उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज जोन ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर एक और कदम उठा रहा है. वंदे भारत एक्सप्रेस के अलावा गतिमान राजधानी शताब्दी एक्सप्रेस को ट्रेन कोलिजन बचाव प्रणाली टीसीएएस या कवच की सुरक्षा मिलने जा रही है. इन ट्रेनों के इंजन में प्रणाली को लगाया जाएगा. इससे ट्रेनों के टकराने या फिर सिग्नल ओवर शूट की घटनाओं पर अंकुश लगेगा.

अवधेश भारद्वाज
आगरा (ब्यूरो) उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज जोन ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर एक और कदम उठा रहा है। वंदे भारत एक्सप्रेस के अलावा गतिमान, राजधानी, शताब्दी एक्सप्रेस को ट्रेन कोलिजन बचाव प्रणाली (टीसीएएस या कवच) की सुरक्षा मिलने जा रही है। इन ट्रेनों के इंजन में प्रणाली को लगाया जाएगा। इससे ट्रेनों के टकराने या फिर सिग्नल ओवर शूट की घटनाओं पर अंकुश लगेगा। 82 किमी लंबे पलवल-भूतेश्वर स्टेशन के मध्य वंदे भारत एक्सप्रेस के कई परीक्षण भी हो चुके हैं।

लगाया गया कवच
रेलवे ने नई दिल्ली-आगरा रेल खंड में पलवल से भूतेश्वर स्टेशन के मध्य स्वचालित सुरक्षा प्रणाली कवच लगा दिया है। इंजन और वंदे भारत एक्सप्रेस के अब तक छह परीक्षण हो चुके हैं। यह सभी परीक्षण विगत दो वर्ष में हुए हैं। प्रत्येक परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा है। ट्रेन को रोकने में लोको पायलट का योगदान नहीं रहा है। नई वंदे भारत एक्सप्रेस में कवच लगकर आ रहा है। उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज जोन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी कवच के सफल परीक्षण होने के बाद गतिमान, राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस के इंजनों में भी कवच लगेगा। इससे काफी हद तक दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।

ऐसे काम करेगा कवच

82 किमी लंबे ट्रैक में इलेक्ट्रानिक उपकरण लग चुके हैं। यह रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन उपकरणों का एक सेट है। जिसे इंजन और ट्रैक पर लगाया जाता है। इससे सिग्नल ओवर शूट होने की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा।

अगर ट्रेन के रूट पर लाल सिग्नल है, तो कवच के कारण ट्रेन में 50 मीटर पहले ही ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएगा। अगर ड्राइवर रेड सिग्नल पर ध्यान नहीं भी देगा, तो कवच के कारण ट्रेन खुद खड़ी हो जाएगी।

कवच सिस्टम ट्रेन की स्पीड को भी कंट्रोल करेगा। अगर ट्रेन की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा है, तो खतरा महसूस होने पर ट्रेन की स्पीड धीमी हो जाएगी।

अगर ट्रेन लूप लाइन से गुजर रही है, तो कवच के कारण ट्रेन की स्पीड घट कर 30 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी। इससे ट्रेन के पटरी से उतरने या टकराने की संभावना कम हो जाएगी।

कवच सिस्टम स्टेशन मास्टर के ऑर्डर पर भी काम करेगा। अगर कोई स्टेशन मास्टर ट्रेन को रेड फ्लैग दिखाता है, तो कवच के कारण फौरन ट्रेन में ब्रेक जाएगा।

कई बार रेलवे क्रॉसिंग से गुजरते हुए ड्राइवर हॉर्न बजाना भूल जाता है। मगर कवच इंस्टॉल होने पर ट्रेन में खुद-ब-खुद हॉर्न बजने लगेगा। इससे रेलवे क्रॉसिंग के आसपास मौजूद लोग और जानवर भी सावधान रहेंगे और ट्रैक से फौरन हट जाएंगे।

कवच सिस्टम लागू होने के बाद लोको कैब में अगले सिग्नल की जानकारी मिल जाएगी। ड्राइवर ट्रेन का अगला सिग्नल देखकर ब्रेक लगाने की तैयारी कर सकता है और ट्रेन की स्पीड को भी उसी तरह से मैनेज कर सकता है।

अगर ट्रेन को रेड सिग्नल मिला है, तो कवच सिस्टम ड्राइवर को ट्रेन क्रॉस करने से रोक सकता है। अगर ड्राइवर जानबूझ कर रेड सिग्नल पर ट्रेन ले जाता है, तो ट्रेन खुद रुक जाएगी। इससे बड़ा हादसा टाला जा सकता है।


एमटीआरसी भी हादसे रोकने मेें मददगार
मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम ट्रेन हादसे रोकने में मदद करेगा। अभी फिलहाल इस सिस्टम को ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर लगाया जाएगा। इस मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम के माध्यम से ट्रेन के लोको पायलट रेलवे कंट्रोल रुम और एसएम से सम्पर्क कर सकेंगे। अभी तक लोको पायलटों पर वॉकी-टॉकी उपलब्ध रहता है। वॉकी-टॉकी के माध्यम से लोको पायलट और गार्ड ही आपस में बात कर पाते थे। जब ट्रेन स्टेशन के नजदीक पहुंचती थी, उसी दौरान स्टेशन मास्टर से सम्पर्क हो पाता था। अगर ट्रेन स्टेशन से दूर हो तो स्टेशन मास्टर से सम्पर्क नहीं हो पाता था, लेकिन एमटीआरसी सिस्टम के माध्यम से लोको पायलट हर समय रेलवे कंट्रोल रुम और स्टेशन मास्टर के सम्पर्क में रह सकेंगे। मौजूदा समय में एमटीआरसी 2.5 हजार किमी। के दायरे पायलट प्रोजेक्ट के रुप में चल रहा है। कुछ स्टेशन पर ये व्यवस्था लागू हो चुकी है। ऐसे में अगर कोई लोको पायलट रेलवे ट्रैक को क्रेक देखता है। तो वह इसकी सूचना रेलवे के कंट्रोल रुम को दे सकेगा। सूचना मिलने पर जरुरी इंतजामात किए जा सकें।

Posted By: Inextlive