Cyber Alert: आधुनिक भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग सोशल मीडिया पर अधिक एक्टिव रहते हैं. यही वो दौर है जहां लोग लाखों में दोस्त बना कर रखते हैं. अलग अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लोगों के दोस्त होते हैं. इन्हे वर्चुअल दोस्त कहा जाता है. जब से सोशल मीडिया का दौर शुरू हुआ है साइबर ठगी भी बढ़ गई है. साइबर ठग अलग अलग तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं. अधिकांश लोग वर्चुअल फ्रेंड बढ़ाने की चाहत में इसका शिकार हो जाते हैं.

आगरा.(ब्यूरो) Cyber Alert: आधुनिक भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग सोशल मीडिया पर अधिक एक्टिव रहते हैं। यही वो दौर है जहां लोग लाखों में दोस्त बना कर रखते हैं। अलग अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लोगों के दोस्त होते हैं। इन्हे वर्चुअल दोस्त कहा जाता है। जब से सोशल मीडिया का दौर शुरू हुआ है साइबर ठगी भी बढ़ गई है। साइबर ठग अलग अलग तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। अधिकांश लोग वर्चुअल फ्रेंड बढ़ाने की चाहत में इसका शिकार हो जाते हैं। और जाने अनजाने में इन वर्चुअल फ्रेंड के नाम पर ठगी का या ब्लैकमेलिंग का शिकार हो जाते हैं। अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जिनकी असल जिंदगी में दोस्तों की संख्या कम होती है। लेकिन उनके वर्चुअल फ्रेंड काफी होते हैं जिनके बीच ये रहते हैं। लेकिन कभी कभी इंटरनेट के वर्चुअल दोस्त अभिशाप बन जाते हैं।

साइबर ठगों का नया हथियार है वर्चुअल फ्रेंड

साइबर ठग नए नए हथकंडों से हर रोज साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। शहर में कभी डिजिटल अरेस्ट तो कभी एआई वॉइस क्लोनिंग से या फिर सेक्सटॉर्शन के नाम पर साइबर ठगी कर रहे हैं। पुलिस कई बार इन घटनाओं के लिए अलर्ट जारी कर चुकी है। साइबर ठगों ने आजकल सोशल मीडिया पर दोस्ती का झांसा देकर लोगो से ठगी करने का नया पैटर्न बना लिया है। शातिर साइबर ठग पहले आपके वर्चुअल फ्रेंड बन कर आपका विश्वास जीतेंगे फिर आपसे आपकी निजी जानकारी हासिल कर उनसे कई अलग अलग तरह के हथकंडे अपनाकर ठगी करते हैं।

ये है पैटर्न

-सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बढ़ते साइबर जालसाज यहीं अपना शिकार तलाशते हैं। पहले ये फर्जी प्रोफाइल बनाकर लोगों के पास दोस्ती के लिए रिक्वेस्ट भेजते हैं। रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही ये अपनी बातों में फंसाकर उनसे उनकी निजी जानकारी हासिल कर लेते हैं। इसके बाद शुरू होता है इनका ब्लैकमेलिंग का खेल। कई बार ये लोग अलग अलग नामों से प्रोफाइल बनाते हैं इसके बाद ये आपकी वर्चुअल फ्रेंड लिस्ट में आ जाते हैं। जाने अनजाने में कई बार लोग इनको अपनी निजी जानकारी दे देते हैं। बस यहीं से ये लोग अपना काम शुरू कर साइबर ठगी करते हैं।

सेक्सटॉर्शन है सबसे बड़ा खतरा

-अक्सर साइबर ठग वर्चुअल दोस्ती में सेक्सटॉर्शन की घटनाओं को अधिक अंजाम देते हैं। इनका सॉफ्ट टारगेट या तो कम उम्र के लोग होते हैं या फिर अधिक एज के लोग। पहले ये लोग फेक आईडी बना कर लोगों की वर्चुअल लिस्ट में शामिल होते हैं। कई बार ये लड़की का अकाउंट होता है यहां दोस्त बन कर अच्छे से बात की जाती है इसके बाद भरोसे में ले कर वीडियो कॉल किया जाता है। ये शातिर बड़ी ही सफाई से इस वीडियो कॉल को रिकार्ड कर लेते हैं। फिर डीप फेक तकनीक की सहायता से इस वीडियो को एडिट कर ब्लैकमेलिंग शुरू कर देते हैं। इस तरह बड़ी ही आसानी से वर्चुअल फ्रेंड इस तरीके से साइबर ठगी करते हैं।

हनी ट्रैपिंग का रहता है खतरा

- आजकल हनी ट्रैपिंग ठगी का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। साइबर ठग हनी ट्रैप को सबसे अधिक यूज कर रहे हैं। इसके लिए ये लोग पहले लोगों की वर्चुअल फ्रेंड लिस्ट में शामिल होते हैं। शातिर साइबर ठग आमतौर पर बड़े प्रोफाइल या ऐसे लोगों को शिकार बनाते हैं जिन्हें सोशल मीडिया के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। ऑनलाइन बातों के जरिये पहले उन लोगों को भरोसे में लिया जाता है। इसके बाद इन लोगों के प्राइवेट फोटो और वीडियो लेकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। इस तरह वर्चुअल फ्रेंड के नाम पर बड़े ही आराम से लोगों को हनी ट्रैप का शिकार बना लिया जाता है।

छोटे बच्चों को करें अधिक अवेयर

-वर्चुअल फ्रेंड की दुनिया में साइबर अपराधी पहले बच्चों से नजदीकियां बनाते हैं। इसके बाद अक्सर दोस्ती के बहाने छोटे बच्चों व लड़कियों को मिलने बुलाते हैं। ये पैटर्न अलग अलग रहता है। कभी दोस्ती से मिलने का बहाना तो कभी नौकरी देने के बहाने से। इन लोगों को बुलाकर अलग अलग तरीके से ट्रैप करके क्राइम को अंजाम देते हैं। साइबर ठग कई बार वर्चुअल किडनैपिंग का नाटक कर इन लोगों से फिरौती की मांग भी करते हैं।

ऐसे बचे फ्रेंडशिप फ्र ॉड से

- सोशल मीडिया पर किसी को भी अपनी पर्सनल जानकारी न दें.
- सोशल मीडिया पर किसी से अपना कोई भी निजी डेटा न शेयर करें.
-अपनी प्रोफाइल पर प्राइवेसी सेटिंग जरूर लगा लें.
- बच्चों के सोशल मीडिया प्लेटफार्म की समय समय पर जांच करते रहें.
- बच्चों को साइबर धोखाधड़ी के बारे में बताएं.
- किसी के कहने पर कोई लिंक या किसी भी प्रकार का सॉफ्टवेयर डाउनलोड ना करें.
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी संदिग्ध एक्टिविटी पर साइबर सेल को सूचना दें.

केस एक-

-सदर क्षेत्र की एक किशोरी के इंस्टाग्राम पर लड़की के नाम की आईडी से फ्रेंड रिक्वेस्ट आई। किशोरी से इस आईडी पर बातें होने लगी सामने भी लड़की ही थी। कुछ टाइम बाद लड़की को वीडियो कॉल किया गया जिसको रिकार्ड कर एडिट कर किशोरी को ब्लैक मेल किया गया पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।


केस दो-

-सरकारी विभाग से रिटायर बुजुर्ग की फेसबुक पर उनके दोस्त के नाम से रिक्वेस्ट आई। बुजर्ग की बात होने लगी धीरे धीरे करके उनसे उनकी पर्सनल जानकारी ले ली। बाद में उनके कार्ड से कुछ पैसे निकाल लिए गए, पुलिस की शिकायत दर्ज कराई गई।

Posted By: Inextlive