Agra News मरीज का समझा दर्द, निभाया अपना 'फर्जÓ
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला जूनियर डाक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या से आक्रोशित एसएन के जूनियर डाक्टर 12 अगस्त से हड़ताल पर हैं। सुबह जूनियर डाक्टर ओपीडी के बाहर धरने पर बैठ गए। पर्चे ना बनें, इसके लिए रजिस्ट्रेशन कक्ष बंद करा दिया। प्राचार्य डॉ। प्रशांत गुप्ता ने ओपीडी में परामर्श के लिए आ रहे मरीजों को परेशानी ना हो, इसके लिए डाक्टर और सीनियर रेजीडेंट को ओपीडी में दोपहर दो बजे तक मरीज देखने के लिए कहा। इसके साथ ही ओपीडी का रजिस्ट्रेशन शुरू करा दिया। इसके कुछ देर बाद ही दोपहर 12.30 बजे जूनियर डाक्टरों ने धरना स्थल पर ही ओपीडी संचालित कर दी। मेडिसिन, नेत्र रोग, चर्म रोग, ईएनटी विभाग के पोस्टर लेकर मेडिकल छात्रों को बिठा दिया। पर्चे लेकर इलाज के लिए भटक रहे मरीजों को जूनियर डाक्टरों ने धरना स्थल पर ही भूमि पर बैठकर परामर्श दिया। रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ। साहिल विज ने कहा कि मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए धरना स्थल पर ओपीडी संचालित की गई। इमरजेंसी और आइसीयू में जूनियर डाक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। वहीं, ओपीडी में 2500 से 3000 मरीज परामर्श के लिए पहुंचते हैं। हड़ताल के चलते 387 मरीजों को ही परामर्श मिल सका। ओपीडी के बाहर जूनियर डाक्टरों के नारेबाजी करने से मरीज लौट गए। ऑपरेशन के लिए मरीजों को एक सप्ताह बाद की तिथि दी गई। वार्ड में भर्ती मरीज छुट्टी कराकर जा रहे हैं।
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-जूनियर डाक्टरों की हड़ताल का नौवां दिन
-ओपीडी में मरीजों को नहीं मिला परामर्श-18000
-आपरेशन टाले गए- 350
-छुट्टी कराकर चले गए मरीज -400
-मंगलवार को ओपीडी में देखे गए मरीज- 387
-वर्ष 2011 में एसएन के प्राचार्य डॉ। धर्म ङ्क्षसह ने दर्ज कराया था मुकदमा -मृतक के परिजन की मारपीट से नाराज डॉक्टर्स ने प्राचार्य से की थी मारपीट आगरा: एसएन के तत्कालीन प्राचार्य से मारपीट और दलित उत्पीडऩ के 13 वर्ष पुराने मामले में आरोपी छह डॉक्टर्स को कोर्ट ने बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट राजेंद्र प्रसाद ने आरोपियों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव और गवाहों द्वारा घटना का समर्थन नहीं करने पर आरोपी डॉक्टर्स को बरी करने के आदेश दिए।
तत्कालीन प्राचार्य ने दर्ज कराया था मुकदमा
घटना नौ अगस्त 2011 की है। एसएन मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ। धर्म ङ्क्षसह ने एमएम गेट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। प्राचार्य का आरोप था कि इमरजेंसी में रेजीडेंट और जूनियर डॉक्टर्स द्वारा हंगामा व नारेबाजी करने की सूचना पर वह पुलिस के साथ वहां पहुंचे थे। इमरजेंसी में एक मरीज की मृत्यु पर उसके परिजनों ने जूनियर डॉक्टर्स से मारपीट कर दी थी। जिसे लेकर वह हंगामा कर रहे थे। उन्होंने हंगामा करते रेजीडेंट डॉक्टर्स को समझाने का प्रयास किया तो उन्होंने मारपीट शुरू कर दी।
प्राचार्य के अनुसार उन्हें जमीन पर गिराकर लात-घूंसों से मारा और जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया। मारपीट के चलते उन्हें दाईं आंख से दिखना बंद हो गया। प्राचार्य की तहरीर पर एमएम गेट थाने में दो रेजीडेंट डॉक्टर्स दुपार गुडे अभिष्यंद भीमराव, करुण शंकर दिनकर के अलावा जूनियर डॉक्टर्स अरुण द्विवेदी, अरङ्क्षवद कुमार, रत्नेश तिवारी और जगतपाल ङ्क्षसह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने डॉक्टर्स के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। अभियोजन की ओर से तत्कालीन प्राचार्य डॉ। धर्म ङ्क्षसह, रेडियोलाजिस्ट डॉ। समरेंद्र नारायण व डॉ। हरि ङ्क्षसह, इमरजेंसी चिकित्सा अधिकारी डॉ। आरबी लाल, नेत्र विशेषज्ञ डॉ। एसके सत्संगी, दंत चिकित्सक एसके कठेरिया, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुनहरी लाल, रवि त्रिपाठी, सीओ सिद्धार्थ वर्मा की गवाही कराई थी।