आगरा ब्यूरो जन्माष्टमी पर ब्रजक्षेत्र के आगरा और मथुरा में उपवास के दौरान कुट्टू के आटे की पूडिय़ां और पकौडिय़ां खाने से करीब 500 लोगों की अलग-अलग स्थानों पर तबीयत बिगड़ गई और फूड पॉइजनिंग होने पर मरीजों का हॉस्पिटल्स में तांता लग गया. हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है जब इस तरह से कुट्टू के आटा का सेवन करने से लोग बीमार पड़े हों पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं. आगरा के एनएन मेडिकल कॉलेज में की करीब 150 मरीजों का इलाज चला जिन्हें बुधवार को डिस्चार्ज कर दिया गया. ये सभी मरीज यमुनापार क्षेत्र के टेड़ी बगिया के हैं जहां भंडारे में कुट्टू की पूड़ी खाने से सभी को फूड प्वाइजनिंग हुई है. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स से बात की गई तो उन्होंने आटे में मिलावट को वजह बताया. वहीं दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने उन कारणों को भी तलाशा जिसके चलते कूट्टू की पूड़ी खाकर लोग बीमार हो रहे हैं. आखिर कुट्टू के आटे में ऐसी क्या मिलावट होती है जो लोगों को बीमार कर देता है आइए एक्सपर्ट से जानते हैं...


एसएन में अचानक पहुंचे 150 मरीज जन्माष्टमी पर कुट्टू का आटा खाने से हुई फूड पॉइजनिंग के बाद आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में करीब 150 मरीज इलाज के लिए भर्ती हुए। इनमें से ज्यादातर को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। लेकिन अभी 6 गंभीर मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, इस बारे में अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर मृदुल चतुर्वेदी ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को बताया कि जन्माष्टमी व्रत के फलाहार में कुट्टू के आटे का पकवान खाने से इन सभी को फूड पॉइजनिंग हुई थी। इसके अलावा आगरा एवं मथुरा जनपद के कई हिस्सों में कुट्टू के आटे की पूरी और पकौड़ी खाने से करीब 500 लोग बीमार हुए हैं। एनएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती सभी मरीजों को बुधवार डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से मरीजों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। यह हैं लक्षण


एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि ऐसे मरीजों को पेट में दर्द होने के साथ ही उल्टी और दस्त की शिकायत हो रही थी। कुछ लोगों को पेट में मरोड़ उठ रही थीं, कुछ मरीजों का जी मिचला रहा था। जबकि, किसी-किसी को हल्का बुखार भी आया था। इन सभी को तत्काल इमरजेंसी में भर्ती कर इलाज दिया गया।कुट्टू का आटा लोग पहले से पिसवा के रख लेते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेड होता है जिससे मानसून के सीजन में इस आटे में माइकोटॉकिसन्स बनते हैं। ये तलने से भी कम नहीं होते, लोग दिनभर व्रत रखते हैं फिर इसे खाते हैं। खाते ही पेट में मरोड़ और घबराहट शुरू होने लगती है। ये डिहाइड्रेट भी करता है, कुट्टू के आटे के सेवन के साथ ही पानी की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए। - डॉ। मनीष बंसल, फिजीशियन, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा ---क्या है कुट्टू का आटा? कुट्टू के आटे को 'बकवीट फ्लोरÓ भी कहा जाता है। दरअसल, कुट्टू यानी बकवीट का एक पौधा होता है, जिसकी खेती नार्थ इंडिया और ईस्ट इंडिया में की जाती है। इस पौधे के फूल सफेद होते हैं, जिसके अंदर चने के आकार का एक बीज निकलता है। जब यह बीज गहरे भूरे हो जाते हैं तो इन्हें निकाल लिया जाता है। इन्हीं बीजों की मदद से कुट्टू का आटा तैयार किया जाता है। इन बीजों को अच्छी तरह से सुखाकर पीस लिया जाता है। इसके बाद पिसे हुए आटे को छानने और गूंथने के बाद पूड़ी, पकौड़ी आदि तैयार की जाती हैं।


क्यों हुई तबीयत खराब?प्रोफेसर मृदुल चतुर्वेदी ने बताया कि अभी तक कुट्टू के आटे से बीमार होने वाले मरीजों की हिस्ट्री बताती है कि कई बार यह आटा संक्रमित होता है। जिसे खाने से अचानक लोगों की तबीयत बिगड़ जाती है, इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। जिनमें पहली और प्रमुख वजह है कि यह आटा मुख्य रूप से व्रत में ही इस्तेमाल होता है, रोजाना खाने में इसे नहीं खाते हैं। वहीं, इस आटे को लंबे समय तक स्टोर करके रख सकते हैं। लिहाजा इसकी बिक्री व्रत पर्वों पर ही होती है और कई बार लंबे समय तक गलत तरीके से स्टोर किए जाने या एक्सपायर्ड हो जाने के चलते यह संक्रमित हो जाता है। इसमें फंगल या अन्य तरीके का इन्फेक्शन विकसित हो जाता है और इसे खाकर लोग बीमार पड़ जाते हैं।यह हैं बड़ी वजह- कुट्टू का आटा रोजमर्रा की जरूरतों के बजाय कभी कभी इस्तेमाल होता है, हालांकि इसमें मिलावट अन्य आटों के मुकाबले आसानी से हो सकती है। साथ ही इसके संक्रमित होने और लोगों को बीमार करने के पीछे ये वजहें हो सकती हैं.

- कुट्टू के आटे को खाकर बीमार पडऩे की एक वजह ये हो सकती है कि यह आटा एक्सपायर्ड है और इसमें कोई इन्फेक्शन पैदा हो गया है। गांव-देहात में लोग एक्सपायर्ड डेट भी देखकर नहीं लेते हैं, बस सामान खरीदकर उपयोग कर लेते हैं। यह तरीका जान भी ले सकता है.- कुट्टू के आटे का रंग हल्का ग्रे कलर का होता है, जिसमें आसानी से किसी भी चीज की मिलावट की जा सकती है जो पकड़ में भी नहीं आती। लोग इसमें कुछ भी मिला रहे होते हैं, जो सेहत के साथ खिलवाड़ है.- कुट्टू की फसल पैदा होने के बाद जब उसे पीसा जाता है तो इसमें कई ऐसी चीजें भी पिस जाती हैं, जो जहरीली या सेहत के लिए नुकसानदेह होती हैं।- कुट्टू के आटे में छिपकली या सांप के पिसने या खुले में रखे रहने पर आटे में इनके असर के चलते भी यह आटा जहरीला हो सकता है।- वैसे तो कुट्टू के आटे को करीब 6 महीने तक स्टोर करके रखा जाता है लेकिन इससे ज्यादा समय तक भी दुकानदार इसे रखते हैं और अवसरों पर बेचते हैं। जिसे खाकर लोगों की जान पर बन आती है।अत्यधिक सेवन नुकसानदायक
कुट्टू का आटा वैसे तो पौष्टिक होता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन या गलत तरीके से तैयार करने पर यह पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा जिन लोगों को फूड एलर्जी की समस्या है, उन्हेंं कुट्टू का आटा सेवन से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। बाजार में मिलने वाले कुट्टू के आटे में मिलावट होने की संभावना होती है। जिससे फूड पॉयजनिंग जैसी समस्या पैदा हो सकती है। ज्यादा समय तक रखे हुए आटे का सेवन करने से भी बचना चाहिए। हमेशा शुद्ध और अच्छे ब्रांड का कुट्टू का आटा खरीदें। वहीं, कुट्टू का आटा सीमित मात्रा में खाएं। अत्यधिक सेवन से पेट की समस्याएं हो सकती है। एक दिन में 100-150 ग्राम कुट्टू का आटा पर्याप्त है। ---आगरा में करीब 150 लोग दो दिन में फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए थे। जिनको यहां एडमिट कराया गया। अभी तक सारे मरीज डिस्चार्ज हो गए हैं, कुट्टू के आटे में मॉस्चर से फंगल इंफेक्शन होता है, उससे माइकोटाक्सिन्स बनते हैं। जो फूड पॉइजनिंग की वजह हैं। - प्रो। डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा --- Posted By: Inextlive