आगरा. शहर से लेकर देहात मेें बच्चों की जान से सरेआम खिलवाड़ हो रहा है. बच्चों की सुरक्षा के लिए बने तमाम कायदे कानूनों का हर रोज शहर की सड़कों पर मजाक उड़ाया जा रहा है. गुरुवार को फतेहाबाद रोड पर स्कूल जाने के लिए सुबह खड़े बच्चों को बेकाबू कार ने रौंद दिया. इससे तीन बच्चों की मौत हो गई जबकि दो घायल हैं. इस घटना से शहर की सड़कों का इस्तेमाल करने वाले बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है. शहर की सड़कों पर रोड सेफ्टी के नाम पर कोई इंतजाम नहीं है.

स्कूल के सामने रोड से मिटी जेब्रा क्रॉसिंग
ताजगनरी में रोड सेफ्टी केवल सड़क सुरक्षा अभियान तक ही सीमित है। इसको लेकर हर बार खानापूर्ति के लिए सड़कों पर सफेद लकीरें (जेब्रा क्रॉसिंग) खींची जाती हैं। मिट जाएं तो दोबारा तकलीफ नहीं उठाई जाती। हरीपर्वत स्थित दिल्ली गेट स्थित क्वीन विक्टोरिया गल्र्स इंटर कॉलेज के बाहर जेब्रा क्रॉसिंग पूरी तरह मिट चुकी है। एमडी जैन इंटर कॉलेज के सामने जेब्रा क्रॉसिंग की व्यवस्था नहीं है, इससे छुट्टी होने के बाद बच्चे रोड पर आ जाते हैं, कभी भी तेज स्पीड से गुजरने वाले वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। इसी तरह घटिया स्थित सेंट मार्क और सेंट पॉल्स हिंदी मीडियम स्कूल के मुख्य गेट के बार भी जेब्रा क्रॉसिंग नहीं है।

स्कूल के मुख्य गेट के बाहर नहीं स्पीड ब्रेकर
स्कूलों के आसपास तेज रफ्तार वाहनों को लगाम लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर तक नहीं हैं। क्वीन विक्टोरिया गल्र्स इंटर कॉलेज का मुख्य गेट एमजी रोड की तरफ है। बच्चों की छुटटी होने के बाद रोड पर जाम के हालात बन जाते हैं, ऐसे में स्कूल के बाहर स्पीड ब्रेकर नहीं होने से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। हॉलमैन पब्लिक स्कूल, बैप्टिस्ट स्कूल के बाहर भी स्पीड ब्रेकर नहीं पाए गए। जो स्कूल आने वाले बच्चों के लिए कभी दुर्घटना का सबब बन सकते हैं। स्कूलों के आसपास वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर नहीं हैं।


बच्चों के चलने के लिए नहीं फुटपाथ
स्कूली बच्चे फुटपाथ का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि आधे शहर में फुटपाथ है ही नहीं, और जहां है वहां इन पर तहबाजारियों के अलावा अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। खंदारी क्षेत्र के पास के स्कूलों के बच्चों को छुट्टी होने के बाद ट्रैफिक के साथ ही पैदल चलना पड़ता है, जिससे कभी भी वे वाहनों की चपेट में आ सकते हैं। ऑल सेंट, सेंट कॉरनेड स्कूल के बच्चे रोड पर देखे जा सकते हैं। क्योंकि सर्विस रोड से खंदारी चौराहे पर एक तरफ ही फुटपाथ है, फ्लाईओवर के नीचे बनी पुलिस चौकी ने फुटपाथ पर पार्किंग बना दी है।

स्कूलों के आसपास नहीं चेतावनी बोर्ड
शहर में दयालबाग रोड स्थित आरईआई इंटर कॉलेज को छोड़कर किसी भी स्कूलों के आसपास चेतावनी बोर्ड नहीं है। इनका सदुपयोग कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों के लिए हो रहा है। बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों के आसपास चाइल्ड जोन चिन्हित करने के बारे में तो कभी सोचा ही नहीं गया। शहर की सड़कों पर जाम अब आम हो गया है। रोड पर हर समय जाम की स्थिति बनी रहती है। बच्चों को सड़क क्रॉस करने के लिए गाडिय़ों के बीच में जगह तलाशनी पड़ती है।

सुरक्षा पर गंभीर नहीं सरकारी तंत्र
बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकारी तंत्र कितना गंभीर है इसका अंदाजा स्कूल टाइम में स्कूल बसों और टैक्सियों में क्षमता से अधिक भरे गए बच्चों को देख कर लगाया जा सकता है। एमजी रोड के अलावा शहर के टॉप स्कूलों के बाहर भी कोई सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। बसों और टैक्सियों में बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाया जाता है, चालक बेखौफ होकर नियमों का धज्जियां उड़ा रहे हैं।

यहां रैलिंग से निकते हैं बच्चे
सिकंदरा हाईवे स्थित बने स्कूलों में पढऩे वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं हाईवे के बीच बनी रैलिंग को क्रॉस कर दूसरी ओर निकलते हैं। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कई बार यहां बच्चे वाहनों की चपेट में आने से बाल बाल बचे हैं। ऐसा नहीं कि इसकी किसी को जानकारी नहीं है, लेकिन इसके बाद भी स्कूल प्रबंधक और जिम्मेदार विभाग की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। हालांकि ट्रैफिक पुलिस की ओर नेशनल हाईवे अथॉरिटी को भावना एस्टेट की ओर जाने वाले कट को खोलने का निर्णय लिया है। कट के खुलने से स्कूली बच्चों को काफी राहत मिल सकेगी।

बच्चों के लिए महत्वपूर्ण रोड सेफ्टी रूल्स
-ट्रैफिक सिग्नल के रूल्स को समझें
-रुको देखो फिर सड़क पार करो
-ट्रैफिक की आवाज पर ध्यान दें
-सड़क पर दौड़ें नहीं
-फुटपाथ का करें उपयोग
-पेडिस्ट्रियम से करें सड़क पार
-वाहन के बाहर हाथ न निकालें
-मोड से सड़क पार न करें
-ड्राइविंग के रूल्स का पालन करें
-चलते वाहन में सुरक्षित बैठना
-वाहन के रुकने के बाद ही चढें
-हमेशा किनारे पर ही उतरें
-स्कूल बस का इस्तेमाल हमेशा लाइन में करें
-उतरने वाले बच्चों को पहले अवसर दें
-हाथ का इशारा दें


बच्चे स्कूल बस से जाते हैं, सुबह छोडऩें के बाद इसकी जिम्मेदारी बस ड्राइवर की होती है, क्योंकि पेरेंट्स को नहीं पता कि वहां क्या चल रहा है, बच्चे अक्सर शरारत करते हैं।
निशि मित्तल, पेरेंट्स

वर्जन
पेरेंट्स घर पर बच्चों को वॉच कर सकते हैं, लेकिन स्कूल बस या टैक्सी में वे किस तरह बैठे हैं, वाहनों से बाहर हाथ निकालते हैं तो ये ड्राइवर या उसके सहायक को देखना होगा।
आरती गुप्ता, पेरेंट्स


सड़क सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया जाता है, स्कूल और कॉलेजों में भी बच्चों को अवेयर किया जाता है। बच्चों के साथ सभी को ट्रैफिक रूल्स का पालन करना चाहिए।
अरुण चंद, अपर पुलिस आयुक्त ट्रैफिक

Posted By: Inextlive