आगरा. ब्यूरो तीन दिनों में नेशनल हाईवे-19 दो बार पानी में डूब गया. सैकड़ों वाहन फंसे रहे और हजारों लोग पांच से सात घंटे तक परेशान रहे. हाईवे की इंजीनियङ्क्षरग में कहीं न कहीं खामी रह गई है. जल निकासी का किस तरीके से इंतजाम होना चाहिए था उस पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एनएचएआई मथुरा खंड के अधिकारियों का ध्यान नहीं दिया. रुनकता से वाटरवक्र्स तक हाईवे के दोनों तरफ के नाले की तलीझाड़ सफाई नहीं की गई. नाले के पास झाडिय़ां उग आई हैं. न ही अंतिम छोर में ठीक तरीके से ढलान दिया गया है. सिकंदरा से रुनकता के मध्य दर्जनभर फैक्ट्रियों का गंदा पानी नाले में गिर रहा है. रुनकता कस्बा का आधा हिस्सा शामिल है. इससे जरा सी बरसात में नाला बैक मारने लगता है. हाईवे और सर्विस रोड में गंदा पानी भरने लगता है.

ढलान भी प्रॉपर नहीं था
दिल्ली-आगरा हाईवे शुरुआत में दो लेन था। एनएचएआइ मथुरा खंड ने वर्ष 2002 में इसे चार लेन करने का प्रस्ताव तैयार किया था। वर्ष 2003 में यह कार्य शुरू हुआ। रुनकता से वाटरवक्र्स तक जल निकासी के लिए नाला निर्माण का प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ। यहां तक हाईवे और सर्विस रोड का ढलान भी समुचित नहीं था। इससे डिवाइडर की तरफ वर्षा का पानी भरने लगता था। शिकायत होने के बाद कुछ जगहों पर अधिकारियों ने रोड को कुछ ऊंचा कराया। वर्ष 2012 में हाईवे को छह लेन बनाने का कार्य शुरू हुआ। इस कार्य में 28 करोड़ रुपये से नाला निर्माण का प्रस्ताव बना। नाला हाईवे के दोनों तरफ बनना था। रुनकता और सिकंदरा में कुछ जगहों पर सोख्ते के गड्ढे भी बनाए गए। नाला निर्माण के दौरान सिर्फ हाईवे के पानी की निकासी पर फोकस किया गया। वर्ष 2019 से 2022 के मध्य नाला में सबसे अधिक नालियां जोड़ी गईं। एनएचएआइ अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर रस्म अदायगी की। दर्जनभर से अधिक फैक्ट्रियों ने भी नाले में पाइप कनेक्ट करा दिए। रुनकता कस्बा, सिकंदरा तिराहा सहित अन्य क्षेत्रों का पानी आने लगा।

नाला सफाई पर नहीं ध्यान
सेवानिवृत्त इंजीनियर बीके चौहान ने बताया कि हाईवे को हर दिन 50 लाख रुपए का टोल मिलता है। ऐसे में नाला सफाई का कार्य नियमित अंतराल में होना चाहिए लेकिन इस कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। नाले में सिल्ट जमा हो चुकी है। कचरा भी फंस चुका है। इससे ठीक तरीके से जल निकासी नहीं हो पाती है। नगरायुक्त के आवास के सामने और सिकंदरा सब्जी मंडी अंडरपास के पास जल निकासी का समुचित इंतजाम नहीं किया गया। यहां इंजीनियङ्क्षरग में भी खामी है। सेवानिवृत्त इंजीनियर टीके शर्मा का कहना है कि जिन स्थलों पर पानी भरता है, उन सभी स्थलों की एक बार फिर से जांच होनी चाहिए। ऐसा न होने पर जलभराव की समस्या से निजात नहीं मिलेगी।
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कमिश्नर जल्द करेंगी बैठक
हाईवे पर जलभराव की समस्या को लेकर कमिश्नर रितु माहेश्वरी जल्द बैठक करेंगी। जलभराव के निस्तारण की रिपोर्ट एनएचएआई अधिकारियों से मांगी गई है। जल्द ही संयुक्त टीम सर्वे भी कर सकती है।
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हाईवे के किनारे कूड़े के ढेर
रुनकता के पास हाईवे के किनारे कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। जलभराव होने पर कूड़ा बहकर नाले में पहुंच जाता है। इससे नाला जाम हो जाता है। जलभराव खत्म होने के बाद गंदगी फैली रहती है।
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तेज शू फैक्ट्री के सामने खोला गया कट
एनएचएआई ने शनिवार को हाईवे स्थित तेज शू फैक्ट्री के सामने कट को खोल दिया। यह कट एक साल पूर्व बंद हुआ था। इससे वाहनों का आवागमन आसानी से हो सकेगा। हालांकि कट को खोलने की मांग लंबे समय से चल रही थी।
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- आगरा से दिल्ली सामान लेकर जा रहा था। अरतौनी फ्लाईओवर के पास जलभराव के चलते ट्रक बंद हो गया। मिस्त्री को बुलाना पड़ा। पानी भरने से इंजन सीज हो गया था। दस घंटे में इंजन को ठीक किया जा सका।
धर्मेंद्र ङ्क्षसह, चालक, फिरोजाबाद

- जाम में दो ट्रक भी फंस गए। पचोखरा पशु हाट से भैसों को खरीदकर मथुरा जा रहा था। दो पड्डों की मृत्यु हो गई। ट्रैक्टर से दोनों ट्रक को बाहर निकलवाना पड़ा। तीन हजार रुपये दिए।
मोहम्मद दीन, चालक, मथुरा

- रोडवेज बस में 25 सवारियां सफर कर रही थीं। जलभराव से इंजन सीज हो गया। सवारियों को दूसरी बस में बैठाकर नई दिल्ली के लिए रवाना किया गया। जलभराव के चलते परेशान होना पड़ा।
अजीत ङ्क्षसह, एत्मादपुर

टैंकर और पंपसेट लगाकर हाईवे से गंदे पानी की निकासी की गई है। एक फैक्ट्री से पाइप भी जब्त किया गया। नाले में गलत तरीके से पाइप जोड़ दिए गए हैं। इसकी जांच की जा रही है।
नरेंद्र चौधरी, इंसीडेंट मैनेजर, एनएचएआई

Posted By: Inextlive