आगरा. ब्यूरो शहर में बंदरों ने नगर निगम की टेंशन बढ़ा दी है. पिंजरे रखवाने के बाद भी बंदर अब उसमें नहीं आ रहे हैं. हालत ये है कि पहले जहां एक स्थान से टीम 100 बंदर पकड़कर लाती थी अब वहीं पांच से छह स्थानों पर भी पिंजरे रखने के बाद 50-60 बंदर ही पकड़ में आ रहे हैं. एक्सपट्र्स के अनुसार मंकी कैचिंग अभियान के चलते बंदर अलर्ट हो गए हैं.

एक जगह से मिल जाते थे 100 बंदर
शहर को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम की टीम ने अभियान शुरू किया। बंदरों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराई गई, वहीं उन्हें शहर से बाहर भी किया गया। लेकिन अब बंदर पिंजरे में आसानी से नहीं आ रहे हैं। नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ। अजय कुमार ने बताया कि पहले जहां एक क्षेत्र से टीम 100 बंदर पकड़कर ले आती थी, वहीं अब पांच से छह क्षेत्रों में भी पिंजरे रखने के बाद टीम सिर्फ 50 से 60 बंदर ही पकड़ पा रही है।

अलर्ट हो गए बंदर
बंदर मंकी कैचिंग अभियान से अलर्ट हो गए हैं। वह अब पिंजरे को देखते ही भाग जाते हैं। पहले कलेक्ट्रेट में पिंजरे में कई बंदर आ जाते थे, लेकिन अब पिंजरा रखने के बाद भी बंदर पकड़ में नहीं आते हैं। शहर के जिन एरियाज में बंदरों को पकडऩे के लिए अभियान चलाया गया है, वहां इस तरह की दिक्कतों से टीम को सामना करना पड़ रहा है।

मंकी अटैक में महिला की हुई थी मौत
अब तक 13 हजार बंदरों को शहर से बाहर किया जा चुका है। बावजूद इसके शहर में बंदरों का आतंक थमा नहीं है। हाल ही में बेलनगंज के नाला भैरों में बंदरों के हमले में एक महिला दो मंजिला छत से गिर गई थी। परिजन उन्हें संजय प्लेस स्थित हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। ये बंदरों के हमले का पहला केस नहीं था, शहर में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं। ताजमहल, आगरा किला समेत अन्य स्मारकों पर टूरिस्ट्स भी मंकी अटैक का शिकार बन चुके हैं।

पहले आती थीं 25 कंप्लेन, अब दो से तीन
पशु कल्याण अधिकारी डॉ। अजय कुमार ने बताया कि शहर में बंदरों को पकडऩे का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। 13 हजार बंदरों को शहर से बाहर किया गया है। इन्हें शहर से बाहर वन्य क्षेत्र के पास छोड़ा जाता है। दो महीने पहले तक रोज 25 से 30 शिकायतें आतीं थीं, अब ये कंप्लेन दो से तीन तक हो गईं हैं।

पांच साल पहले थे 10 हजार बंदर
वर्ष 2017-18 में हुए सर्वे के अनुसार नगर निगम की सीमा में करीब 10 हजार बंदर थे। इस सर्वे को पांच वर्ष बीत चुके हैं। इस दौरान बंदरों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जो बंदर पहले पुराने शहर के एरियाज में देखने को मिलते थे, अब वह कमोवेश पूरे शहर में देखे जाते हैं। शहर का शायद ही ऐसा कोई एरिया हो, जो बंदरों के आतंक से बचा हो। बंदरों के डर से लोगों ने अपने घरों में जालियां लगाकर पिंजरा बना दिया है। शहर में बंदरों के हमले से कई लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग अब तक घायल हो चुके हैं।


10 हजार बंदर शहर में हैं, पांच वर्ष पहले हुए सर्वे के अनुसार
13 हजार बंदरों को शहर किया जा चुका है बाहर
6895 बंदरों की अब तक की जा चुकी है नसबंदी
95 रुपए प्रति बंदर आता है शहर से बाहर करने का खर्च


पहले शहर के कुछ एरियाज में ही बंदर दिखाई देते थे, लेकिन अब शहरभर में बंदरों का आतंक है। शहर का शायद ही कोई ऐसा एरिया हो जहां मौजूदा समय में आपको बंदर देखने को नहीं मिले।
ब्रजेश शर्मा

बंदरों की बढ़ती संख्या और उनका क्षेत्र आज शहरवासियों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। हमारे क्षेत्र में भी बंदरों का झुंड आता है। छत पर रखे सामान को तहस-नहस कर देते हैं।
्रयोगेश शर्मा

शहर का पॉश एरिया हो या फिर गली-मोहल्ला, हर जगह बंदर दिख जाते हैं। जयपुर हाउस पार्क में सुबह 10 बजे के बाद रोज बंदरों की टोली धावा बोलती है। पार्क को नुकसान पहुंचाती है।
नितिन

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13 हजार बंदरों को शहर से बाहर किया जा चुका है। पहले एक क्षेत्र में पिंजरे लगाने पर 100 बंदर तक पकड़ में आ जाते थे, वहीं अब टीम पांच से छह एरियाज में पिंजरे रखने के बाद भी 50 से 60 बंदर ही पकड़ पा रही है।
डॉ। अजय कुमार, पशु कल्याण अधिकारी, नगर निगम

Posted By: Inextlive