ग्वालियर रोड निवासी 15 माह की शिशु आरबी को अचानक बुखार आने लगा और शरीर में सूजन आ गई. पेरेंट्स कुछ समझ नहीं पाए. डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि वह एनीमिक खून की कमी की शिकार है. इसके साथ ही उसका वजन भी तय सीमा से कम है. ऐसे में उसे न्यूट्रिशनल रिहेबिलिटेशन सेंटर एनआरसी रेफर किया गया. यहां पर समय से उपचार कराने के बाद वह स्वस्थ हो सकी.

आगरा(ब्यूरो)। जिला अस्पताल स्थित एनआरसी में बीते एक साल में ऐसे 21 बच्चे एडमिट हो चुके हैैं। बच्चों को सही न्यूट्रिशंस न मिलने के कारण उनमें न्यूट्रिशन और एनीमिया की समस्या बढ़ रही है। यदि सही समय पर इसका मैनेजमेंट न हो तो यह घातक साबित हो सकता है।

कुपोषण होने के कारण
एनआरसी की मेडिकल ऑफिसर डॉ। नीता चिवटे ने बताया कि किशोरावस्था में किशोरी का कुपोषित होना, कम उम्र में शादी, बार-बार प्रसव, बच्चों में अंतराल न रखना, मां का कुपोषित होना, संतुलित आहार न मिलना, सूखा रोग होना और खून की कमी होना जैसे कारणों से बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैैं।

अति कुपोषित बच्चों को 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है

एनआरसी की डाइटीशियन ललितेश शर्मा ने बताया कि एनआरसी में अति कुपोषित बच्चों को 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है। इस दौरान बच्चे को उसकी जांच के बाद इलाज के साथ-साथ पौष्टिक खानपान भी दिया जाता है। बच्चे को यदि कुपोषण के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं जैसे-डायरिया, निमोनिया, त्वचा संक्रमण, खून की कमी और पैरों में सूजन आदि है तो एनआरसी में उसका भी उपचार किया जाता है। ललितेश ने बताया कि एनआरसी में एडमिट बच्चे के साथ में उसकी मां भी देखभाल के लिए रहती हैैं। यदि बच्चे की मां नहीं है तो घर की अन्य महिला सदस्य भी रह सकती हैं। साथ रहने वाले सदस्य को 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से बच्चे के डिस्चार्ज होने पर उसके खाते में दिये जाते हैं। एनआरसी में भर्ती बच्चों के पेरेंट्स की काउंसलिंग भी की जाती है। काउंसलिंग के दौरान कुपोषण के कारणों और पोषण के महत्व के बारे में विस्तार से समझाया जाता है। एनआरसी से डिस्चार्ज होने के बाद अधिकतम चार फॉलो अप किए जाते हैं, ताकि पता चल सके कि परामर्श के अनुसार घर पर भी बच्चों की सही देखभाल की जा रही है या नहीं।

आरबी की उम्र 15 माह है

आरबी की मां नीलम ने बताया कि आरबी की उम्र 15 माह है, जब वह बीमार पड़ी तो एनआरसी में एडमिट किया गया। यहां पर हुई जांच में पता चला कि उसका हीमोग्लोबिन 5.6 था। इसके बाद आरबी को रोजाना हर दो घंटे पर फार्मूला फूड खिलाया जाता था। उसे यहां पर तीन बार में एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। आरबी के पिता रूपेश ने खून दिया। 14 दिन के बाद आरबी को एनआरसी से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब हीमोग्लोबिन 8.6 हो गया है।


अति गंभीर कुपोषित बच्चों पर ध्यान ना दिया जाए तो जटिलताएं बढ़ सकती हैं। ऐसे बच्चों के लिए एनआरसी में एडमिट करके उपचार देने का प्रावधान है।
- आदीश मिश्रा, जिला कार्यक्रम अधिकारी, बाल विकास एवं महिला कल्याण विभाग
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एनआरसी में स्वस्थ हुए बच्चे
2021-22 - 313
2022-23 - 406
अप्रैल 2023 से अक्टूबर 2023 तक -233

Posted By: Inextlive