आगरा ब्यूरो भाषाओं के उत्सव में ङ्क्षहदी और अन्य भारतीय भाषाओं के समन्वय पर बात हुई. ङ्क्षहदी के स्वर्णिम काल से लेकर अंग्रेजी के सामने उसके टिकने तक पर चर्चा हुई. भारतीय भाषाओं के उत्थान और तकनीक की सहायता से उसके भविष्य पर ङ्क्षचतन हुआ. केंद्रीय ङ्क्षहदी संस्थान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय भाषा उत्सव के आखिरी दिन ङ्क्षहदी शिक्षण की दशा और दिशा और भारतीय ज्ञान पंरपरा पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए. उपाय सुझाए तकनीकी पक्ष रखे और जागरूक भी किया.


पहला सत्र ङ्क्षहदी और अन्य भारतीय भाषाओं में समन्वय विषय पर था। सत्र की अध्यक्षता डॉ। हरी ङ्क्षसह गौर विश्वविद्यालय मप्र के कुलाधिपति प्रो। बलवंत राय जानी ने की। कहा कि ङ्क्षहदी और अन्य भारतीय भाषाओं में समन्वय की बात करें, तो मातृ भाषा में शिक्षण कार्य शुरू हो चुका है। राष्ट्रीय ङ्क्षसधी भाषा विकास परिषद के निदेशक प्रो। रविप्रकाश टेकचंदाणी ने कहा कि भारतीय भाषाओं में समन्वयक के केंद्र में सद्भाव होना चाहिए। सत्र में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो। हरमोङ्क्षहदर ङ्क्षसह बेदी और केंद्रीय ङ्क्षहदी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो। महावीर सरन जैन उपस्थित रहे। भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान शिमला के प्रो। आलोक कुमार गुप्ता ने कहा कि संस्थान भाषाओं के समन्वय के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा है। केंद्रीय ङ्क्षहदी शिक्षण मंडल के सदस्य प्रो। दिनेश कुमार चौबे भी उपस्थित रहे। संयोजन डॉ। सपना गुप्ता व संचालन डॉ। गंगाधर वानोडे ने किया। भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता स्वामी माधवानंद ने की। बीज वक्तव्य साहित्यकार डॉ। चैतन्य प्रकाश ने दिया। मुख्य वक्ता डॉ। मनोज कुमार श्रीवास्तव व विशेषज्ञ व्याख्यान इंदिरा मोहन, रवि शंकर, डॉ। विवेकानंद उपाध्याय ने दिया। संयोजन डॉ। मीनाक्षी दुबे का रहा। संचालन अनुपम श्रीवास्तव ने किया। सत्र की अध्यक्षता में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय ङ्क्षहदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो। गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि ङ्क्षहदी का सरलीकरण संभव नहीं है। सिर्फ जय ङ्क्षहदी के नारे लगाने से ङ्क्षहदी का विकास नहीं होगा बल्कि जो काम पिछले 75 सालों में नहीं हुआ वो करना है। बीज वक्तव्य केंद्रीय ङ्क्षहदी शिक्षण मंडल की सदस्य प्रो। सोमा बंद्योपाध्याय ने देते हुए कहा कि मातृभाषा मां के समान होती है। मुख्य वक्ता साहित्यकार योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण थे। सविता मोहन व हंसराज कालेज के डा। विजय कुमार मिश्र ने विशेषज्ञ व्याख्यान दिए। संयोजन डा। कृष्ण कुमार पांडेय ने किया। संचालन डा। राजवीर ङ्क्षसह ने किया। समापन सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय ङ्क्षहदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने की। मुख्य अतिथि वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो। गिरीशनाथ झा ने कहा कि आयोग 22 भाषाओं में हर पाठ्यक्रम के लिए सामग्री तैयार कर रहा है। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ। भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो। आशु रानी ने कहा कि हर राज्य में भाषा बदलती है, लेकिन ङ्क्षहदी सबको जोडऩे का काम करती है। इस दौरान ङ्क्षहदी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय ङ्क्षहदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल, हंसराज कालेज की प्राचार्य प्रो.रमा ने भी विचार व्यक्त किए। धन्यवाद कुलसचिव डा। चंद्रकांत त्रिपाठी ने दिया। निदेशक प्रो। सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने समाहार वक्तव्य दिया। समापन सत्र में प्रो। हरिशंकर, डॉ। जोगेन्द्र ङ्क्षसह मीणा, डॉ। परमान ङ्क्षसह, डॉ। सुनील कुमार, केशरी नंदन आदि उपस्थित रहे।

Posted By: Inextlive