आगरा. ब्यूरो ताजमहल का नाम दुनियां के सात अजूबों में शामिल है. इसकी पहचान मिसाल-ए-मोहब्बत के तौर दी जाती है. ताज की ही वजह से इस शहर को मोहब्बत की नगरी कहा जाता है.् ताजमहल यूनेस्कों की विश्व धरोहरों में शुमार इमारत है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल ताज महल देखने के लिए करीब 70 से 80 लाख लोग यहां पहुंचते हैं. इनमें बड़ी संख्या में विदेशी भी आते हैं. यही नहीं ऐतिहासिक इमारतों से होने वाली कमाई का सिर्फ 40 प्रतिशत रिवेन्यू सिर्फ ताज से ही आता है. 2017 से 2022 के बीच ताज से लगभग 150 करोड़ का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ. लेकिन इस माह हुई कुछ घटनाओं ने ताज की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए और विवाद पैदा किए. इन सब के बाद अब शहर की होटल और टूरिज्म इंडस्ट्री को डर सताने लगा है कि कहीं इन सब विवादों से ताज पर पर्यटकों का आवागमन कम न हो जाए.

हिन्दू महासभा ने एसएसआई ऑफिस पर किया प्रदर्शन

बीती 6 जुलाई को एक हिन्दूवादी संगठन से जुड़ी महिला मीरा राठौर एक बोतल ले कर ताज पहुंची। वहां भगवा लहराते हुए ये दावा किया। उन्होंने यहां गंगाजल चढ़ाया है। सीआईएसएफ के जवानों ने महिला को पकड़ लिया और माफीनामा लिखवा कर छोड़ दिया। इसके बाद दावा किया गया कि महिला की दिमागी हालत ठीक नहीं थी इसलिए उन्होंने ऐसा किया। बुधवार को महासभा के कार्यकर्ता एएसआई ऑफिस पहुंचे। यहां प्रदर्शन करते हुए कहा कि महिला पूरी तरह स्वस्थ है। और उन्होंने ये सब मैंने बिना किसी दवाव और बिना किसी बहकावे के किया है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर माफी नहीं मांगी गई तो सोमवार को वे फिर से ताज पर गंगाजल चढ़ाएंगे।

पानी की बोतल बैन करने पर विवाद

दो दिन में दूसरी बार ताज पर गंगाजल चढ़ाने का दावा किया गया तो एएसआई और सीआईएसएफ ने ताज पर मुख्य गुंबद में पानी की बोतल ले जाना प्रतिबंधित कर दिया। बुधवार को भी ये प्रतिबंध लागू रहा। मुख्य मकबरे पर चढऩे से पहले चमेली फर्श पर ही पानी की बोतलें जमा करा ली गईं। इससे पर्यटकों को परेशानी हुई। हालांकि एसएसआई का दावा है कि इसके अलावा पूरेे परिसर में पानी ले जा सकते हैं। सिर्फ मुख्य मकबरे पर ही पानी बंद है। हिंदूवादी संगठनों ने सोमवार को प्रदर्शन की चेतावनी दी है। उसको देखते हुए ये व्यवस्था की गई है। साथ ही अंदर एसआई द्वारा पानी की व्यवस्था की गई है। अब होटल इंडस्ट्री समेत कई अन्य लोग इस फैंसले के विरोध में आ गए हैं। उनका कहना है कि इससे पर्यटकों में छवि खराब होगी।

टूरिज्म इंडस्ट्री को सता रहा ये डर

इस शहर की पहचान पूरी दुनिया में ताजमहल से होती है। इस संगमरमरी इमारत को देखने के लिए दुनियां भर से लोग भारत आते हैं। आगरा शहर के आय का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन ही है। एक आंकड़े के मुताबिक आगरा में करीब साढ़े चार लाख लोगों का रोजगार पर्यटन से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि जब भी आगरा में आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आती है। तो ये लोग भी उससे प्रभावित होते हैं। ताज पर किसी भी विवाद का असर आगरा के पर्यटन कारोबार पर पड़ता है। इस इमारत पर इस माह कई विवाद हो चुके हैं। इसलिए इस शहर के व्यापारियों को अब डर सता रहा है। इस हफ्ते में ही दो दिनों में दो बार ताज पर गंगाजल चढ़ाने का दावा किया गया। इसके बाद बुधवार को भी एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने फिर से गंगाजल चढ़ाने की चेतावनी दी है।

-पूरे परिसर में नहीं सिर्फ मुख्य गुंबद में ही पानी की बोतल ले जाना मना है। इस तरफ की घटनाओ को देखते हुए ये डिसीजन लिया गया है। पर्यटकों के लिए पानी की व्यवस्था कर दी गई है। अंदर बोतलें रखवा दी गईं है।
आरके पटेल अधीक्षण पुरातत्वविद

-इस तरह की घटनाओं से पर्यटकों में निगेटिव छवि बनती हैं। इसके अलावा बोतल ले जाना बंद किया है। यहां पर ये न करके ये देखना चाहिए था कि सीआईएसएफ क्या कर रही थी। इससे देशी और बाहर के पर्यटकों पर फर्क पड़ेगा।
प्रह्लाद अग्रवाल प्रेसिडेंट टूरिस्ट वेलफेयर चेंबर

-ताज विश्व धरोहर इमारत है यहां ये सब बिलकुल गलत है। इससे सिर्फ इंडस्ट्री ही नहीं सरकार का राजस्व भी प्रभावित होगा। अगर ऐसा है तो लोग कोर्ट जाएं वहां डिसीजन कराएं। कुछ भी करें ऐसी घटना से पर्यटक प्रभावित होंगे।
राकेश चौहान अध्यक्ष होटल रेस्टोरेंट एसोशियन

-3693 धरोहरें हैं एएसआई के अधिकार क्षेत्र में
-80 लाख पर्यटक आते हैं हर साल ताज देखने
-1965 में किताब से हुआ था विवाद
-22 बंद कमरों को लेकर भी है विवाद

Posted By: Inextlive