वाटर प्यूरीफाई के नाम पर केमिकल लोचा हो रहा है. गंगाजल आने के बाद भी हर महीने उसको स्वच्छ करने में दो कंपनियों पर डेढ़ से सवा दो करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसके बाद भी जलकल विभाग हर वर्ष पानी को प्यूरीफाई करने पर लाखों रुपए खर्च कर रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब गंगाजल को प्राइवेट कंपनियों द्वारा स्वच्छ किया जा रहा है तो जलकल इस जल को शुद्ध करने में करोड़ों का केमिकल क्यों खर्च कर रहा है.


आगरा। जीवनी मंडी का प्लांट और सिकंदरा के गंगाजल प्लांट को वोल्टास कंपनी संचालित कर रही है। वहीं सिकंदरा स्थित एमबीबीआर प्लांट व यमुना जल प्लांट की जिम्मेदारी त्रिवेणी कंपनी देख रही है। त्रिवेणी कंपनी को शासन से हर महीने भुगतान किया जाता है। शासन द्वारा कंपनी को हर महीने 1.90 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। अगर प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर न चले तो हर महीने 1.10 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है। वहीं, वोल्टास कंपनी को सिकंदरा स्थित गंगाजल प्लांट के लिए नगर निगम द्वारा 16 लाख और जीवनी मंडी प्लांट के लिए 18 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है। एक अधिकारी ने बताया कि अभी पिछला पैसा भी बकाया है। अभी भुगतान नहीं हुआ है।


इस तरह उठ रहे सवाल?
1. गंगाजल को प्राइवेट कंपनियों की ओर से प्यूरीफाई किया जा रहा है। ऐसे में जलकल क्यों लाखों का केमिकल खर्च कर रहा है?
2. जलकल का बजट सदन में भी रखा जाता है। पार्षदों ने भी सवाल खड़े किए। बाजवूद इसके कोई वेरीफिकेशन क्यों नहीं किया?
3. कमीशनखोरी का खेल चल रहा है, बावजूद इसके अधिकारी इस ओर कोई संज्ञान क्यों नहीं ले रहे?

दोनों वाटरवक्र्स की क्षमता

जीवनी मंडी
225 एमएलडी

प्लांट
3

सिकंदरा
288

प्लांट
2, एमबीबीआर और गंगाजल


सप्लाई

जीवनी मंडी
135 एमएलडी

सिकंदरा
212 एमएलडी


कमीशन का चल रहा मोटा खेल
सूत्रों की मानें तो जलकल में पानी को प्यूरीफाई करने के नाम पर खेल चल रहा है। पानी को प्यूरीफाई करने के नाम पर ऐलम, क्लोरीन व अन्य केमिकल खरीदने में मोटा बजट खर्च करता है। सूत्रों की मानें तो पानी सफाई का काम ठेकेदारों द्वारा टेंडर कर कराया जाता है। इसके बदले में अफसरों को मोटा कमीशन मिलता है। तभी तो मौजूदा समय में क्लोरीन को खरीदने के लिए दो करोड़, ऐलम की खरीद के लिए दो करोड़, अन्य केमिकल के लिए दो लाख, पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड की आपूर्ति के लिए 50 लाख का बजट प्रस्तावित किया गया है। ये 2019 से पिछली देनदारी बताकर प्रस्तुत किया जा रहा है। विगत महीनों से पार्षद रवि बिहारी माथुर ने सदन में ये मुद्दा उठाया था, तो मेयर नवीन जैन ने जीएम जलकल को निर्देश दिए थे कि पहले इसको सत्यापित कराएं। इसके बाद ही सदन में बजट को रखें। बता दें कि जब कंपनी वाटर टेस्टिंग का काम भी कर रही है। तो भी जलकल विभाग लैब के लिए उपकरण खरीदने का काम कर रहा है।


जलकल के बजट पर नजर
रासायनिक पदार्थों की आपूर्ति 2018-19 2019-20 2021-22 2022-23
क्लोरीन की आपूर्ति 63.69 200 200 200
ऐलम की आपूर्ति 284.70 600 500 200
पॉली अमोनिया क्लोराइड 00 100 50 50
अन्य रसायनों की आपूर्ति 00 2 2 2
लैब इक्यूपमेंट्स आपूर्ति 00 3 5 5
वाटर टेस्टिंग 00 4


डिमांड और क्षमता के अनुसार जलापूर्ति की जाती है। मौजूदा समय में पालड़ा से 370 एमएलडी गंगाजल की आपूर्ति की जा रही है।
महेश गौतम, प्रोजेक्ट मैनेजर, गंगाजल वल्र्ड बैंक इकाई

Posted By: Inextlive