आगरा. ब्यूरो बच्चों में पुलिस का इतना डर होता है कि गली-मोहल्ले में पुलिसकर्मी दिखने पर बच्चे अपने घरों के कौने में छुप जाते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. जरूरी है कि पुलिस चाइल्ड फ्रेंडली हो. इसीलिए अब पुलिसकर्मी जुवेनाइल के साथ खाकी वर्दी में नहीं बल्कि सादे कपड़ों में नजर आएंगे. इससे जुवेनाइल की सोच पुलिस के प्रति चेंज होगी कि पुलिस उनकी दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त हैं.

बच्चों को चॉकलेट देकर करेगी पुलिस दोस्ती
अपर पुलिस उपायुक्त प्रोटोकॉल पूनम सिरोही ने बताया कि हर थाने में सब इंस्पेक्टर रैंक के बाल कल्याण अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। इससे पहले सभी को ट्रेंड किया जाएगा कि बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। इसके साथ पब्लिक प्लेस पर बच्चों को पकडऩे से पहले उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा, जिसमें पुलिस पूरी तरह चाइल्ड फ्रेंडली नजर आएगी। इस दौरान बच्चों को चॉकलेट देना, उनका मनपसंद खाना भी देगी, जिससे बच्चे सिविल ड्रेस में पुलिस को अपना फ्रेंड समझेंगे, पुलिस को भी आसानी रहेगी

जुवेनाइल की बेहतरी पर मंथन
एसीपी और थाना प्रभारियों को अपडेट किया गया है कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) के लिए अधिकारियों को बाल अपराध से जुड़े मामलों में बीएनएस की जानकारी दी गई। इसके साथ आने वाले सुझावों को भी सभी के बीच शेयर किया गया, जिससे जुवेनाइल की सुरक्षा को लेकर बेहतर कदम उठाए जाएं।

बच्चों की कराएंगे काउंसलिंग
अक्सर देखा गया है कि पब्लिक प्लेस पर जुवेनाइल को सर्च करने जाते समय कुछ रुल्स को दरकिनार कर दिया जाता है। कानून का उल्लंघन करने वाले जुवेनाइल को पकड़ते समय, पूछताछ व किशोर न्याय बोर्ड व बाल कल्याण समिति में उन्हें पेश करते समय पुलिस अधिकारी एवं पूछताछ करते वक्त बाल कल्याण पुलिस अधिकारी सिविल ड्रेस में रहेंगे।


जुवेनाइल में नहीं रहेगा डर
पुलिस लाइन में किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समिति समेत अलग-अलग विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। अपर पुलिस उपायुक्त प्रोटोकॉल पूनम सिरोही ने कहा कि पुलिस की वर्दी में जुवेनाइल के अलावा अन्य लोग भी पुलिस के सामने अपनी बात नहीं रख पाते है। पुलिसकर्मी सादा वर्दी में रहेंगे तो जुवेनाइल बिना किसी डर के ज्यादा जानकारी दे सकेंगे।

क्या है पॉक्सो एक्ट
अपर पुलिस उपायुक्त पूनम सिरोही ने बताया कि पॉक्सो एक्ट का पूरा नाम प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्र ॉम सेक्सुअल ऑफेन्स एक्ट है। इसे हिन्दी में बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम भी कहा जाता है। इसके लाने की सबसे बड़ी वजह यही थी कि इससे नाबालिग लडृके, लड़कियों को यौन उत्पीडऩ के मामलों में संरक्षण दिया जा सके।


पॉक्सो एक्ट में सजा का प्रावधान
पॉक्सो एक्ट में कई तरह की सजाओं का प्रावधान है। इसमें दोषी को 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

कौन हो सकता है दोषी
पॉक्सो एक्ट के तहत सिर्फ मेल को ही सजा नहीं दी जाती बल्कि अगर किसी महिला द्वारा भी यौन अपराधों का कृत्य किया गया है तो दोषी पाए जाने पर महिला को भी उतनी ही सजा सुनाई जाती है, जितनी कि किसी मेल को।


आगरा कमिश्नरेट के हर थाने में एक सब इंस्पेक्टर रैंक का बाल कल्याण अधिकारी नियुक्त किया जााएगा। ये सभी सिविल ड्रेस में रहेंगे। जिससे जुवेनाइल खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। इस दौरान जुवेनाइल से जुडे अलग-अलग संगठनों के द्वारा बीएनएस पर मंथन किया गया, सभी ने अपने सुझाव शेयर किए हैं।
पूनम सिरोही, अपर पुलिस उपायुक्त प्रोटोकॉल


इन्होंने दिए सुझाव
-किशोर न्याय बोर्ड
-बाल कल्याण समिति,
-स्वास्थय विभाग,
-शिक्षा विभाग,
-श्रम विभाग,
-जिला बाल कल्याण अधिकारी,
-अभियोजन अधिकारी,
-रेलवे पुलिस एवं राजकीय रेलवे पुलिस,
-बाल संरक्षण गृह,
-समस्त थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारी
-जिला बाल संरक्षण अधिकारी रितु वर्मा,
-सामाजिक संगठन जन साहस

Posted By: Inextlive