आगरा. ब्यूरो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शनिवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी रुड़की की टीम ने यमुना में डीसिङ्क्षल्टग के अध्ययन को नदी के डाउन से अप स्ट्रीम तक स्थिति देखी. टीम ने विभिन्न स्थानों पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई. टीम को सितंबर के अंत तक अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध करानी है. इसके आधार पर ही यमुना में डीसिङ्क्षल्टग पर स्थिति स्पष्ट होगी.

यहां देखी स्थिति
आईआईटी रुड़की के प्रो। केएस हरिप्रसाद और प्रो। चंद्रशेखर प्रसाद ओझा शनिवार दोपहर टीम के साथ शहर पहुंचे। ताजमहल के डाउन स्ट्रीम में नगला पैमा व ताज टेनरी में उन्होंने यमुना की स्थिति देखी। यमुना की स्थिति देखते हुए वह नदी के अप स्ट्रीम में कैलाश घाट तक गए। जल निगम व उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से उन्होंने यमुना में आने वाली गंदगी के कारण पूछे। ङ्क्षसचाई विभाग के अभियंताओं से सामान्य दिनों में यमुना के जलस्तर, मानसून में रहने वाले जलस्तर की स्थिति, यमुना की तलहटी में जमा गाद की वजह से बह जाने वाले पानी की जानकारी की। यमुना में 61 नाले सीधे गिरते हैं, जिससे उसमें गंदगी जाती है। यह गंदगी नदी की तलहटी में जमा हो जाती है।

यह हैैं यमुना को प्रदूषित करने वाले कारण
- यमुना में सीधे गिरते नाले
- धोबीघाट
- यमुना में शौच
- मवेशियों का यमुना में नहाना
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91 नाले गिरते हैैं यमुना में
61 नाले सीधे गिर रहे यमुना में
03 यमुना एक्शन प्लान लागू हो चुके हैैं यमुना को साफ करने के लिए
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दिल्ली से प्रदूषित हो रही यमुना
शहर में बड़े नालों की संख्या 90 है। इसमें ज्यादातर नाले यमुना में गिर रहे हैं। इनसे गुजरने वाला सॉलिड वेस्ट भी यमुना में गिर रहा है। इसके चलते यमुना में प्रदूषण का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य ने बताया कि यमुना को नाले तो गंदा कर रहे हैैं, इसके साथ में यमुना को धोबी घाट, मवेशी और यमुना में शौच भी गंदा कर रही है। उन्होंने बताया कि यमुना धोबी घाट को शिफ्ट नहीं किया जा सका है। धोबी घाट पर एसिड युक्त डिटर्जेंट यूज किया जाता है। वहीं यमुना में अभी भी खुले में शौच किया जाता है। डॉ। भट्टïाचार्य ने बताया कि यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषित दिल्ली में हो जाती है। उन्होंने बताया कि यमुना दिल्ली में केवल 22 किलोमीटर बहती हैैं। यहां पर केवल दो परसेंट यमुना का फ्लो है, लेकिन दिल्ली में यमुना को 80 परसेंट तक प्रदूषित कर दिया जाता है। इसके बाद में बल्लभगढ़ आदि से होते हुए यमुना इंडस्ट्री का पॉल्यूशन लेकर आगरा आती है।
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यह है मामला
सीनियर एडवोकेट केसी जैन ने वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट में शहरी क्षेत्र में यमुना में पांच से छह मीटर गहराई तक डीसिङ्क्षल्टग कराने की मांग की थी। 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यमुना में जाम गाद, कीचड़ व गंदगी को तुरंत हटाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के यमुना में डीसिङ्क्षल्टग से स्मारकों और पुलों की नींव के प्रभावित होने के एफीडेविट को खारिज कर दिया था। छह अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी, रुड़की से अध्ययन कराने का आदेश किया था।
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इस समय यमुना में पानी अधिक है। यमुना में जमा गंदगी और उसमें गिरने वाले नालों की स्थिति इस समय नहीं देखी जा सकती है। यमुना की गदंगी में पनपा कीड़ा गोल्डीकाइरोनोमस ताजमहल की सुंदरता को खराब करता है। आईआईटी की टीम को एएसआई से यमुना किनारे पर बने ताजमहल और अन्य स्मारकों, रेलवे व सेतु निगम से पुलों की नींव की स्थिति की जानकारी करनी चाहिए।
- सीनियर एडवोकेट केसी जैन, याची

Posted By: Inextlive