नहीं बता सकते कितनी दवाएं खरीदते हैं, कितने डॉक्टर देरी से आते हैं
आगरा(ब्यूरो)। सुनवाई में इस तरह के मामले सामने आने पर राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने सख्त रुख अख्तियार किया। आरटीआई में सूचनाएं न देने या फिर आधी अधूरी जानकारी देने वाले 50 जन सूचनाधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। 19 मई तक जवाब न देने पर लंबित प्रत्येक सूचना पर 25-25 हजार रुपए का अर्थदंड लगेगा।
पेंडिंग केसेज की कर रहे सुनवाई
राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती कमिश्नरी सभागार में 19 मई तक लंबित 900 आरटीआई की सुनवाई कर रहे हैं। पहले दिन 198 और दूसरे दिन मंगलवार को 105 आवेदनों का निस्तारण किया। राजस्व विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, पुलिस सहित अन्य विभागों में लंबित आरटीआई की सुनवाई की। इन विभागों के जन सूचनाधिकारियों ने सूचनाएं देने में लापरवाही बरती। एक अधिकारी ने हर सूचना को औचित्यहीन बता दिया। हर सूचना नहीं दी जा सकती है। यह लिखित रूप में दिया। इसी तरह से अलीगढ़ के ग्राम्य विभाग विभाग के अधिकारी ने सूचनाएं देने से इन्कार कर दिया। स्वास्थ्य विभाग हर वर्ष कितने रुपए की दवाएं खरीदता है। कितने डॉक्टर देरी से आते हैं, यह सूचना तक देने से मना कर दिया गया। ऐसे 50 जन सूचनाधिकारियों को चिह्नित किया गया। राज्य सूचना आयुक्त ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया। उन्होंने कहा कि विभाग में जो भी जानकारी उपलब्ध है। वह अनिवार्य रूप से दी जानी है। लापरवाह अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।
समय पर दें सूचनाएं
राज्य सूचना आयुक्त ने डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताई। कहा कि माक्र्सशीट की तरह आरटीआई को न बनाएं। समय पर सूचनाएं दें। अधिकारियों ने कार्यशैली में सुधार का आश्वासन दिया।
कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश
राज्य सूचना आयुक्त ने लोक निर्माण विभाग मथुरा के अधिशासी अभियंता कार्यालय में लंबित आरटीआई की सुनवाई की। एक फाइल में लाल स्याही से कर्मचारी के हस्ताक्षर मिले। इस पर राज्य सूचना आयुक्त ने नाराजगी जताई। उन्होंने कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए।
नहीं दिखा सके शासनादेश, कैसे मांग रहे आधार कार्ड
कमिश्नरी में लंबित आरटीआई में नगर निगम के जन्म-मृत्यु विभाग का एक मामला है। अधिवक्ता अश्वनी कुमार ने अगस्त 2022 में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के दौरान दो गवाह और उनके आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर शासनादेश की जानकारी मांगी। निगम के अधिकारी कोई भी शासनादेश उपलब्ध नहीं करा सके। इस पर राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि 19 मई से पूर्व इसकी जानकारी अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाए।
संभागीय खाद्य नियंत्रक विभाग द्वारा गेहूं और चावल के उठान में दी जाने वाली मार्जिन मनी की जानकारी नहीं दे रहे थे। नरेश चंद ने इसे लेकर डेढ़ वर्ष पूर्व आरटीआई मांगी थी। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सरकार के पैसे का हिसाब अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए। सही से जमा कराओ शुल्क
मैनपुरी निवासी अजय कुमार ने तहसीलदार मैनपुरी से सूचनाएं मांगी थीं। पोस्टल ऑर्डर लगाया गया था। दस रुपए का शुल्क सरकारी खाता में जनसूचना अधिकारी ने जमा नहीं कराया। इस पर राज्य सूचना आयुक्त ने सही तरीके से शुल्क को सरकारी खाते में जमा कराने पर जोर दिया।