Agra News: मूंछ और चेहरे पर बाल वाली युवतियों के खून में मिला ज्यादा कीटनाशक
आगरा (ब्यूरो)। युवतियों में मूंछ, चेहरे पर बाल, मुंहासे, मोटापा के साथ ही मासिक धर्म गड़बड़ाने पालीसिस्टिक ओवरी ङ्क्षसड्रोम (पीसीओएस) की समस्या बढ़ रही है। इसके पीछे फास्ट फूड, केमिकल युक्त खानपान एक बड़ा कारण है। खानपान से जुड़े कारणों को जानने के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज में 320 युवतियों पर शोध किया गया। डेढ़ वर्ष तक चले शोध में पीसीओएस से पीडि़त युवतियों के खून में सामान्य युवतियों से ज्यादा कीटनाशक मिले हैं। ये कीटनाशक खाद्य पदार्थ के सेवन से शरीर में पहुंच रहे हैं और वर्षों तक खून में बने रहते हैं। इससे हार्मोन का स्तर गड़बड़ाने से पीसीओएस की समस्या हो रही है।
जांच के लिए भेजे गए सैंपल
एसएन मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विभाग की प्रो। रुचिका गर्ग ने बताया कि दिसंबर 2022 से जून 2024 तक ओपीडी में आने वाली 16 से 35 वर्ष की आयु की मूंछ सहित शरीर पर अनचाहे बाल, मासिक धर्म गड़बड़ाने की समस्या के साथ आईं पीसीओएस से पीडि़त युवतियों पर शोध किया। शोध में 160 पीसीओएस से पीडि़त युवती और उनके परिवार और आसपास की 160 सामान्य युवतियों को शोध में शामिल किया गया। 160 पीसीओएस और 160 सामान्य युवतियों के खून के नमूने लेकर दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज जांच के लिए भेजे गए।
कीटनाशक का स्तर बढ़ा हुआ मिला
खून में कीटनाशक की मात्रा की जांच की गई। पीसीओएस से पीडि़त युवतियों में हानिकारक कीटनाशक हेप्टाक्लोर, एल्डरिन डीडीई, बीएचसी, मेथोक्लोर का स्तर सामान्य से काफी ज्यादा मिला। सामान्य 160 युवतियों में इन कीटनाशक का खून में स्तर बहुत कम और कई में नहीं मिला। दोनों ग्रुप की युवतियां एक ही माहौल में रह रही थीं और एक जैसा भोजन का सेवन कर रही थीं। शोध में सामने आया है कि खेतों में अनाज, सब्जी में अंधाधुंध कीटनाशक इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे अनाज का ज्यादा सेवन करने, शरीर में कीटनाशक पहुंचने के बाद जिन युवतियों में वह शरीर से बाहर नहीं निकल रहा है। खून तक पहुंच रहा है। उनमें ज्यादा समय से कीटनाशक का स्तर बढ़ा हुआ रहता है। ज्यादा दिन तक खून में कीटनाशक बने रहने से महिलाओं में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन का स्तर बढऩे लगता है। इससे अनचाहे बाल, मुंहासे, मासिक धर्म गड़बड़ाने की समस्या बढ़ रही है।
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युवतियों में बांझपन और डायबिटीज होने का खतरा
जिन युवतियों को पीसीओएस की समस्या हो रही है, उनमें बांझपन और मधुमेह होने का खतरा ज्यादा रहता है। आगरा डायबिटिक फोरम के वैज्ञानिक सचिव डॉ। अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि पीसीओएस में हार्मोन के असंतुलन से इंसुलिन संबंधी समस्या होती है। इससे मधुमेह, बांझपन की समस्या होने लगती है।