आगरा ब्यूरो एसएन मेडिकल कॉलेज में हड़ताल खत्म होने के बाद शुक्रवार सुबह जूनियर डाक्टरों ने ओपीडी में मरीजों को परामर्श दिया. जूनियर डाक्टरों के ड्यूटी पर लौटने के बाद ऑपरेशन के साथ ही जांच भी शुरू हो गईं. कॉलेज में सुरक्षा के लिए वार्ड में तीमारदारों के लिए पास सिस्टम लागू कर दिया गया है. जिससे बाहरी लोग प्रवेश ना कर सकें.


कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला जूनियर डाक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या से आक्रोशित जूनियर डाक्टर 12 अगस्त को ओपीडी में मरीजों को देखने के बाद हड़ताल पर चले गए थे। ओपीडी और वार्ड में जाना बंद कर दिया था। इमरजेंसी और आइसीयू में ही ड्यूटी कर रहे थे। गुरुवार शाम को जूनियर डाक्टरों की हड़ताल खत्म हो गई, रात में ही वार्ड में ड्यूटी शुरू कर दी। शुक्रवार सुबह जूनियर डाक्टरों ने ओपीडी में मरीजों को परामर्श दिया। पैथोलाजी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड के साथ ही सीटी स्कैन और एमआरआई की जांच भी शुरू हो गई। ऑपरेशन भी शुरू कर दिए गए। हड़ताल के दौरान ओपीडी में 300 से 400 मरीजों को परामर्श दिया जा रहा था, ऐसे में सुबह से ही ओपीडी में लाइन लगी रही। सबसे ज्यादा 610 मरीज मेडिसिन की ओपीडी में पहुंचे। सर्दी जुकाम, बुखार के साथ ही सांस लेने में परेशानी के मरीजों की संख्या अधिक रही। चर्म रोग में 271, टीबी एंड चेस्ट में 202, अस्थि रोग की ओपीडी में 215 मरीजों को परामर्श दिया गया।-------------- दोपहर दो से चार बजे तक ही मिल सकेंगे तीमारदार
एसएन मेडिकल कॉलेज में महिला जूनियर डाक्टरों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। वार्ड में मरीज के साथ एक ही तीमारदार रहेगा। प्राचार्य डा। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि वार्ड में मरीज के भर्ती होने पर दो तरह के पास शुरू किए गए हैं। मरीज के साथ एक तीमारदार 24 घंटे रहेगा, इसके लिए गुलाबी रंग का पास दिया जा रहा है। दोपहर दो से चार बजे के बीच बाहर से तीमारदार मिलने के लिए आ सकेंगे, इसके लिए पीले रंग का पास दिया गया है। सुरक्षाकर्मी वार्ड में प्रवेश के दौरान पास चेक करेंगे।--------------बदली तस्वीर, ओपीडी के बाहर धरना अब अंदर परामर्श एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी का नजारा भी बदल गया। गुरुवार तक जूनियर डाक्टर ओपीडी के बाहर धरने पर बैठकर नारेबाजी कर रहे थे। शुक्रवार को ओपीडी के अंदर बैठे थे और मरीजों को देखने में व्यस्त हो गए।

24 घंटे में ही तस्वीर बदल गई।टाकएक हाथ में दर्द होने लगा था। हड़ताल के कारण ओपीडी के कई चक्कर लगाए लेकिन परामर्श नहीं मिला। पांच दिन बाद इलाज मिला है।इरफान, खेरिया मोड -------------खांसी ठीक नहीं हो रही है। चार दिन पहले ओपीडी में दिखाने के लिए आए तो नारेबाजी हो रही थी लौट गए। सभी दवाएं नहीं मिली।साहिद, ट्रांसपोर्ट नगर

Posted By: Inextlive