लिए ले जाया जाता है। सेंटर में हाथियों के लिए स्वीमिंग पूल भी है। इसमें वह गर्मी के दिनों में खूब मस्ती करते हैैं।

हाथी अस्पताल में यह सुविधा
- पोर्टेबल डिजिटल एक्सरे मशीन
- डेंटल एक्सरे मशीन
- अल्ट्रासोनोग्राफी
- हाइड्रोथेरेपी
- लेजर ट्रीटमेंट
- हाथियों की एंबुलेंस
- पैथोलॉजी लैब


वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत हाथियों को पालना या अपने पास रखना गैर कानूनी है। हाथी अस्पताल में वन विभाग द्वारा सीज किए गए हाथियों को लाया जाता है। यहां पर उनका उपचार किया जाता है। इसके बाद कंजरवेशन एंड केयर सेंटर में उनकी देखभाल की जाती है।
- बैजूराज एमवी, डायरेक्टर, कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस

Posted By: Inextlive