Agra News वो रात नटराजपुरम को रुला गई
आगरा (ब्यूरो) शहर भर में दीपावली की रोशनी थी और आसमान आतिशबाजी के रंगों से नहाया था। बेलौन माता मंदिर से दर्शन करके लौट रहे हार्डवेयर कारोबारी के परिवार पर मौत के झपट्टे के बाद आई रात ने नटराजपुरम को रुला दिया। कारोबारी परिवार के घर पर लटक रही रोशनी की झालरें मातम में डूबीं थी। रात 11 बल्केश्वर घाट पर एक साथ सजी चिताओं की लपटों को देख आंखें नम हो गईं। रविवार को अग्रवन में उठावनी में पांच तस्वीरों पर पहनाईं मालाएं देख लोग अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पाए।
शुक्रवार सुबह गए थे बेलौन वाली माता के दर्शन को
कमला नगर की नटराजपुरम कॉलोनी में रहने वाले हार्डवेयर कारोबारी अनुज अग्रवाल और उनके छोटे भाई सौरभ अग्रवाल परिवार सहित शुक्रवार सुबह गंगा स्नान और बेलौन वाली माता के दर्शन को गए थे। लौटते समय हाथरस के चंदपा में कार ऐसी पलटी कि सब कुछ खत्म हो गया। अनुज की पत्नी सोनम, गोद लिया ढाई साल का बेटा निताई, भाई सौरभ की पत्नी रूबी, उनके बेटे चैतन्य और गौरांग की मृत्यु हो गई। वहीं अनुज, उनकी बेटी धन्वी और सौरभ घायल हो गए। सौरभ और धन्वी अभी अस्पताल में हैं। पांचों शव शुक्रवार रात 10 बजे घर पहुंचे तो कोहराम मच गया। इसके बाद जब अंतिम यात्रा शुरू हुई तो पूरी कॉलोनी रो पड़ी। बल्केश्वर घाट पर तीन चिताएं सजाई गईं। एक पर जेठानी सोनम और दूसरी पर रूबी थीं तो तीसरी चिता पर 11 वर्षीय गौरांग और 9 वर्षीय चैतन्य को लिटाया गया। कारोबारी अनुज ने सभी को मुखाग्नि दी। इसके बाद ढाई साल के मासूम को गोद से उतारकर जब यमुना किनारे बनाए गए गड्ढे में लिटाया गया तो अनुज फफक पड़े। हालत यह थी कि उन्हें ढांढस देने वालों की आंखों से आसुओं की धारा बह रही थी। त्योहार की रात श्मसान से लौटने वाले पूरी रात ठीक से सो नहीं पाए। हर घर में यही चर्चा थी कि हे माता ये क्या हो गया?
त्योहार की खुशियों में पसरा मातम
शनिवार की सुबह हुई लेकिन त्योहार की खुशियों की जगह मातम भरा सन्नाटा पसरा था। जिस गली में अनुज का घर है, उसमें करीब 30 घर हैं। अनुज के घर से रुक-रुककर चीत्कार सुनाई देता तो 30 घरों से त्योहार की हलचल भी बाहर नहीं आई। लोग कहते सुनाई दिए कि कल तक यह घर बच्चों से भरा पूरा था, लेकिन आज यहां कोई नहीं रहा। दोपहर तीन से चार बजे तक वाटरवक्र्स स्थित अग्रवन में उठावनी हुई। मंच पर पांचों तस्वीरों पर फूल मालाएं लटकी थीं। उठावनी में धर्म का ज्ञान भी लोगों को ढाढ़ंस नहीं बंधा पा रहा था। हर आंख नम थी और जुबां पर सवाल था कि परिवार कैसे हिम्मत बांधेंगा.-
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कैसे भुला पाएंगे गौरांग और चैतन्य
हार्डवेयर कारोबारी का परिवार प्यार की मजबूत डोर से बंधा था। अनुज अग्रवाल बोदला-सिकंदरा रोड पर हार्डवेयर का स्टोर चलाते थे तो छोटे भाई सौरभ नोएडा में निजी बैंक में थे। सौरभ अपने दोनों बेटे 11 साल के गौरांग और नौ साल के चैतन्य व पत्नी रूबी के साथ दीपावली पर घर आए थे। गौरांग और चैतन्य हमेशा साथ रहते थे। उनके बीच के रिश्ते को परिवार और रिश्तेदार याद करके मायूस हो रहे हैं। सब यही कह रहे हैं कि गौरांग और चैतन्य को कैसे भुला पाएंगे? सौरभ के बेटे निताई को जन्म के बाद ही अनुज ने गोद ले लिया था। निताई दो बहनों इशिता और धन्वी का दुलारा था, लेकिन वह भी नहीं रहा। भाई दूज से दो दिन पहले दोनों बहनों के तीन भाई हमेशा-हमेशा के लिए चले गए। इशिता देवी के दर्शन को नहीं गई थी, जबकि घायल धन्वी अस्पताल में भर्ती है।
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मेरे हाथ से उजड़ गया मेरा परिवार
देवी मां के दर्शन करके लौटते में कार अनुज चला रहे थे। हादसे में कार के एयरबैग से वे सुरक्षित बच गए, लेकिन हादसे ने बुरी तरह तोड़ दिया है। बार-बार एक बात कहकर रो पड़ते हैं कि मेरे हाथों से मेरा परिवार उजड़ गया। पत्नी, अनुज वधू और तीन बच्चों का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी हालत ठीक नहीं है।