आगरा. ब्यूरो अपनी बात मनवाने के लिए फिल्म शोले के हीरो वीरू की तर्ज पर पानी की टंकी पर चढ़कर हीरोपंती या किसी भी तरीके से खुदकुशी की धमकी देना अब भारी पड़ेगा. एक जुलाई से लागू हो रही भारतीय न्याय संहिता बीएनएस के तहत यह जुर्म होगा और इसमें एक साल तक की सजा हो सकती है. ऐसे ही तमाम बदलावों के लिए यूपी पुलिस खुद को तैयार कर रही है. बड़े पैमाने पर आईपीएस अफसरों से लेकर पुलिस की सबसे छोटी इकाई कॉस्टेबल को नए बदलावों के लिए युद्ध स्तर पर तैयार किया जा रहा है.

चेन स्नैचिंग में तीन साल की सजा
अव चेन स्नेचिंग के मामलों में कुछ ही दिन में छूटकर बाहर आना इतना आसान नहीं होगा। नए कानून की धारा 304 के तहत इसमें तीन साल तक की सजा होगी। यदि स्नैचर किसी गैंग का सदस्य है। तो पैटी आर्गेनाइज्ड क्राइम के तहत सजा बढ़कर सात साल तक हो सकती है।

ये पैटी आर्गेनाइज्ड क्राइम की श्रेणी में
हैकिंग, धमकाने वाले ईमेल समेत तमाम साइबर क्राइम को अब संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा हवाला कारोबार, सुपारी देकर हत्याएं कराने, पोंजी स्कीम चलाने, क्रिप्टो करंसी से जुड़े अपराध, बड़े पैमाने पर मार्केटिंग धोखाधड़ी, वेश्यावृत्ति व फिरौती क्सूलने के लिए मानव तस्करी को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, पॉकेटमारी, टिकटों की कालाबाजारी, एटीएम से चोरी, वाहन से चोरी, धोखा देकर चोरी, सट्टेबाजी व घर से चोरी को भी पैटी आर्गेनाइज्ड क्राइम की श्रेणी में रखकर कड़ी सजा की व्यवस्था की गई है।


साक्ष्यों में तकनीकी को स्थान
वरिष्ठ अधिवक्ता हेमंत भारद्वाज ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता से दंड नहीं लोगों को न्याय मिलेगा। पुलिसकर्मी तकनीकी रूप से अपग्रेड होंगे, क्योंकि तकनीक के सहारे साक्ष्य संकलन होगा। साक्ष्यों में तकनीकी को स्थान मिलेगा। पुलिस अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर पाएगी। वादी का उत्पीडऩ नहीं हो सकेगा। पारदर्शिता और बढ़ेगी। अधिकारियों व कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बदलावों के संबंध में बुकलेट छपवाकर सभी थानों में दी गई है। केस दर्ज करने वालों को भी इस कानून से अपडेट कराया गया है।

विडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग बनेंगे साक्ष्य
पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को नए कानूनों के संबंध में प्रशिक्षित कर रहे सीनियर अभियोजन अधिकारी अवधेश सिंह के मुताबिक नए कानून से ट्रायल स्पीडी व तकनीकी साक्ष्यों पर निर्भर होगा। रेप व पॉक्सो के मामलों से जुड़ी हर प्रक्रिया के लिए समय सीमा तय कर दी गई है। उसके तहत ही पुलिस व कोर्ट को काम करना होगा। इनसे क्राइम कंट्रोल में मदद मिलेगी। अब मोबाइल फोन से की गई विडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफी या ऑडियो रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में मान्यता होगी।

ये संगठित अपराध के दायरे में
क्राइम करने वाले किशोरों को बाल सुधार गृह में रखा जाता है। जब वे बाहर आते हैं तो इसका फायदा उठाकर लोग उनसे हत्याएं तक करवा देते हैं। अब बच्चों से इस तरह से क्राइम करवाने वालों को 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही इसको संगठित क्राइम की श्रेणी में रखा गया है।

वर्ष 2017
डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में छात्र नेता मानवेन्द्र सिंह डिग्री, मार्कशीट की समस्या को लेकर परिसर में बनी पानी की टंकी पर चढ़ गए। सूचना मिलने पर थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। उन्होंने विवि अधिकारियों से बात की, इसके बाद ही छात्र नेता को नीचे उतारा गया। इससे पहले भी छात्र पानी की टंकी पर चढ़ चुके थे, इसके बाद टंकी को नष्ट कर दिया गया।

वर्ष 2018
अकोला क्षेत्र स्थित नगला परमाल की रहने वाली सावित्री देवी तहसील के पास पुलिस लाइन स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गई। इस पर पुलिस प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। गांव में खराब सड़क बनवाने की मांग की गई थी, लेकिन मांग नहीं मानी तो सावित्री देवी पानी की टंकी पर चढ़ गई। बमुश्किल उनको समझा-बुझाकर नीचे उतारा गया

वर्ष 2023
पानी की टंकी पर चढ़ा युवक जितेंद्र। ब्लॉक बरौली अहीर निवासी जितेंद्र पानी की टंकी पर चढ़ गया है। जितेंद्र का कहना है कि पिछले दिनों तहसील की टीम ने गलत तरीके से उसका मकान तोड़ दिया। वो लंबे समय से अपने कागज लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहा था, लेकिन किसी ने उसकी सुनवाई नहीं की।


वर्ष 2024
एक प्रेमी शोले फिल्म का वीरू बन पानी टंकी पर चढ़ गया। बोला में यहां से कूद जाऊंगा। पुलिस ने उसकी प्रेमिका को बुलाया तब वह उतरा। करीब छह घंटे यह ड्रामा चला। उत्तर प्रदेश के आगरा में शोले फिल्म का किरदार एक बार फिर जीवंत हो उठा। ऐसा ही एक वाकया और हुआ था। जिसमें मथुरा का एक युवक टंकी पर चढ़ गया था। उस दौरान आगरा से उसकी प्रेमिका को मथुरा बुलाया गया था। इसके बाद ही वह टंकी से नीचे उतरा था।


धाराओं को चेंज किया गया है, वर्ष 1973 में संशोधन किया जा चुका, अब इनको ये कहकर बदला जा रहा है कि ये गुलामी की निशानी है। उपभोक्ता फार्म और चेक बाउंस के मामलों में समय सीमा निर्धारित है, लेकिन उसको समय से फॉलो नहीं किया जाता है, अगर ऐसे मामलों में तुरंत न्याय की व्यवस्था हो तो पब्लिक को राहत मिल सकेगी। इस संबंध में सरकार से अनुरोध किया गया है कि वे अभी इसको चेंज न करें।
हरीदत्त शर्मा, अध्यक्ष आगरा बार एसोसिएशन

आईपीसी की जगह बीएनएस
अधिवक्ता हेमंत भारद्धाज ने बताया कि आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता एक जुलाई से लागू होने जा रही है। भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कम्युनिटी सर्विस की सजा को कानूनी दर्जा दिया गया है। अब अदलतें छोटे-मोटे क्राइम में कम्युनिटी सर्विस सजा सुना सकती है।

-विदेश में रहकर अथवा रहने वाला कोई व्यक्ति यदि कोई घटना कराता है तो वह भी आरोपी बनेगा।

-अपराध में किसी बालक को शामिल कराने वाले को तीन से 10 वर्ष तक की सजा की व्यवस्था की गई है।

-पांच व उससे अधिक व्यक्तियों की भीड़ द्वारा मूल वंश, जाति, समुदाय, लिंग व अन्य आधार पर किसी व्यक्ति की हत्या पर आजीवन कारावास से मृत्युदंड तक की सजा।

-राजद्रोह के स्थान पर भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य को धारा 152 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

-चोरी एक से अधिक बार करने वाले को पांच वर्ष तक के कारावास की सजा।

-छोटे अपराध जिनमें तीन वर्ष से कम की सजा है, उनमें आरोपी यदि 60 वर्ष से अधिक आयु का है अथवा गंभीर बीमार, अशक्त है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उपाधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य।

-निजी व्यक्ति द्वारा किसी आरोपी को पकडऩे पर उसे छह घंटे के भीतर पुलिस के हवाले करना होगा।

-गंभीर अपराध की सूचना पर घटनास्थल पर बिना विचार करे शून्य पर एफआइआर दर्ज होगी। ई-एफआईआर की दशा में सूचना देने वाले व्यक्ति को तीन दिन के भीतर हस्ताक्षर करने होंगे।
-एफआईआर के प्रति अब सूचनादाता के साथ-साथ पीडि़त को भी मुफ्त दी जाएगी। तीन से सात वर्ष से कम की सजा वाले अपराध में थानाध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेकर एफआईआर दर्ज करने से पहले 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच कर सकेंगे।

-दुष्कर्म व एसिड अटैक के मामले में विवेचना के दौरान पीडि़ता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा। महिला मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज करेंगे।

Posted By: Inextlive