आगरा. मानसून सीजन से पहले शहर को जलभराव मुक्त करने का दावा किया जाता है. नालों की सफाई होती है. लेकिन पहली बारिश में पोल खुल जाती है. आखिर ऐसा क्यों होता है? इस पर विचार किए जाने की जरूरत है. सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है. सरकारी मशीनरी का ठीक से इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिससे शहर को जलभराव मुक्त बनाया जा सके. कुछ ऐसे ही विचार शुक्रवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से 'दावे हैं दावों का क्याÓ अभियान के तहत आयोजित पैनल डिस्कशन में आगराइट्स ने व्यक्त किए.

सरकारी विभागों की उदासीनता जिम्मेदार
सिकंदरा स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित पैनल डिस्कशन में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आगराइट्स पहुंचे। कुछ लोगों का कहना था कि सरकारी मशीनरी का सही से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते जलभराव हो रहा है। वहीं कुछ लोगों ने अव्यवस्थाओं के लिए सरकारी विभागों की उदासीनता को वजह बताया।


चर्चा के दौरान ये मुद्दे आए सामने
- शहर में पार्षद निगम के खर्चे पर शैक्षणिक टूर पर तो जाते हैं, लेकिन इसके बाद वहां के प्लान को आज तक निगम को नहीं दिया और न ही इस बारे में चर्चा की। इंदौर टूर गए पार्षदों ने देखा कि कैसे चीजों को सही किया जा सकता है, लेकिन कोई पार्षद इस मुद्दे को नहीं उठाता।
-बिना रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के घर का नक्शा पास नहीं हो सकता फिर भी मकान बन रहे हैं। न इनमें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं फिर भी पता नहीं कैसे इनके नक्शे पास हो रहे हैं।
-शहर में प्लानिंग से काम नहीं होता है। मानसून के सीजन में अगर प्लान से काम किया जाए तो शहर में जलभराव की स्थिति नहीं होगी और इस समस्या से निजात मिल जाएगी।
- कई जगह नाले इतने संकरे हैं कि यहां मशीनें जा ही नहीं सकती हैं, लेकिन विभाग इनको तलीझाड़ साफ करने के दावे करता है। पता नहीं कैसे ये नाले मशीनों से साफ कर दिए जाते हैं।
-नालों से सिल्ट और कूड़ा नहीं उठाया जाता है इसी से जलभराव होता है। अगर मानसून से पहले ही सफाई कर दी जाए तो शहर में जलभराव नहीं होगा।
-बरसात के 15 दिन पहले ही सफाई की याद आती है अगर ये प्लान पहले से किया जाए तो जलभराव नहीं होगा। पता नहीं निगम को पहले याद क्यों नहीं आती।
-जिस समय सड़कें बनाई जाती हैं, उस समय ड्रेनेज सिस्टम का याद नहीं आता। इससे सड़कों पर पानी भर जाता है इस समस्या का स्थाई निदान नहीं हो पाता है
-शहर डेवलप हुआ है। आबादी और क्षेत्रफल दोनों ही बढ़ गए हैं। निगम के लोग पॉश एरिया को ही फोकस करते हैं। इससे बाकी जगह दिक्कत हो जाती है, बाकी जगह के हालत खराब हो जाते हैं।
- बजरंग नगर हाईवे से सटी कॉलोनी है लेकिन हल्की सी बारिश में ही यहां जलभराव हो जाता है और सभी लोगों को दिक्कत होती है। लोग इससे बहुत परेशान हैं।
-नगर निगम अपने कर्मचारियों से ठीक से काम ही नहीं करा पाता है। चीजें प्लान में तो आती हैं लेकिन इन पर अमल नहीं हो पाता और प्लानिंग बेकार हो जाती है।

लोगों की राय

- शहर में टेक्निकली एक अधिकारी की नियुक्ति की जाए, इससे इस शहर के प्लान पर बेहतर काम किया जा सके। चीजें तभी प्लान में आएंगी, जब इनको ठीक से समझा जाएगा।
सुनील जैन

- पिछले 10 सालों में शहर का विकास हुआ है। शहर की पॉपुलेशन बढ़ी है, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। संसाधन नहीं बढ़े हैं। इससे इन सब चीजों में दिक्कत आती है।
मुरारीलाल गोयल

- करप्शन अधिक हो गया है। हाईवे के ड्रेनेज सिस्टम काम नहीं कर रहे हैं। इससे हाईवे पर पानी भर जाता है। बजरंग नगर के हालात तो और भी खराब हो जाते हैं। एंट्रेंस ही डूब जाता है।
कल्पना धाकरे

- कोई भी व्यक्ति ठीक से अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार नहीं है। हम अवेयर होंगे तो चीजें अपने आप ही सही हो जाएंगी। हाईवे पर नए पुल बने हैं, लेकिन इन पर भी पानी भर जाता है।
मास्टर लुकमान

- हम सबको अपने आसपास के लोगों को अवेयर करना होगा। लोग जागरूक नहीं हैं, लोगों को नहीं पता कि कहां शिकायत करनी है। किसको अपनी परेशानी के बारे में बताना है।
दीपक कुमार गुप्ता

- सोशल मीडिया पर लोग अधिक डिपेंड हो गए हैं। इसके माध्यम से लोगों को इन सब की जानकारी देनी चाहिए कि नगर निगम कैसे चीजों को आसान बनाता है इससे लोग अपनी बात रख पाएंगे।
अतुल अवस्थी

- लोगों को पॉलिथिन का प्रयोग करने से रोकना चाहिए। इसके लिए अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाए जाने चाहिए। इससे नालों में भी पॉलिथिन जमा नहीं होगी। नाले चौक नहीं होंगे।
पंकज गुप्ता


- नगर निगम को एक प्लानिंग बना कर काम करना होगा अगर प्लानिंग ठीक से होगी तो शहर में ये स्थिति नहीं होंगी। मानसून में जलभराव नहीं होगा। प्लान बनाना चाहिए।
राजू


Posted By: Inextlive