आगरा. ब्यूरो कभी कल-कल करने वाली कालिंदी यमुना नदी ताजनगरी में आज अपनी दयनीय स्थिति से कराह रही है. कई सारे सरकारी दावे तीन-तीन यमुना एक्शन प्लान और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद यमुना नदी आज भी प्रदूषण का दंश झेल रही है. बुधवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति डॉ. अफरोज अहमद ने सर्किट हाउस में बैठक की तो यमुना की बदहाली की तस्वीर सामने आ गई. डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट प्लान और एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन को उठाए गए कदमों की जानकारी लेते हुए निर्देश दिए कि ङ्क्षसथेटिक लेदर वेस्ट की समस्या अत्यंत गंभीर है. आगरा में जूता कारखाना संचालक इसे नालों में डाल देते हैं. यह यमुना की तलहटी में पहुंचकर भूगर्भ जल रिचार्ज के स्रोत बंद कर रहा है. लेदर वेस्ट के उचित निस्तारण को वैज्ञानिक तरीका ढूंढ़ा जाए जिससे कि गंभीर हो चुकी समस्या से शहर को निजात मिले. प्रतिदिन शहर में उत्पन्न हो रहे म्यूनिसिपल सालिड वेस्ट का समयबद्ध निस्तारण किया जाए.

एक हजार टन वेस्ट डेली कलेक्ट
न्यायमूर्ति डॉ। अफरोज अहमद ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर शोधित किए जा रहे पानी का प्रयोग छिड़काव, भवन निर्माण व अन्य गतिविधियों में करने पर जोर दिया। अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र यादव ने अवगत कराया कि लिगेसी वेस्ट मैटेरियल से घिरे 37 एकड़ के भूभाग को खाली कराया गया है। इसमें वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित प्लांट के साथ 100 टीपीडी गोबर से कंपोस्ट खाद बनाने का प्लांट संचालित है। न्यायमूर्ति ने इंटरप्रिटेशन ब्लॉक बनाने के निर्देश दिए, जिससे कि नागरिकों और छात्रों को सालिड वेस्ट, लिगेसी वेस्ट, आर्गेनिक वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट के साथ ही उसके निस्तारण की जानकारी दी जा सके। नगर निगम द्वारा प्रतिदिन एक हजार टन वेस्ट मैटेरियल एकत्र करने की जानकारी दी गई, जिसमें 534 टन गीला कचरा व 466 टन सूख कचरा है।


दो लाख घरों को सीवर से किया कनेक्ट
सीवरेज व पेयजल के बारे में बताया गया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 188 एमएलडी से बढ़ाकर 2025 तक 406 एमएलडी करने का टारगेट है। अमृत योजना में दो लाख घरों को सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। अमृत योजना 2.0 में 1400 घरों को सीवेज कनेक्शन दिए जाने हैं। नमामि गंगे योजना में कामन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) फरवरी, 2025 से काम करने लगेगा। डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि नगर के साथ ग्राम पंचायत स्तर पर वेस्ट मैनेजमेंट अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पंचायत राज विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों को वेस्ट मैटेरियल से मुक्त बनाने का काम किया जा रहा है। माडल ग्राम विकसित करने को पांच हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। न्यायमूर्ति डॉ। अफरोज अहमद ने पर्यावरण और वेस्ट मैटेरियल सेनेटाइजेशन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए। सीडीओ प्रतिभा ङ्क्षसह, एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला, सीएमओ डॉ। अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी आदर्श कुमार, उप्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ। विश्वनाथ शर्मा मौजूद रहे।
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ककरैठा में बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क
वन विभाग ने बैठक में जानकारी दी कि जिले में 65 वेटलैंड क्षेत्र हैं। दो नए वेटलैंड क्षेत्र अंगूठी और खेरागढ़ रेंज के नयाग्राम को अधिसूचित करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। ददुआपुरा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से ङ्क्षसचाई के लिए लिक्विड वेस्ट को शोधित कर दिया जा रहा है। यमुना आद्र्र विकास योजना में विकसित किए गए ककरैठा वेटलैंड को बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। इससे भूगर्भ जल संचयन, वन आवरण में वृद्धि और जैव विविधता का संरक्षण होगा। पर्यावरण संरक्षण व जलीय जीवों के संरक्षण को यमुना में बायोडायवर्सिटी सर्वे कराया गया। इसमें छह प्रजाति के ऐसे कछुए मिले, जिन्हें अब तक नदी में चिह्नित नहीं किया गया था।

65 वेटलैंड हैं जिले में
1000 टन वेस्ट रोज किया जाता है शहर से कलेक्ट
534 टन गीला वेस्ट होता है
466 टन सूख वेस्ट होता है
188 एमएलडी है एसटीपी की क्षमता
486 एमएलडी एसटीपी की क्षमता करने का है टारगेट


डूब क्षेत्र का नहीं किया निरीक्षण
न्यायमूर्ति डॉ। अफरोज अहमद को यमुना के डूब क्षेत्र का निरीक्षण भी करना था। व्यस्तता के चलते वह निरीक्षण नहीं कर सके। अगले दौरे में उन्होंने निरीक्षण की बात कही।


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ऐसे मैली हो रही कालिंदी
शहर में बड़े नालों की संख्या 90 है। इसमें ज्यादातर नाले यमुना में गिर रहे हैं। इनसे गुजरने वाला सॉलिड वेस्ट भी यमुना में गिर रहा है। इसके चलते यमुना में प्रदूषण का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य ने बताया कि यमुना को नाले तो गंदा कर रहे हैैं, इसके साथ में यमुना को धोबी घाट, मवेशी और यमुना में शौच भी गंदा कर रही है। नगर निगम के कड़े रुख के बावजूद यमुना में भैैंसे नहाती है। यह सब यमुना को बुरी तरह से प्रदूषित कर देती हैैं। डॉ। भट्टïाचार्य ने बताया कि यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषित दिल्ली में हो जाती है। उन्होंने बताया कि यमुना दिल्ली में केवल 22 किलोमीटर बहती हैैं। यहां पर केवल दो परसेंट यमुना का फ्लो है, लेकिन दिल्ली में यमुना को 80 परसेंट तक प्रदूषित कर दिया जाता है। इसके बाद में बल्लभगढ़ आदि से होते हुए यमुना इंडस्ट्री का पॉल्यूशन लेकर आगरा आती है। डॉ। भट्टïाचार्य ने बताया कि यमुना को निर्मल बनाने के लिए यमुना एक्शन प्लान-1, यमुना एक्शन प्लान-2 और यमुना एक्शन प्लान-3 लाए गए। इसके तहत लगभग 1500 करोड़ रुपए खर्च भी किए गए लेकिन इनका कोई असर नहीं दिखा।
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यह हैैं यमुना को प्रदूषित करने वाले कारण
- यमुना में सीधे गिरते नाले
- धोबी घाट
- यमुना में शौच
- मवेशियों का यमुना में नहाना
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91 नाले गिरते हैैं यमुना में
61 नाले सीधे गिर रहे यमुना में
03 यमुना एक्शन प्लान लागू हो चुके हैैं यमुना को साफ करने के लिए
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यमुना नदी में अभी नाले बिना टेप किए गिर रहे हैैं। इसके साथ ही धोबी घाट, यमुना में शौच करना जारी है। यमुना का जल आचमन करने के लायक भी नहीं रहा है।
- डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट

जीवनदायिनी यमुना को बचाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। बैराज का निर्माण जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए। जिससे नदी में पानी बना रहे।
- ब्रज खंडेलवाल, पर्यावरणविद्

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Posted By: Inextlive