मत बनो सुपरहीरो: पीयर प्रेशर में आकर बच्चे भटक रहे
आगरा(ब्यूरो)। छोटी उम्र में तो बच्चा अपने पैरेंट्स तक ही सीमित होता है, लेकिन जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती है, वह अपनी उम्र के लोगों के नजदीक जाता है और दोस्त बनाने शुरू करता है और कहीं न कहीं पीयर प्रेशर को महसूस करता है। साइक्लॉजिस्ट डॉ। अंशु चौहान ने बताया कि बच्चे अब मोबाइल और सोशल मीडिया को देखकर भी सीखते हैैं। ऐसे में उनके पास उनकी एज के हिसाब से अधिक कंटेंट उन तक पहुंच रहा है। इस कारण कई ऐसे केस सामने आ रहे हैैं कि बच्चे अब नॉर्मल बिहेव नहीं कर रहे हैैं। वह वर्चुअल वल्र्ड की तरह व्यवहार करने लगे हैैं। कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों में इमोशंस की भी कमी देखने को मिलती है।
केस-1
आठवीं क्लास का राहुल (बदला हुआ नाम) ने अपने पैरेंट्स से अचानक स्पाइडरमैन का बैग लेने की डिमांड की। पैरेंट्स ने कहा कि अभी पिछले महीने ही तो नया स्कूल बैग दिलाया था। इस पर राहुल नाराज हो गया और पैरेंट्स से बोलना बंद कर दिया। जब मां ने उससे पूछा तब उसने बताया कि उसके सभी दोस्तों के पास में स्पाइडरमैन का बैग है। उसके सभी दोस्त उसे चिढ़ाते हैैं कि तुम्हारे पास स्पाइडरमैन का बैग नहीं है।
केस-2
राजू (बदला हुआ नाम) फॉर्थ क्लास में पढ़ता है। कुछ दिनों से वह सुस्त रहने लगा। बच्चे की मां ने पूछा क्या बात है लेकिन वह कोई जवाब नहीं देता था। ज्यादा परेशानी हुई तो बच्चे को काउंसलर को दिखाया। काउंसलर से बात हुई तो पता चला कि राजू का कोई क्लास में दोस्त नहीं बन रहा है। क्योंकि उसके सारे दोस्त बीटीएस आर्मी हैैं लेकिन राजू बीटीएस आर्मी नहीं है। इससे राहुल खुद को अन्य दोस्तों से कमजोर समझने लगा और सुस्त हो गया।
अच्छा या बुरा हो सकता है प्रभाव
डॉ। अंशु बताती हैैं कि पीयर प्रेशर की वजह से या तो बच्चा कुछ अच्छा सीख सकता है या फिर गलत चीजों का शिकार हो सकता है। ज्यादातर मामलों में बच्चों पर दोस्तों का गलत प्रभाव पड़ता है। लेकिन पैरेंट्स को इसके लिए बच्चों की ओर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। डॉ। अंशु ने कहा कि जब बच्चा घर से बाहर जाता है तो उसे कई तरह के लोग मिलते हैैं। वह काफी कुछ नया देखता और सीखता है ऐसे में पीयर प्रेशर को महसूस करना स्वाभाविक है लेकिन आपका बच्चा इससे कैसे निपटता है यह महत्वपूर्ण है। पेरेंट्स होने के नाते आप उन्हें सिखाएं कि सच्ची दोस्ती आपको कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं करती। दोस्ती में किसी का डर नहीं होना चाहिए।
डॉ। अंशु ने बताया कि बच्चों को पीयर प्रेशर हैंडल करने में मदद करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें दोस्ती का मतलब सिखाएं। उसे समझाएं कि अगर उस पर दोस्त द्वारा कुछ भी गलत करने का दबाव डाला जा रहा है या ग्रुप से बाहर निकालने के लिए कहा जा रहा है, तो वह उसका दोस्त नहीं हो सकता। कई उदाहरण देकर आप उन्हें यह बात बड़ी आसानी से समझा सकते हैं। सही और गलत के बारे में बताएं
डॉ। अंशु ने बताया कि बच्चे जब बाहर जाते हैं, तब यह उनका फैसला है कि वह किसे अपना दोस्त बनाएं और किसे नहीं लेकिन आप उन्हें सही दोस्त चुनना सिखा सकते हैं। उन्हें बताएं कि हमेशा ऐसे दोस्त बनाओ जो आपको प्रेरित करे और मुश्किल वक्त में हमेशा आपके साथ खड़ा हो। अपने बुरे अनुभवों को उनके साथ साझा करने से डरे नहीं। यह उनके लिए अच्छा सबक हो सकता है। इसे उन्हें सच्चे और अच्छे दोस्त चुनने में बहुत मदद मिलेगी।
पहले खुद बनें बच्चे के दोस्त
डॉ। अंशु ने बताया कि बच्चे में पीयर प्रेशर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसके दोस्त बन जाएं। कई बार पेरेंट्स इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उनके पास अपने बच्चे के पास बैठने तक की फुर्सत नहीं होती। ऐसे में बच्चे को दोस्तों की जरूरत महसूस होती है। इस अकेलेपन को दूर करने के लिए वह किसी से भी दोस्ती करने को रेडी हो जाते हैं। बाद में यही दोस्त उसे नेगेटिविटी की तरफ ले जाते हैं। इन सभी स्थितियों से बच्चे को बचाने के लिए आपको उसका बेस्ट फ्र ंड बनना होगा। इससे वह अपने मन की हर बात आपके साथ शेयर कर सकेगा।
बच्चे को ऑर्डर न दें, सलाह दें
बच्चे को बार-बार यह न बताएं कि उन्हें यह करना चाहिए या वह करना चाहिए। किसी भी उम्र में बच्चों के लिए दोस्ती बहुत अहम होती है, खासकर तब बच्चे यंग हों। ऐसे बच्चे पेरेंट्स की कम और दोस्तों की ज्यादा सुनना पसंद करते हैं। पेरेंट्स होने के नाते आपको अपने बच्चे की संगत की फिक्र हो सकती है, लेकिन हर वक्त उसे बताना कि उसे क्या करना है क्या नहीं, गलत है। इससे बच्चा आपसे दूर होता जाएगा और गलत हों या सही, उसे दोस्तों का साथ पसंद आने लगेगा।
बच्चों में ऐसी समस्या देखने में आ रही है कि वह अपने ही दोस्तों से किसी विशेष चीज के कारण दुव्र्यवहार करते हैैं। उनसे किनारा करने लगते हैैं। ऐसे में बच्चे पर मानसिक प्रभाव पड़ता है, वह खुद को अकेला समझने लगता है।
- डॉ। अंशु चौहान, साइक्लॉजिस्ट