Aूgra News अब तो डेंगू की आहट से ही डर लगता है
इन जगहों पर हैं डेंगू के परमानेंट ठिकाने
ये हैं सेंसटिव एरिया -मोती कटरा-मंटोला
-राधे वाली गली
-कैलाश मंदिर
-महादेवी नगर नाई की सराय बरसात और उमस के बीच डेंगू का मच्छर पनप जाता है और लोगों को अपनी जद में ले लेता है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी घर-घर जा कर अभियान चला कर डेंगू से लडऩे और इसके बचाव के लिए जागरूक कर रहीं हैं। इसके अलावा नगर निगम की टीमें भी अलग अलग इलाकों में फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव कर रहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक आगरा जिले के रूरल में 104 और शहरी क्षेत्रों में 95 इलाके डेंगू के लिए सेंसटिव हैं। यहां अलग से अभियान चलाए जा रहे हैं लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सेंसटिव इलाकों के लिए ये है योजना
शहर में 104 रूरल और 95 अर्बन के एरिया डेंगू के लिए सेंसटिव हैं। पिछली बार जब 2021 में जब डेंगू ने कहर बरपाया था। तब इन इलाकों में अधिक केस थे। इन जगहों पर स्वास्थ्य विभाग डोर टू डोर सर्वे कर रहा है। यहां साफ सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है। यहां स्वास्थ्य विभाग की टीम आशाओं के साथ लगातार कॉन्टेक्ट में रहती हैं। अगर किसी को भी बुखार जैसे कोई लक्षण हैं, तो उसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी जाती है। यहां नियमित जांच शिविर लगाए जाते हैं। इसके अलावा समय समय पर एंटी लार्वा का छिड़काव भी सेसेंटिव जगहों पर किया जाता है।
इसलिए फेल होता है प्लान फॉगिंग के नाम पर होती है खानापूर्तिएक्सपर्ट्स के मुताबिक डेंगू का मच्छर फॉगिंग से नहीं मरता। इसके लिए एंटी लार्वा का छिड़काव जरुरी है। तब ही ये मच्छर मरता है। नगर निगम हर बार फॉगिंग करता है। इससे डेंगू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। एक्सपर्ट बताते हैं कि डेंगू का मच्छर एंटी लार्वा के छिड़काव से मरता है। जिसका छिड़काव नहीं हो पाता है। इसलिए प्लान फेल हो जाता है। सफाई के नाम पर रस्म अदायगी संचारी रोगों से लड़ाई के लिए हर साल शहर में अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन ये अभियान सिर्फ कागजों में ही सिमट जाते हैं। नतीजा हर बार एक्शन प्लान तो बनता है लेकिन इनका पालन नहीं होता और डेंगू पनप जाता है। कई कॉलोनियां तो पूरे मानसून के सीजन में ही गंदगी से भरी रहती हैं। अन्य विभागों की लापरवाही
डेंगू से लडऩे के लिए हर साल अभियान चलाए जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अलावा शहर के एक दर्जन भर विभाग मिल कर इससे जंग लड़ते हैं। लेकिन ये सब सिर्फ कागजों में ही सिमट जाता है और अभियान के नाम पर अन्य विभागों के द्वारा खानापूर्ति कर दी जाती है। इससे डेंगू का लार्वा पनप जाता है।
अवेयरनेस का अभाव जिला मलेरिया अधिकारी राजेश गुप्ता के मुताबिक शहर के कई पॉश इलाकों में लोग एंटी लार्वा के छिड़काव में सहयोग ही नहीं करते। हाल ही में एक पाश कॉलोनी में घर के बाहर रखे पानी के टैंक में लोगों ने एंटी लार्वा दवा का छिड़काव नहीं करने दिया। कई बार समझाने के बाद भी लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए। जागरूकता का अभाव भी डेंगू के पनपने में बड़ी वजह बनता है। स्वास्थ्य विभाग की 16 टीमें शहर भर में काम कर रहीं हैं। इसके अलावा मेरे द्वारा भी सेंसटिव एरिया की विजिट और मॉनिटरिंग की जाती है।राजेश कुमार गुप्ता जिला मलेरिया अधिकारी संचारी रोग नियंत्रण के लिए शहर के अलग- अलग इलाकों में फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है। जो जगह बची हैं। सूचना पर वहां भी छिड़काव किया जाता है।
डॉ संजीव वर्मा नगर स्वास्थ्य अधिकारी
कई बार संबंधित को शिकायत कर ली है लेकिन यहां साफ सफाई प्रॉपर नहीं हो पा रही है। कई बार खानापूर्ति होती है। डेंगू यहां तो कभी भी आ सकता है।
मोती कटरा
राधे वाली गली हल्की सी बरसात में ही यहां नाले ओवर फ्लो हो जाते हैं। पानी सड़कों पर आ जाता है और गंदगी यहां जमा हो जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं करता।
कैलाश मंदिर वैसे तो स्वास्थ्य विभाग की टीमें यहां आती हैं। सर्वे भी करती हैं और फॉगिंग भी करती हैं, लेकिन ये काफी नहीं है, हमें भी सुधार करना होगा।
मंटोला घरों के बाहर लोग कूड़े के ढेर लगा लेते हैं। इसके कई बार स्वास्थ्य विभाग नगर निगम की टीमों ने इसके लिए उन्हें चेतावनी भी दी हैं। लेकिन लोग नहीं सुधर सकते।
-104 सेंसटिव हैं आगरा जिले में डेंगू के लिए
-16 टीमें काम कर रहीं हैं स्वास्थ्य विभाग की
-95 एरिया सेंसटिव हैं अर्बन में
-1 केस एक्टिव है शहर में डेंगू का