कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम में दर्ज होगा मरीजों का डाटा, होगी स्टडी
एसएन मेडिकल कालेज में आगरा के साथ ही मैनपुरी, फिरोजाबाद, एटा, मथुरा सहित अन्य जिलों से कैंसर के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। यहां मुंह और गले के कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक है। इसके साथ ही स्तन कैंसर, पित्त की थैली के कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, सर्वाइकल कैंसर के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं। कैंसर रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ। सुरभि गुप्ता ने बताया कि नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम में कैंसर के हर मरीज का ब्योरा दर्ज किया जा रहा है। इसमें मरीज का नाम, पता, आधार कार्ड के साथ ही किस अंग में कैंसर है, कितने समय से इलाज करा रहे हैं, इलाज कहां-कहां कराया और कितना सुधार है, यह भी दर्ज किया जा रहा है। वहीं, कैंसर मरीज की मृत्यु की रिपोर्ट भी दर्ज की जाएगी। इससे कैंसर के कारण और किस क्षेत्र में किस तरह का कैंसर अधिक हो रहा है, यह पता चल सकेगा।
----------------
दस परसेंट कैंसर का कारण जेनेटिक
ज्यादातर कैंसर एनवायरमेंटल कारणों से होते हैैं। केवल दस परसेंट कैंसर ही जेनेटिक कारणों से होते हैं। यदि ध्यान रखा जाए तो कैंसर होने का खतरा टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि शुरूआत से ही ध्यान दिया जाए तो ब्रेस्ट कैंसर, मुंह के कैंसर, सवाइकल कैंसर, गॉल ब्लैडर जैसे अन्य कैंसर को रोका जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी टाला जा सकता है। कभी-कभी किशोरावस्था में माहवारी के दौरान भी स्तन में गांठ होने की समस्या हो जाती है। महिलाएं शारीरिक तौर पर एक्टिव रहकर भी ब्रेस्ट से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर का जितना जल्दी पता चल जाए, उतना ही उसके ठीक होने के आसार बढ़ते हैं। महिलाएं पीरियड्स के सातवें दिन सेल्फ एग्जामिनेशन करें। 20 साल की उम्र से हर महीने सेल्फ एग्जामिनेशन और 40 साल बाद सालाना रुटीन चेकअप - मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड आदि करवाएं। पहली स्टेज पर ही पता चल जाए तो मरीज 100 फीसदी ठीक हो जाता है.
गॉल ब्लडर कैंसर से ऐसे बचें
आजकल गॉल ब्लडर में स्टोन के काफी मामले आते हैैं। खासकर गंगा और यमुना बेल्ट में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलते हैैं। कभी-कभी गॉल ब्लडर में स्टोन होने के कारण यह कैंसर में भी बदल जाता है। क्योंकि कुछ लोगों को स्टोन होने पर दर्द होता है। लेकिन कुछ लोगों को कोई लक्षण सामने नहीं आते हैैं। इस सूरत में स्थिति खतरनाक साबित होती है। यह बाद में कैंसर बन जाता है। इसलिए 30 साल के बाद समय-समय पर अपने पेट का अल्ट्रासाउंड कराते रहें तो गॉल ब्लडर के कैंसर से बचा जा सकता है.
लाइफस्टाइल को सुधारें
यदि लाइफस्टाइल और खाने-पीने को सही रखा जाए तो कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। स्मोकिंग न की जाए, शराब के सेवन से बचा जाए। खाने-पीने को समय से खाया जाए तो कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही ज्यादा समय तक खांसी होने या सीने में दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लें। समय-समय पर एक्स-रे भी कराएं.
------------------
ऐसे बच सकते हैैं कैंसर से
-एचपीवी लगवाने से सर्वाइकल कैंसर से बचा सकता है.
-पीरियड्स के सातवें दिन सेल्फ एग्जामिनेशन करने ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है.
-40 साल की उम्र के बाद सालाना रुटीन चेकअप
- मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड आदि करवाएं।
- गॉल ब्लडर में स्टोन होने की जांच कराएं
- लाइफस्टाइल को ठीक करें, शराब, तंबाकू का सेवन न करें.
-----------
10 परसेंट हर साल बढ़ रहे कैंसर मरीज
16 लाख के करीब कैंसर मरीज हो सकते हैैं 2025 तक
----
यह ब्यौरा किया जा रहा दर्ज
- मरीज का नाम
- पता
- आधार कार्ड
- किस अंग में कैंसर है
- कितने समय से इलाज करा रहे हैं
- इलाज कहां-कहां कराया
- कितना सुधार है
- कैंसर मरीज की मृत्यु की रिपोर्ट
-----------------------------
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम में कैंसर के हर मरीज का ब्योरा दर्ज किया जा रहा है। इससे कैंसर के कारण और किस क्षेत्र में किस तरह का कैंसर अधिक हो रहा है, यह पता चल सकेगा।
- डॉ। सुरभि गुप्ता, विभागाध्यक्ष, कैंसर विभाग, एसएनएमसी