आगरा को जल्द मिलेगा पहला बायो डायवर्सिटी पार्क
आगरा। (ब्यूरो ) बाईंपुर ब्लॉक (ककरैठा रेंज) में वन विभाग की 700 एकड़ जमीन है। यहां 70 एकड़ में वेटलैंड बना हुआ है। अब पूरे 700 एकड़ के क्षेत्र को बायो डायवर्सिटी पार्क के रूप में डेवलप किया जाएगा। जमीन वन विभाग की होगी। डेवलप नगर निगम की ओर से किया जाएगा। इसको लेकर नगर निगम और वन विभाग के बीच एमओयू भी साइन होगा। प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने को लेकर कवायद शुरू हो गई है।
एक्सपट्र्स की देखरेख में होगा
सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी व टीटीजेड के मेंबर व पर्यावरणविद् रमन जी ने बताया कि यमुना के किनारे वन विभाग की जमीन पर इस प्रोजेक्ट को एक्सपट्र्स की देखरेख में पूरा किया जाएगा। बायो डायवर्सिटी पार्क प्रख्यात प्रो। सीआर बाबू की गाइडेंस में पूरा होगा। प्रो। बाबू दिल्ली में कई बायो डायवर्सिटी पार्क को सफलतापूर्वक डेवलप कर चुके हैं। कंसेप्शुअल डीपीआर नगर निगम की टीम को सौंप दी गई है। निगम की टीम अब प्रस्तावित क्षेत्र में सर्वे कर विभिन्न जांच करेगी। इसमें मिट्टी, पानी, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि बिन्दुओं पर सर्वे करने के रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट प्रो। सीआर बाबू को सौंपी जाएगी, जिसे वह अंतिम रूप देंगे।
100 एकड़ में बनेगा मनोरंजन पार्क
700 एकड़ में से 100 एकड़ को मनोरंजन पार्क के रूप में डेवलप किया जाएगा। इसमें नियमों के साथ पब्लिक को एंट्री दी जाएगी। यहां प्रकृति से रूबरू कराते हुए कई तरह के मॉडल बनाए जाएंगे, जिससे लोग प्रकृति के बारे में अवेयर हो सकें। साथ ही प्रकृति संरक्षण में भी अपना योगदान दे सकें।
बायो डायवर्सिटी पार्क का प्रोजेक्ट अभी 9 करोड़ का है। इसमें कंस्ट्रक्शन के साथ 10 वर्ष तक बायो डायवर्सिटी पार्क का मेंटीनेंस भी है। सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी व टीटीजेड के मेंबर व पर्यावरणविद् रमन जी ने बताया कि नगर विकास विभाग की ओर से प्रोजेक्ट के लिए बजट की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके लिए 8 करोड़ का बजट स्वीकृत किया जा चुका है।
क्या जंगल के स्वरूप में बदलाव होगा?
जानकारों के अनुसार बाईंपुर ब्लॉक में विलायती बबूल के पेड़ों की भरमार है। इसके चलते वहां अन्य पेड़ पौधे विकसित नहीं हो पाते हैं। कांटेदार पेड़ होने के चलते इन पर पक्षी भी निवास नहीं करते हैं। अब बायो डायवर्सिटी पार्क के जरिए वहां दूसरे पेड़-पौधे लगाने के लिए दो तरीके अपनाए जाएंगे। इसमें पहले से लगे बबूल के पेड़ की छंटाई की जाएगी। इसके साथ ही पर्याप्त दूरी पर साइंटिफिक तरीके से क्षेत्रीय पौधे जैसे नीम, पीपल व अन्य ऊंचाई वाले पौधे लगाए जाएंगे। वहीं दूसरे तरीके के अनुसार बबूल के पेड़ों को काटना पड़ेगा। इसके लिए पहले सुप्रीम कोर्ट और संबंधित अथॉरिटीज से परमिशन लेनी होगी।
टेम्प्रेचर कम होगा
बायो डायवर्सिटी पार्क का असर टेम्प्रेचर पर भी पड़ेगा। शहर के टेम्प्रेचर में चार से पांच डिग्री की गिरावट दर्ज की जाएगी। इससे सबसे अधिक गर्मियों से राहत मिलेगी। जलस्तर बढ़ेगा
इकोलॉजी सिस्टम बेहतर होने और हरियाली बढऩे से बारिश का ग्राफ बढ़ेगा। अधिक बारिश होगी तो अंडरग्राउंड वाटर का रिचार्ज हो सकेगा। शहर का जलस्तर बढ़ेगा। इससे शहर के ग्राउंड वाटर में जो खारापन है, वह भी दूर हो सकेगा। नया कीठम बनेगा
नैचुरल हैबीटाट डेवलप होने से कीठम और जोधपुर झाल की तरह नया वेटलैंड बनेगा। इससे देशी-विदेशी पर्यटकों का यहां ठिकाना बनेगा। पर्यावरण प्रेमियों के लिए ये बर्ड वॉचिंग के लिए रूप में स्पॉट डेवलप होगा।
यमुना नदी की बदलेगी सूरत
नदी किनारे नैचुरल हैबिटाट डेवलप होने से यमुना में प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकेगा। बायो डायवर्सिटी पार्क में तालाब भी बनाए जाएंगे, जो नैचुरल एसटीपी का कार्य करेंगे। इसके साथ ही यमुना किनारे से जो भी पानी सीधे नदी में पहुंचता है वह इन तालाबों में शुद्ध होने के बाद पहुंचेगा।
रमन, सदस्य, सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी व टीटीजेड केंद्र सरकार की ओर से बायो डायवर्सिटी पार्क बाईंपुर ब्लॉक में डेवलप करने का प्रस्ताव है। नगर निगम और वन विभाग इसको मिलकर डेवलप करेंगे। इसको लेकर कार्य जारी है।
सुरेंद्र सिंह, अपर नगरायुक्त बाईंपुर ब्लॉक में बायो डायवर्सिटी पार्क विकसित करना प्रस्तावित है। इसको लेकर निगम के साथ एमओयू भी साइन किया जाएगा।
अरविंद मिश्रा, सब डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर
क्या है बायो डायवर्सिटी पार्क
देश में दिल्ली में बायोडायवर्सिटी पार्क का कारवां सन 2002 में शुरू हुआ था। दिल्ली का यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क आज देश भर के लिए रोल मॉडल साबित हो रहा है। राजधानी में ही जहां इसके बाद पिछले दो दशक में छह और बायोडायवर्सिटी पार्क तैयार हो गए हैं वहीं देश के पांच अन्य राज्यों में भी इस दिशा में काम चल रहा है। दिल्ली में बायो डायवर्सिटी पार्क तैयार करने में विशेष भूमिका निभाने वाले प्रो। सीआर बाबू के मार्गदर्शन में ही आगरा में बायो डायवर्सिटी पार्क तैयार होगा। ये पार्क पर्याप्त संख्या में वनस्पतियों और जीवों को आश्रय देते हैं। जीव जंतुओं की संख्या बढ़ेगी। हरित क्षेत्र में वृद्धि होने से भूजल स्तर में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। इसके जरिये काफी मात्रा में वर्षा जल का संचयन भी होगा।