आगरा. शहर में प्रदूषित आबोहवा के चलते आम लोगों की सांस ने घुटे इसके लिए सरकार की ओर से नगर निगम को 135 करोड़ रुपए का बजट मुहैया कराया गया. इससे लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाने के साथ प्रदूषण कम करने को लेकर भी कदम उठाए जाने थे. लेकिन ये बजट पूरी तरह से खर्च नहीं किया जा सका. तीन किस्तों में मिले पैसे की तीसरी इंस्टॉलमेंट से कार्य कराए जाने को लेकर तो अभी योजना ही बनाई जा रही है. ऐसे में शहर की आबोहवा कैसे सुधर सकेगी?

मुख्य सचिव को भेजी है रिपोर्ट
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करने के बाद भी आगरा समेत गाजियाबाद, मेरठ और वाराणसी इसके बचाव के लिए होने वाले काम के प्रति उदासीन बने हुए हैं। इन शहरों को वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मिले हुए पैसे से जरूरत के आधार पर काम नहीं कराया गया और इसे दबाए हुए बैठे हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसको लेकर चिंता जताई। मुख्य सचिव को इस संबंध में पूरी रिपोर्ट भेजते हुए रुके हुए कामों को पूरा कराने को कहा है।

तीन चरणों में मिला बजट
ताजनगरी को तीन चरणों में बजट मिला। इसमें पहली किस्त के रूप में 90 करोड़ रुपए मिले, दूसरी किस्त 11 करोड़ रुपए और तीसरी किस्त के रूप में 35 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। पहली और दूसरी किस्त में मिली धनराशि से नगर निगम ने गड्ढा मुक्ति, वर्टिकल गार्डन, मलका चबूतरा मोक्षधाम आदि कार्य कराए हैं। लेकिन कई कार्यों का भुगतान तक नहीं किया गया है। कुबेरपुर में मृत पशुओं के निस्तारण की व्यवस्था की जा रही ़है। तीसरी किस्त 35 करोड़ से कार्य कराए जाने को लेकर भी योजना बनाई जा रही है।

ये करने थे उपाय
- निजी की जगह सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल के लिए जागरूक अभियान चलाया जाना था, जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके।

- शहरों में हरियाली विकसित करने के साथ ही पेड़ों पर लगातार पानी का छिड़काव करना है। वर्टिकल गार्डन डेवलप किए जाने थे। जिससे एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल किया जा सके।

- प्रदूषण से बचने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल को बढ़ावा देने का अभियान चलाना है।
- कूड़ा गाडिय़ों को बिना ढके हुए नहीं लेकर जाना है, डलावघर को शहर के बाहर करना है, अब भी शहर में कई जगह डलावघर बने हुए हैं
- बड़े बाजारों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रात में सफाई लिए मशीनरी विकसित करना, अभी शहर की कुछ सड़कों पर ही मशीनों से सफाई होती है


शहर में संजय प्लेस की हवा जहरीली
आगरा की आबोहवा को लेकर शुरूआत से ही सवाल उठते आए हैं। इसमें संजय प्लेस की स्थिति तो काफी खराब है। यहां दोपहर के बाद हवाएं जहरीली हो जाती हैं। पीएम 2.5, पीएम 10 और कार्बन की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि चेहरे पर लगे मास्क भी नहीं होते हैं। वाहनों की संख्या बढऩे से यहां हवा का एक्यूआई 250 से 300 तक पहुंच जाता है। इस लिस्ट में शास्त्रीपुरम, रोहता, आवास विकास, शाहजहां गार्डन भी शामिल हैं। शहर का एक मात्र क्षेत्र दयालबाग ऐसा है, जहां पूरे शहर की हवाएं जहरीली होने पर स्थिति स्थिर बनी रहती है।

इस तरह हुआ बजट खर्च
शहर मिला पैसा खर्च हुआ
आगरा 135.5 करोड़ 68.37 करोड़
गाजियाबाद 136.25 करोड़ 74.42 करोड़
कानपुर 211.6 करोड़ 198.9 करोड़
लखनऊ 250.18 करोड़ 151.65 करोड़
मेरठ 114.9 करोड़ 49.73 करोड़
प्रयागराज 132.35 करोड़ 105.63 करोड़
वाराणसी 146.1 करोड़ 46.88 करोड़


इसके दायरे सात शह
यूपी के सात शहर आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, मेरठ और प्रयागराज 10 लाख से आबादी वाले शहर हैं। केंद्र सरकार ने इन शहरों में बढ़ते प्रदूषण वायु प्रदूषण को कम करने के लिए नगर निगमों को जरूरी इंतजाम करने के लिए भरपूर बजट दिया गया। इस बजट से जरूरी उपकरण को खरीदते हुए वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम किया जाना है। लखनऊ की स्थिति बाकी शहरों से बेहतर है।

सरकार से तीन किस्तों में बजट मिला है। करीब 135 करोड़ का बजट मिला। इसमें से 70 करोड़ का बजट शहर की आबोहवा सुधारने के लिए विभिन्न प्रोजेक्ट पर खर्च किया जा चुका है। शेष बजट के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
पंकज भूषण, पर्यावरण अभियंता, नगर निगम

Posted By: Inextlive