आगरा. ब्यूरो एक ओर शहर में नालों की साफ-सफाई सबसे बड़ी समस्या है. वहीं निगम हर बार स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक लाने का दावा करता है. ऐसे में निगम के दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है. नगर निगम के दावों की सच्चाई जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने दावे हैं दावों का क्या लेकर अभियान चलाया था. इसके तहत शहर की सफाई व्यवस्था के आंकड़ों की जमीनी पड़ताल की गई. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने साफ-सफाई के मुद्दे पर एक सर्वे कराया. शहर की आबादी करीब 21 लाख हैं. ऐसे में अलग-अलग कॉलोनी और मोहल्लों की स्थिति को लेकर रैंडम सर्वे किया गया. मोहल्ले में लोगोंं से सवाल पूछने के साथ-साथ हमने सोशल मीडिया के टूल्स फेसबुक ट्विटर गूगल फॉर्म व्हाट्सऐप आदि के जरिए लोगों की राय जानी. इसमें शहर के करीब 256 लोगों ने निगम के नाला सफाई के दावों पर अपने विचार शेयर किए.

आगराइट्स से ये पूछे गए सवाल

शहर में हर साल मानसून सीजन के पहले नालों की साफ सफाई की जाती है क्या? आप मानते हैं कि ये सिर्फ दावे होते हैं असल में साफ़ सफाई नहीं होती

25 फीसदी - हां होती है
55 फीसदी - नहीं होती है
10 फीसदी- कभी-कभार होती है
10 फीसदी- जानकारी नहीं है


तैयारियां तो की जाती हैं लेकिन हर बार बारिश में सड़कें टूट जाती हैं जगह जगह जलभराव हो जाता है इसके लिए क्या नगर निगम जिम्मेदार है?

40 फीसदी- हां
30 फीसदी- नहीं
20 फीसदी-कभी-कभी होती है
10 फीसदी- पता नहीं है


शहर में हर जगह पानी की किल्ल्त है हर बार दावे किए जाते हैं कि रेन वॉटर को स्टोर किया जाएगा लेकिन होता नहीं है क्या आप भी मानते हैं? रेन वॉटर स्टोरेज सिर्फ फाइलों में ही होता है

35 फीसदी- फाइलों मेें है
27 फीसदी- योजना बनती है, लेकिन अमल नहीं
20 फीसदी-कभी-कभी होती है
18 फीसदी- पता नहीं है


नगर निगम के पास अरबों रुपए के संसाधन और मशीन मौजूद हैं लेकिन इसके बाद भी ये शहर तालाब बना रहता है क्या आपको लगता है नगर निगम के पास संसाधन सिर्फ दिखावे के लिए हैं?

30 फीसदी- हां
50 फीसदी- नहीं
10 फीसदी- कभी कभार होती है
10 फीसदी- त्योहारों पर होती है


शहर में अब तक 10 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। नालों की सफाई के लेकर फॉगिंग तक के लिए निगम के पास करोड़ों का बजट खर्च होता है, लेकिन फिर भी बीमारी नहीं रुक पाती हैं आपकी राय?

60 फीसदी- ठीक से सफाई नहीं होना
20 फीसदी- सफाई की नहीं होती मॉनीट्रिंग
10 फीसदी- गंदगी से होती है बीमारियां
10 फीसदी- अधिकारी सुनते नहीं हैं


शहर में जोन वाइज नालों की संख्या
जोन, बढ़े नाले, मझोले नाले, छोटे नाले
हरीपर्वत 02 55 64

लोहामंडी 08 56 29

छत्ता 05 72 17

ताजगंज 04 57 41

.

नालों की सफाई के लिए संसाधन
पोकलेन मशीन
10
मझोली मशीन
13
जेसीबी मशीन
12
लोडर
20
ट्रैक्टर ट्रॉली
20
कर्मचारी
250


शहर के नालों की सफाई को लेकर हर बार प्लान तैयार किया जाता है, मानसून से पहले इसकी प्लानिंग भी तैयार कराई जाती है, इसके बाद भी काम शुरू किया जाता है। संबंधित अधिकारियों को रोजाना कार्य की रिपोर्ट दी जाती है।
हेमलता दिवाकर कुशवाह, मेयर, नगर निगम, आगरा


निगम की ओर से हर बार मानसून से पहले सफाई अभियान चलाया जाता है, लेकिन बारिश में यही नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं। इससे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
वेद प्रकाश गोस्वामी पार्षद


क्षेत्र में सफाई तो कराई जाती है, लेकिन कभी-कभी कई बाद अधिकारियों को क्षेत्रीय समस्या की जानकारी दी गई है, लेकिन कभी अमल होता तो कभी नहीं। ये समस्या है।
सोहेल कुरैशी, पार्षद, नाई की मंडी, आगरा


हर साल नाला सफाई के लिए एक करोड़ से अधिक का बजट जारी किया जाता है, लेकिन अगर वास्तव में देखा जाए तो ठीक से काम ही नहीं होता, इसका नतीजा बरिश में जलभराव की समस्या बनती है।
प्रताप गूर्जर, पूर्व पार्षद, बाईंपुर

Posted By: Inextlive