Agra News ताल फिरोज खां: अतिक्रमण और गंदगी की भरमार, मौन हुए जिम्मेदार
ये है ताल फिरोज खां का इतिहास
-शहर से करीब पांच किमी की दूरी पर आगरा-ग्वालियर हाइवे पर मधूनगर से आगे जाने पर पर अंदर जाने पर एक तालाब के किनारे ताल फिरोज खां का मकबरा स्थित है। ये स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई द्वारा द्वारा संरक्षित है। फिरोज खां शाहजहां के दरबार का महत्वपूर्ण व्यक्ति था। इसके साथ ही वह शाही हरम का प्रभारी भी था। इसको दीवान-ए-कुल के पद पर पदोन्नत भी किया गया था। साल 1637 में उसकी मृत्यु हो गई थी। ताल फिरोज खां दो मंजिला इमारत है। रेड सैंड स्टोन से बना यह मकबरा अष्टकोणीय है। उसके ऊपर गोल गुंबद है। इसकी बाहरी दीवारों पर पच्चीकारी व कार्विंग का बहुत ही सुंदर काम है। फिरोज खां ने अपने जीवन काल में ही इस मकबरे का निर्माण कराना शुरू कर दिया था। उसकी मौत के बाद उसे यहां दफन किया गया। यह स्थान उसकी जागीर था और यहां बने तालाब के पानी का इस्तेमाल मुगलकाल में सिंचाई के लिए किया जाता था।
ये है इमारत की खासियतताल फिरोज खां अष्ठकोणीय इमारत का शानदार गुंबद है। इस स्मारक की दीवार दो मंजिला है इसको लाल बलुई पत्थर से तैयार किया गया था। मकबरा अष्ठकोणीय है और उसके ऊपर गोल गुंबद है इसकी बाहरी दीवारों पर पच्चीकारी व कार्विंग का मुगलकालीन सुंदर काम है। मुगल काल में पानी बचाने के तरीकों का ये नायाब उदाहरण है यहां बने तालाब के पानी का इस्तेमाल उस दौर में सिंचाई के लिए किया जाता था।
मकबरे को बनाया है शराबियों ने अड्डा मकबरे में असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। वो यहां जुआ खेलते हैं। शराब पीते हैं। मुख्य स्मारक में ताला लगा हुआ है। कहने को तो एएसआई ने यहां एक कर्मचारी तैनात कर रखा है। जो कि वो मकबरे पर ताला लगाकर रखता है। जिसकी चाबी स्थानीय लोगों के पास रहती है। मकबरे में जगह जगह शराब की बोतलें पानी की बोतलें, सिगरेट के पैकेट और अन्य नशे के सामान पड़े रहते हैं। इसके साथ ही यहां असमाजिक तत्वों और शरारती लोगों का दिन भर जमावड़ा रहता है। मकबरे की हालात बद से बदतर हो चुकी है। लेकिन जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।अतिक्रमण गंदगी और जर्जर दीवार
ऐतिहासिक स्मारक ताल फिरोज खां की दीवारें टूट कर गिर रही हैं। मकबरे के अंदर तक स्थानीय लोगों ने कब्जा कर रखा है। मकबरे की दीवारों को स्थानीय लोगों ने कपड़े सुखाने के काम में ले लिया है। आस पास इतनी बहुमंजि़ला इमारत बन गईं हैं कि स्मारक को ढूंढऩा तक मुश्किल हो जाता है। बाहर की तरफ दीवारों के गैप में खाली शराब की बोतलें स्थानीय लोगों ने रख दी हैं। मकबरे की बाहरी दीवार की तरफ शादी के बैंड और अन्य सामान रख दिए हैं। तालाब जिससे मुगलकालीन दौर में सिंचाई की जाती थी उसमें गंदगी के अंबार लगे हैं। जो इमारत ऐतिहासिक है जो स्मारक मुगलकाल की शान हुआ करता था अब पर्यटकों के लिए तरस रहा है।
जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला स्मारकों की अनदेखी पर चलाए जा रहे अभियान को लेकर जब ताल फिरोज खां की बदहाल स्थिति पर जब अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआई राजकुमार पटेल से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हो सका। -ऐतिहासिक इमारत के तालाब को कुछ समय पहले नगर निगम ने साफ़ करवाया था। लेकिन इसकी स्थिति फिर से वैसी ही हो गई है। जैसी पहले थी यहां तो पहुंचना ही मुश्किल है।-आशुतोष अग्निहोत्री
-मुगलकाल की भव्य कला का नमूना है। ये इमारत इसके बाद भी लगातार इसकी उपेक्षा की जा रही है पर्यटक तो कभी यहां देखे ही नहीं इमारत काफी समय से बंद पड़ी है।
-रिषभ
-गायत्री -मुगलकाल की इस धरोहर को अगर ठीक कर दिया जाए, तो यहां पर विकास भी होगा, लेकिन अब लगता नहीं है कि इस स्मारक में काम होगा।
-रुपेश