आगरा: घटनास्थल से 200 मीटर दूर दीप्ति के ताऊ हरिकांत खेत में काम कर रहे थे. दुर्घटना की खबर मिली तो भागकर पहुंचे. तब तक लोग दीप्ति अरङ्क्षवद और गुंजन को ऑटो में डालकर ले जा चुके थे. चाचा ने खून से लथपथ दीप्ति को रास्ते में ऑटो से उतारकर कार में डाला. अस्पताल की ओर दौड़ पड़े. कार का पहिया दीप्ति पर से निकल गया था. ताऊ की गोद में सिर रखे खून से लथपथ होने के बाद भी दीप्ति की जुबां पर एक ही बात थी ताऊ भाई-बहन कैसे हैं. बेतहाशा दर्द और खुद मौत से जूझती दीप्ति को भाई-बहनों की ङ्क्षचता थी. अस्पताल में वेंटीलेटर पर जाने से पहले उसकी आंखें ताऊ हरिकांत से यही सवाल कर रही थीं.

इंजीनियर बनना चाहती थी दीप्ति
हरिकांत ने बताया कि दोनों परिवारों में स्कूल जाने वाले बच्चों में दीप्ति सबसे बड़ी थी। वह पढने में भी तेज थी। छोटे-भाई बहनों की पढाई में मदद करती थी। वह इंजीनियर बनना चाहती थी। घर से स्कूल के लिए निकलते ही वह बच्चों की अभिभावक बन जाती थी। एक मां की तरह बच्चों का ध्यान रखती थी। इसीलिए कार द्वारा रौंदने के बाद भी अंतिम सांस तक उसे छोटे भाई-बहनों की फिक्र थी।

तीन दिन बाद था जन्मदिन
दीप्ति का तीन दिन बाद ही 14 मई को जन्मदिन था। पिता रूपेश ने उसे कपड़े दिलाने का वादा किया था। छोटे भाई बहनों को घर पर ही वह पार्टी देने के तैयारी कर रही थी।

भाई-बहनों की पसंद का तैयार किया था टिफिन
मां ममता ने दीप्ति और अरङ्क्षवद की पसंद का हलवा बनाकर दिया था। वहीं गुंजन और प्रीति अपनी पसंद का राजमा चावल बनाकर टिफिन में स्कूल ले गई थीं।


घर पहुंचते ही आ गई दुर्घटना की खबर
परमहंस के तीन बच्चे हैं। पुत्रियों प्रज्ञा और लावण्या के अलावा तीन वर्ष का बेटा गोलू है। परमहंस ने बताया कि दीप्ति समेत चारों बच्चे पहले निकले गए थे। जिसके चलते वह दोनों बेटियों को बाइक से छोड़कर आए थे। घर में कुछ काम था, इसलिए वहां नहीं रुके। घर में कदम रखते ही दुर्घटना की सूचना मिली। मौके पर पहुंचे तो खून से लथपथ बच्चों को देख होश उड़ गए।


पलक झपकते उजड़ गए हंसते-खेलते दो परिवार
बच्चों का घर घटनास्थल से 200 दूर हैं, गांव की ओर कदम जैसे जैसे बढते हैं। दोनों परिवार की महिलाओं के करुण क्रंदन की आवाज तेज होती जाती है। दीप्ति और अरङ्क्षवद की मां ममता का बुरा हाल है सुबह हंसते-खेलते चारों बच्चों घर से निकले थे। कुछ ही पल बाद बेटी और बेटा हमेशा के लिए छोड़ गए। बेटी गुंजन की हालत भी सिर में चोट लगने से गंभीर है। एक दूसरे के सुखदुख में खड़ी होने वाले दोनों परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा था। प्रज्ञा की मां प्रीती को चुप कराने की कोशिश करती महिलाएं खुद के आंसू नहीं रोक पा रहीं। प्रीति कभी प्रज्ञा तो कभी लावण्या का हाल जानने को बेचैन हो जाती हैं। उन्हें काफी प्रज्ञा की मृतयु की जानकारी नहीं दी थी। वहीं, दीप्ति घर के काम में मां का हाथ बंटाने लगी थी। छोटी बहन गुंजन के साथ मिलकर अधिकांश काम कर लेती थी। एक साथ चार बच्चों का हादसे का शिकार होने और दो को खोने से मां का हाल बेहाल था।


-हादसे के बाद ²श्य देख कांप उठे

थे प्रत्यक्षदर्शी दुकानदार महिपाल

-बच्चों को राहगीरों की मदद से उठाया,चालक को पकड़ा


महिपाल ने बताया कि दुर्घटना के बाद सबसे पहले बच्चों को उठाया। इस दौरान बच्चों के परिजन भी वहां आ गए। दो ऑटो से बच्चों को अस्पताल भेजा था। चालक आकाश को महिपाल ने ही पकड़ा था।

साले के यहां शादी में मित्र की कार लेकर आया था आकाश
प्रतापपुरा बाह निवासी आकाश शर्मा की ससुराल अरनौटा में है। उसके साले की बेटे की बुधवार को शादी थी। बरात राजपुर चुंगी आई थी। जिस कार से दुर्घटना हुई, वह सुल्तानपुर दिल्ली निवासी मित्र शुभम की है। शादी में देर रात तक शराब पार्टी चली थी। गुरुवार की सुबह वह पत्नी और साली को छोडऩे अरनौटा आया था। वापस शमसाबाद मार्ग तक पहुंच गया था। रास्ते में पत्नी का फोन आया कि दूल्हे के कपडे घर पर रह गए हैं। उन्हें लेते जाओ। वह दोबारा ससुराल आया। राजपुर चुंगी जा रहा था। रास्ते में उसकी झपकी लग गई। आंख खुली तो सामने स्कूली बच्चे थे। कार 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर थी। आकाश ने पुलिस को बताया कि उसने कुछ समझ में नहीं आया तो हैंडब्रेक खींच दिए। कार ने बच्चों को उड़ा दिया। सामने एक बोर्ड से टकरा गई।


आगरा: कार हादसे में एक सिपाही का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गया। वह कार में रखे रुपए को निकालकर जेब में ठूंस रहा था। ग्रामीण भड़क गए। उन्होंने सिपाही के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। ग्रामीणों का कहना था कि पुलिस कार से भागे तीन अन्य लोगों को नहीं पकड़ सकी। मगर, वो रुपये लेकर जेब में जरूर रख रही है। यह कैसी पुलिस है? आरोप लगाया कि थाना प्रभारी डौकी ने सड़क पर मुआवजे की मांग करते लोगों को जेल भेजने का भय दिखाया। उनको हटाया जाए। अंतिम संस्कार से पहले डीसीपी सोमेंद्र मीणा को इस बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि सिपाही ने छह हजार रुपये थाने में जमा कराए हैं। अगर, ज्यादा धनराशि होगी तो सिपाही के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। तीन दिन के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया।

कार से भागे लोगों को नहीं पकड़ा
ग्रामीणों का यह भी कहना था कि पुलिस ने कार से भागे तीन अन्य लोगों को पकडऩे का प्रयास नहीं किया। पुलिस कहती रही कि चालक अकेला था, जबकि तीन लोगों को भागते हुए देखा गया था। डीसीपी पूर्वी जोन का कहना था कि अगर अन्य लोग सवार थे तो उन्हें पहचान कर पकड़ा जाएगा। इसके बाद ग्रामीण शांत हुए। मुकदमे में भी तीन अज्ञात लोगों के कार में सवार होने का जिक्र किया है।


दो बार हुए कार के चालान, नहीं जमा किया जुर्माना

आकाश अपने दोस्त दिल्ली निवासी शुभम ङ्क्षसह की कार मांगकर ले गया था। उसने यह गाजियाबाद से ही खरीदी थी। कार का दो अप्रैल को पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर नोएडा में चालान हुआ था। आठ अप्रैल को पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर ही गाजियाबाद में भी चालान हो चुका है। दोनों चालान का शमन शुल्क अभी तक जमा नहीं किया गया है।

आठ यूनिट रक्त चढऩे के बाद भी न बच सकी दीप्ति

दीप्ति की हालत गंभीर थी। उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। चिकित्सक ने उसे रक्त की आवश्यकता बताई। ऐसे में उनके परिजनों ने सोशल मीडिया पर ए पाजिटिव रक्त की आवश्यकता की अपील की। सोशल मीडिया पर अपील के बाद बड़ी संख्या में लोग जीआर हास्पिटल पहुंच गए। विभव नगर निवासी युवराज परिहार और उनकी पत्नी अनीता ङ्क्षसह ने दो यूनिट रक्तदान किया। कुछ अन्य लोगों ने भी रक्तदान किया। आठ यूनिट रक्त चढऩे के बाद भी दीप्ति की जान नहीं बच सकी।
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गुंजन की हालत गंभीर, नमन और लावण्या में सुधार
प्रधानाचार्य पीसी शर्मा ने बताया कि वह अस्पताल में भर्ती बच्चों का हाल जानने गए थे। गुंजन की हालत गंभीर है। उसे होश नहीं आ सका है। उसके शरीर में कई जगह पर चोट लगी है, जबकि नमन और लावण्या के हाथ और पैर में फ्रैक्चर हुआ है। उनकी हालत में सुधार है।

Posted By: Inextlive