रक्षाबंधन पर इस बार भाइयों की कलाई ईको फ्रेंडली राखियों से सजेगी. ये राखियां सोने-चांदी या किसी अन्य आइटम से नहीं बनी है बल्कि इनको बनाने में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया है. इन राखियों में तुलसी के बीज डाले गए हैं. जिससे इनको गमले या किसी अन्य जगह पर डालने पर तुलसी का पौधा उग जाएगा. मंगलवार को नगर निगम में इन राखियों की स्टॉल लगाई गई.

आगरा(ब्यूरो)। नगर निगम ने लव यू जिंदगी फाउंडेशन के साथ मिलकर ईको फ्रे ंडली राखियां तैयार की हैं। इनकी बिक्री के लिए नगर निगम और शहर के अन्य जगह पर स्टॉल लगाई गई है। फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रंकुर जैन ने बताया कि हर साल रक्षाबंधन पर करोड़ों राखियां बिकती हैं।

कई जगह लगाई स्टॉल

ये राखियां प्लास्टिक व अन्य सामग्री से बनती हैं। त्योहार के बाद इन राखियों को फेंक दिया जाता है, इससे पर्यावरण को नुकसान होता है। ऐसे में फाउंडेशन द्वारा ईको फ्रे ंडली राखी बनाई गई। इन राखियों को बनाने में केवल गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया है। ये गोबर भी नगर निगम द्वारा संचालित कान्हा उपवन गोशाला की गाय का है।

राखी में तुलसी का बीज भी है
फाउंडेशन के अध्यक्ष ने बताया कि इन राखियों को सुंदर बनाने के लिए इस पर डेकोरेशन की गई है। इन राखियों में तुलसी के बीच को डाला गया है, जिससे जब इन राखियों को त्योहार के बाद गमले में या किसी पार्क में रखा जाएगा तो उसमें घुल जाएंगी। इसमें रखे बीज से तुलसी के पौधे पैदा हो जाएंगे। इससे पर्यावरण को फायदा होगा। इन राखियों की कीमत 25 रुपए रखी गई है। राखी के अलावा कई और आइटम भी थे। इसमें की रिंग, नेम प्लेट व राम और राधे-राधे की प्लेट थी। लोगों ने इन आइटम को पसंद किया। इन राखियों से पर्यावरण को फायदा पहुंचने के साथ गौमाता की सहायता भी होगी। अगर गौपालक इसको समझ लें तो वो गाय को बाहर नहीं छोड़ेगे। वो गाय के गोबर से ही कई तरह के सामान बना सकेंगे।


ये राखियां पूरी तरह से ईको फ्रेंडली हैं। इससे शहर में पर्यावरण सरंक्षण के साथ स्वच्छता को भी बढ़ावा मिलेगा।
केके पांडेय, प्रोजेक्ट मैनजर, स्वच्छता भारत मिशन

Posted By: Inextlive