आगरा ब्यूरो दुर्घटनाओं के शिकार और आय का जरिया बने हाथियों को चुरमुरा स्थित हाथी संरक्षण केंद्र में लाकर उन्हें आजादी का एहसास कराने का काम वाइल्डलाइफ एसओएस ने किया है. हल्द्वानी से एक साल पहले ट्रेन हादसे में घायल हुई बानी हथिनी को संस्था ने जीवनदान दिया है. जिसका इलाज अभी चल रहा है. संरक्षण केंद्र पर तमाम हाथी आजादी का आनंद ले रहे हैं.


10 वर्षो में 200 हाथी की हो चुकी है मौत
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि हर साल 12 अगस्त को Óविश्व हाथी दिवसÓ मनाया जाता है। भारत दुनिया की आधे से अधिक एशियाई हाथियों के आबादी का घर है। ट्रेन से टक्कर के कारण हाथियों की अधिक मौत होती हैं। इसके साथ हाथी को महावत अपनी आय का जरिया बना लेते हैं। जंजीर की जकडऩे से उनके पैरों में छाले और अन्य समस्याएं हो जाती हैं। सभी समस्याओं का इलाज चुरमुरा स्थित हाथी केंद्र में होता है। बताया, आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार 2010 और 2020 के बीच ट्रेनों से टक्कर में लगभग 200 हाथी की मृत्यु हुई। बीते वर्ष हल्द्वानी में ट्रेन हादसे का शिकार हुई हथिनी बानी को अस्पताल लाया गया था। भले ही बानी को एक दुखद भाग्य से बचा लिया गया, लेकिन अभी भी ऐसे कई हाथी हैं जो ट्रेन दुर्घटनाओं के खतरे का सामना कर रहे हैं। महावत द्वारा शोषण किया जा रहा है।

Posted By: Inextlive