पार करिहें गे घाटे पर हे छठी मइया कइसे करीं निहोरा हे छठी मइया पार करिहें गे घाटे पर... कांच ही बांस के बहंगिया और केलवा के पात पर उगेलन सूरज. यमुना के विभिन्न घाट गुरुवार शाम ऐसे ही लोकगीतों से गूंजते रहे. महिलाएं छठ मैया का गुणगान करते हुए शाम को यमुना घाटों पर पहुंचीं. उन्होंने अस्था श्रद्धा और भक्ति के साथ अस्त होते सूर्यदेव को अघ्र्य देकर आरती उतारी और परिवार के सुख समृद्धि स्वास्थ्य शांति व विकास की कामना की.

आगरा (ब्यूरो) पार करिहें गे घाटे पर हे छठी मइया, कइसे करीं निहोरा हे छठी मइया, पार करिहें गे घाटे पर, कांच ही बांस के बहंगिया और केलवा के पात पर उगेलन सूरज। यमुना के विभिन्न घाट गुरुवार शाम ऐसे ही लोकगीतों से गूंजते रहे। महिलाएं छठ मैया का गुणगान करते हुए शाम को यमुना घाटों पर पहुंचीं। उन्होंने अस्था, श्रद्धा और भक्ति के साथ अस्त होते सूर्यदेव को अघ्र्य देकर आरती उतारी और परिवार के सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, शांति व विकास की कामना की।


छठ मैया की महिमा का किया गुणगान
सूर्य की आराधना के महापर्व छठ महोत्सव में गुरुवार को तृतीय दिन शहर के सभी यमुना घाटों पर कुछ ऐसा ही अद्भुत व मनोहारी ²श्य था। सोलह शृंगार में सजी महिलाओं के साथ अन्य व्रती श्रद्धालुओं ने छठ मैया की महिमा का गुणगान किया। इसके बाद पूजा की वेदी पर प्रसाद की टोकरी रखकर यमुना जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अघ्र्य दिया और उनसे परिवार के कुशल-मंगल की कामना की। पूजा के दौरान सभी घाट छठ पूजा के लोकगीतों से गूंज रहे थे, जो माहौल में छठ पूजा की मिठास घोल रहे थे। उनसे श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति व प्रबल होती रही।


उत्साह संग किया सामूहिक पूजन
छठ महोत्सव में ढलते सूर्य को अघ्र्य देने के लिए दोपहर तीन बजे से ही यमुना घाटों पर श्रद्धालुओं का पहुंचना प्रारंभ हो गया था। महिला श्रद्धालु जहां नई साड़ी धारण कर पहुंचीं, तो पुरुष भी नए परिधानों में सजकर पहुंचे। सभी ने पूजन के बाद सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर परिवार और समाज की खुशहाली की प्रार्थना की। इससे पूर्व स्वजन ने सुबह घाटों पर पहुंचकर पूजन के लिए मिट्टी से वेदियां तैयार कीं। उन्हें गन्ने और पुष्पों से सजाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने उन पर फल, फूल, गुड़, गन्ना, नारियल, ठेकुआ व अन्य प्रसाद आदि की टोकरी को स्थापित कर पूजन की पारंपरिक प्रक्रिया प्रारंभ की। साथ ही घाटों पर दीपदान भी किया गया।

घाटों पर रही विशेष व्यवस्था
छठ पूजा के लिए यमुना घाटों पर पूजन के लिए विशेष तैयारियां की गई थीं। साफ-सफाई का काम सप्ताहभर पूर्व प्रारंभ कर दिया गया था, जिससे सारे घाट चमचमा रहे थे। घाटों पर पुष्प और रंग-बिरंगी विद्युत लाइटों से आकर्षक सजावट की गई थी। प्रकाश की भी व्यवस्था थी। पुलिस ने सुरक्षा के मजबूत प्रबंध किए थे। भीड़ नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल भी तैनात था।

11 ब्राह्मणों ने कराया पूजन
बल्केश्वर घाट पर पूर्वांचल सद्भाव समिति के छठ पूजा के लिए 11 ब्राह्मणों को बुलाकर मंत्रोच्चारण के बीच ढलते सूर्य को अघ्र्य दिलाया गया। इस दौरान तमाम अधिकारी भी परिवार के साथ पूजन करने पहुंचीं। व्यवस्थाएं समिति महामंत्री राकेश शुक्ला आदि ने संभालीं। यहां उद्घाटन मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाहा व विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने किया। डीएम अरङ्क्षवद मल्लपा बंगारी, अपर पुलिस आयुक्त केशव कुमार चौधरी, नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल भी पहुंचे.कैलाश घाट छठ पूजा समिति के छठ पूजा महोत्सव की शुरुआत विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने की। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से डूबते सूर्य को संध्या अघ्र्य दिया। लास्य म्यूजिकल ग्रुप ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। समिति अध्यक्ष मुन्ना मिश्रा ने बताया कि विशिष्ट अतिथि कैलाश मंदिर महंत गौरव गिरी ने यमुना आरती कराई। 11 ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजन कराया। आकृति मिश्रा और अवनीका मिश्रा ने प्रस्तुति दी। इसके साथ हाथी घाट, रामबाग घाट के साथ अन्य घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
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घरों, कालोनियों, सोसायटी में बनाए अस्थाई कुंड
जासं, आगरा: यमुना घाटों पर भीड़ बहुत थी। कुछ श्रद्धालुओं के घर व कालोनी यमुना घाटों से काफी दूर थी। ऐसे में परेशानी और भीड़भाड़ से बचने के लिए उन्होंने अपने घरों के साथ कालोनी और सोसायटी में अस्थाई कुंड तैयार किए। फतेहाबाद और शमसाबाद रोड स्थित कई कालोनियों में तरणताल में या कुंड बनाकर कालोनीवासियों ने पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार सूर्य को अघ्र्य देकर पूजन किया। इस दौरान छठ मैया के गूंजते गीत माहौल में पूर्वांचल और बिहार की संस्कृति का रंग घोल रहे थे। साथ ही घरों में भी बर्तन में जल भरकर या कुंड बनाकर पूजन किया गया।

घर-घर बनाए ठेकुआ
छठ पूजा में सूर्य को अघ्र्य देने के साथ उन्हें ठेकुआ का प्रसाद भी अर्पित किया जाता है। इसे घर पर बहुत ही सात्विक तरीके से तैयार किया जाता है। इसलिए गुरुवार को दिनभर महिलाओं ने ठेकुआ तैयार किया। इसके लिए उन्होंने गेहूं को धोकर अच्छी तरह सुखाया। इसके बाद चक्की में अपने हाथों से पीसकर आटा तैयार किया। इसके बाद उस आटे से शुद्ध देसी घी के साथ ठेकुआ तैयार किए। इसके साथ प्रसाद के लिए अन्य भोग भी तैयार किए।

Posted By: Inextlive