एत्मादपुर के आगरा-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्मारक बुढिय़ा के ताल के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हो चुका है. विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह के प्रयास सार्थक होते नजर आ रहे हैं. पुरातत्व वन विभाग व राजस्व अधिकारियों के सहयोग से अमृत सरोवर का कार्य शुरू हो चुका है.


आगरा(ब्यूरो)। एत्मादपुर से सटे प्राचीन संरक्षित स्मारक राजस्व अभिलेखों में 72 हेक्टेयर भूमि पर फैले बुढिय़ा के ताल को विकसित करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने योजना तैयार की है। संरक्षित स्मारक बुढिय़ा के ताल को अमृत सरोवर बनाने के लिए खुदाई आरम्भ हो चुकी है, जो एक माह में पूर्ण हो जाएगी, इसे भरने के लिए नहर से सीवर पाइप डालकर तालाब तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।

हजीरा को संरक्षित करने का काम शुरू
बुढिय़ा के ताल पर चहारदीवारी व हजीरा को संरक्षित करने के लिए मरम्मत कार्य भी आरम्भ हो चुका है। इसमें भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा कार्य कराया जा रहा है। क्षेत्रीय विधायक डॉ। धर्मपाल ङ्क्षसह ने इसे भारत सरकार की योजना में शामिल कराकर मूल स्वरूप में लौटाने व पिकनिक स्पॉट बनाने की योजना बनाई है। विधायक ने बताया कि बुढिय़ा के ताल के लिए 80 लाख की किस्त पुरात्तव विभाग के पास आ गई है, आगे की योजना पर भी कार्य किए जाएंगे। यह ताल पहले पानी से लबालब रहता था। ङ्क्षसघाड़ों के लिए भी क्षेत्र की ख्याति है। यहां चावली और एत्मादपुर माइनर से पानी पहुंचता था लेकिन एत्मादपुर माइनर पर अबैध कब्जा होने से जगह बंद हो गई। जबकि चाबली माइनर सूख गई है। पिपरिया गांव तक इसकी टेल बाकी है। चावली माइनर को दोबारा चालू कराकर पानी लाकर बुढिय़ा के ताल को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है।


ताल पर ये होंगे कार्य
यहां इमारत के चारों तरफ एप्रिन और 10 मीटर का हिस्सा छोड़ 20 मीटर चौड़ी और दो मीटर गहरे तालाब, गुंबद के महराबों में जालीनुमा गेट, गेस्ट रूम, एंट्री गेट, शुलभ शौचालय, तालाब की बाउंड्रीवाल, खाली भूमि पर औषधि, फल-फूल के पौधे व घास लगाई जाएगी। भूमि को बाउंड्रीवाल या तार फेंङ्क्षसग से सुरक्षित कर विकसित किया जाएगा।

Posted By: Inextlive