आर्थिकमंदी से श्रीलंका में शिक्षा प्रभावित, भारत में भी असर.....
आगरा। श्रीलंका के 21 स्टूडेंट्स ने इस बार केन्द्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढऩे के लिए सर्वाधिक 2022-23 स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन आवेदन किया है। जबकि अन्य देशों के स्टूडेंट्स की संख्या पांच दस के बीच मेेंं हैं। संस्थान के जन संपर्क अधिकारी डॉ। केसरी नंदन ने बताया कि श्रीलंका वर्तमान में आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस समस्या के चलते भारत आना छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती है। अभी तक श्री लंका के एक भी छात्र ने एडमिशन कंफॉर्म नहीं किया है। उनके पास जुलाई तक का समय है।
श्रीलंका एंबेसी से करेंगे संपर्क
स्टूडेंट्स के भविष्य को ध्यान में रखते हुए श्रीलंका एंबेसी से संपर्क किया जाएगा। जिन स्टूडेंट््स ने केन्द्रीय हिंंदी संस्थान में हिंदी के लिए आवेदन किया है, उनसे भी जानकारी जुटाई जाएगी कि आखिर क्या कारण है कि वह एडमीशन कंफॉर्म होने के बाद रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में डायरेक्टर वीना शर्मा द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
दो साल केएचएस में चली ऑनलाइन क्लास
कोविड टाइम में पिछले दो वर्ष से केन्द्रीय हिंदी संस्थान में विदेशी छात्र-छात्राओं के लिए हिंदी की क्लास ऑनलाइन ही चल रही थी, सत्र 2021 और 22 में एडमिशन के लिए 70 एडमिशन कंफर्म किए थे, लेकिन 25 स्टूडेंट्स ही ऑनलाइन क्लास में शामिल हो सके थे। नए सत्र में 2023 में हिंदी पढऩे वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसमें 16 देशों के 82 स्टूडेंट्स ने हिंदी पढऩे अपनी रूचि दिखाई है। जिसमें सबसे अधिक श्री लंका के छात्रों की संख्या 21 है।
-श्रीलंका
-ताजिकिस्तान
-साउथ कोरिया
-मंगोलिया
-रोमानिया
-थाईलेंड
-चीन
-रुस यहां स्टूडेंट्स को मिलती है हर सुविधा
डॉ। केसरी नंदन ने बताया कि केन्द्रीय हिंदी संस्थान में एडमिशन लेने वाले विदेशी स्टूडेंट्स को यहां स्कॉलरशिप दी जाती है। उनको हर महीने छह हजार रुपए खर्चे के लिए दिए जाते हैं। इतना ही नहीं आने और जाने का खर्च भी भारत सरकार उठाती है। वहीं संस्थान के हॉस्टल में फ्री लॉजिंग और फूडिंग की भी व्यवस्था है। बुक्स के लिए अलग से पैसे दिए जाते हैं।
- डॉ। केसरी नंदन, जन संपर्क अधिकारी केएचएस
स्टूडेंट्स का नहीं आना टू वे लॉस, इंटरनेट ट्रेड पर असर
भारत में स्ट्डी के लिए आने वाले स्टूडेंट्स को इंर्पोट माना जाता है, पहले से ही कोविड के कारण एजूकेशन सिस्टम में समस्या बनी है। वहीं संस्थान में जो विदेशी स्टूडेंट्स की सीटें हैं वो खाली रह जाएंगी, क्योंकि उन सीटों को देशी स्टूडेंट्स को नहीं दिया जा सकता है। स्टूडेंट्स का आना एक्सपोर्ट प्रमोशन की तरह देखा जाता है। इंटरनेशन टे्रड पर इसका बड़ा असर पढऩे वाला है। माइक्रोलेवल, फोरन रिजर्व और इम्पोर्ट कैपेसिटी कम होने लगेगी। इसका अलग-अलग असर देखने को मिलेंगे।
डॉ। सौम्या नागर, अर्थशास्त्री, आरबीएस कॉलेज