आगरा. ब्यूरो निजी हाथों में जाने के बाद भी शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो सकी. डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का दावा किया जाता है लेकिन गलियों में से कूड़ा कलेक्ट करने के लिए कोई संसाधन नहीं है. कूड़े का निस्तारण करने के लिए कुबेरपुर में वेस्ट टू कंपोस्ट प्लांट लगाया हुआ है लेकिन इसकी क्षमता भी 500 टीपीडी टन पर डे है जो शहर से रोज निकलने वाले औसतन कूड़े 950 मीट्रिक टन के सामने नाकाफी है.

प्राइवेट कंपनी के हाथ में व्यवस्था
शहर में सफाई व्यवस्था निजी हाथों में है। 94 वार्डों में सफाई की व्यवस्था स्वच्छता कॉरपोरेशन तो ताजगंज क्षेत्र के आसपास के 6 वार्डों सफाई व्यवस्था जेएस एन्वायरो संभालती है। 900 से 1000 मीट्रिक टन तक रोज शहर से कचरा निकलता है। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली प्राइवेट कंपनी इसे ट्रांसफर स्टेशन तक लाती है। यहां मशीनों के जरिए इस कूड़े को कंप्रेस कर दिया जाता है। फिर इसे कुबेरपुर वेस्ट टू कंपोस्ट प्लांट पर ले जाया जाता है। जहां 500 टन प्रति डे की क्षमता वाले प्लांट से करीब 40 टन कंपोस्ट तैयार होती है। वहीं बचे 500 टन कचरे को डंप किया जाता है। हालांकि अधिकारी इसका बायोमाइनिंग के जरिए निस्तारण करने का दावा करते हैं।

शहर की सफाई इन समस्याओं का नहीं हो सका समाधान

1। मॉनिटरिंग नहीं हो पाती
निगम की सीमा में हर घर से कूड़ा उठे और प्रॉपर मॉनिटरिंग हो इसके लिए शहरभर में स्मार्ट सिटी की ओर से स्मार्ट टैग लगाए गए। 3.5 लाख हाउसहोल्ड पर ये टैग लगाए गए हैं। इनमें क्यूआर कोड और आरएफआईडी दोनों की ही सुविधा है। घर से कूड़ा कलेक्ट करने वाले कर्मचारी को इन स्मार्ट टैग को स्कैनर से स्कैन करना होता है, ये व्यवस्था साकार नहीं हो सकी। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए लगी सभी गाडिय़ों में जीपीएस लगा है। जो स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से कनेक्ट है। ऐसे में अगर कोई गाड़ी किसी कॉलोनी में जा रही है ये तो दिख जाएगा, लेकिन घरों से कूड़ा उठाया है इसकी पुष्टि कैसे होगी। इसकी तस्दीक करने के लिए ही स्मार्ट सिटी की ओर से घरों के बाहर आरएफआईडी टैग लगाए गए थे।


2. गलियों में कैसे एंटर होगा वाहन
पुराने शहर के क्षेत्र रावतपाड़ा, पीपल मंडी, मंटोला, लोहामंडी, शाहगंज, बिजलीघर आदि काफी घने बसे हुए हैं। यहां संकरी गलिया हैं। जिनमें डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनियों की गाडिय़ा एंटर नहीं हो पाती हैं। इसको लेकर क्षेत्रीय पार्षद कई बार नगर निगम में आवाज भी उठा चुके हैं। हथठेले देने की मांग की गई, जिससे गलियों में जाकर कूड़ा कलेक्ट किया जा सके। लेकिन अब तक वह भी लंबित ही है। इसके चलते इन एरियाज में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्ट नहीं हो पाता है। लोगों को दिक्कतों उठानी पड़ती है।


3. प्राइवेट कर्मचारियों की दबंगई
शहर के कई क्षेत्र में सफाई व्यवस्था पर प्राइवेट कर्मचारियों ने कब्जा कर रखा है। इनके मोहल्ले बंटे हुए हैं। ये अपने मोहल्ले में किसी बाहरी सफाईकर्मी को एंटर नहीं होने देते। निजी कंपनी के कर्मचारी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्ट करने पहुंचते हैं तो उनका भी विरोध करते हैं। इससे भी सफाई व्यवस्था प्रभावित होती है।

2 प्राइवेट कंपनियों के हाथ में व्यवस्था
2.25 करोड़ रुपए करीब हर महीने निजी कंपनी को होता है पेमेंट
8 ट्रांसफर स्टेशन बनाए गए हैं
4500 से अधिक सफाई कर्मचारी
2950 करीब सफाई कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर
100 वार्ड हैं शहर में
3.5 लाख के करीब हाउसहोल्ड
350 गाड़ी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में लगीं हैं
180 पुश कार्ट भी कूड़ा कलेक्शन में शामिल
1000 मीट्रिक टन कचरा औसतन रोज निकलता है शहर से


शहर में 100 परसेंट डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन कराया जाएगा। मैंने विभिन्न वार्ड में पार्षदों के साथ बैठक कर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की स्थिति का जायजा लिया है। गलियों में से कूड़ा कलेक्शन की समस्या का भी समाधान कराया जाएगा। इस संबंध में कंपनी को निर्देश दिए गए हैं।
एसपी यादव, अपर नगरायुक्त, नगर निगम

Posted By: Inextlive