आगरा. ब्यूरो उन्नाव सड़क हादसे ने हर किसी को झकझोर दिया. आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर दूध से भर टैंकर ने ओवरटेक करने के दौरान डबल डेकर स्लीपर बस को चपेट में ले लिया. सड़कों पर लाशें बिछ गईं. हादसे की वीभत्सा देख हर किसी की रूप कांप गई. इस तरह के हादसे न हों इसके लिए जरूरी है कि ओवरटेक करने के दौरान ट्रैफिक रूल्स को फॉलो किया जाए.

इस तरह करते हैं गलती
हाईवे या एक्सप्रेस-वे पर ड्राइव करते वक्त बहुत से लोग लापरवाही से ओवरटेक करते हैं या फिर सही लेन ड्राइविंग नहीं करते। हाईवे पर बहुत से लोग लेफ्ट साइड से दूसरे वाहन को ओवरटेक करने की गलती कर बैठते हैं, जो सही नहीं है। ओवरटेक के लिए हमेशा राइट साइड से किसी भी वाहन को ओवरटेक करने की सलाह दी जाती है, लेकिन सावधानी के साथ। आगे चल रहे वाहन को ओवरटेक करना चाहते हैं तो सबसे पहले तो हॉर्न बजाएं और आगे वाली कार को सावधान करें। जब आगे वाली कार आपको साइड दे तभी ओवरटेक करें। इसके अलावा ओवरटेक करने या फिर लेन बदलने से पहले इंडिकेटर दें। ओवरटेक करते समय वाहन की स्पीड को भी स्पीड लिमिट में ही रखें।

लेन ड्राइविंग का भी रखें ध्यान
हाईवे या फिर सड़क पर लेफ्ट साइड में जो लेन होती है वह भारी वाहनों और कम स्पीड पर दौड़ रहे वाहनों के लिए होती है। वहीं राइट साइड में जो लेन होती है वह तेज वाहन और ओवरटेकिंग के लिए बनाई गई होती है। लेन ड्राइविंग जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है कि लेन में ड्राइव करना। मान लीजिए कि ऐसी सड़क पर ड्राइव कर रहे हैं, जो 3 लेन वाली है, अब इसमें जो लेन सबसे लेफ्ट में है वो लेन कम स्पीड वाले वाहनों के लिए है। बीच वाली लेन उन वाहनों के लिए जो मीडियम स्पीड पर दौड़ रहे हैं। राइट में दी गई लेन उन वाहनों के लिए है जो तेज स्पीड में दौड़ रहे हैं। आप अपने वाहन और वाहन के स्पीड के हिसाब से सही लेन को चुनें, नहीं तो ड्राइव के दौरान बड़ा हादसा भी हो सकता है। देश में हाईवे-एक्सप्रेस-वे दो लेन से 8 लेन तक होते हैं, तो ओवरटेक से पहले सही लेन जरूर चुनें।

ट्रक के किस साइड पर चलाएं बाइक?
अक्सर टू-व्हीलर ड्राइव करने वालों के मन में ये सवाल घूमता है कि अगर आगे ट्रक चल रहा है तो हमें बाइक या फिर स्कूटर किस साइड चलाना चाहिए। इससे पहले हमें ये जानने की जरूरत है कि ब्लाइंड स्पॉट क्या होता है और क्यों इसे रेड जोन भी कहा जाता है। ट्रक ड्राइवर को राइट में आ रहे वाहन तो साइड मिरर में दिख जाते हैं, वहीं लेफ्ट साइड में लगा साइड मिरर भी काफी हद तक पीछे आने वाले वाहन की जानकारी दे देता है। यही वजह है कि ट्रक के राइट साइड में टू-व्हीलर को चलाने की सलाह दी जाती है, ताकि ट्रक ड्राइवर को पीछे आ रहे वाहन चालक की जानकारी राइट साइड में दिए साइड मिरर पर साफ दिखती रहे। लेकिन कभी भी बाइक या फिर किसी भी टू-व्हीलर को ट्रक के फ्र ंट गेट्स या फिर साइड मिरर के ठीक साइड में नहीं चलाना चाहिए, क्योंकि ये ब्लाइंड स्पॉट है। ये ऐसी जगह है जो ट्रक सवार को शीशे में नजर नहीं आती और ऐसे में टक्कर होने का चांस काफी ज्यादा रहता है। ट्रक को ओवरटेक कर आगे बढऩा चाहते हैं तो भी राइट से ही ओवरटेक करें।

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सिकंदरा हाईवे पर यहां अक्सर होती है दुर्घटनाएं
सिकंदरा हाईवे के ब्लैक स्पॉट अरसेना कट, शास्त्रीपुरम रेल ओवर ब्रिज मोड़, सिकंदरा मंडी, कैलाश मोड़, बाईं का बाजार मोड़, सिकंदरा तिराहा, भावना एस्टेट मोड़ और गुरुद्वारा गुरु का ताल सिकंदरा हाईवे पर अक्सर हादसे होते हैं।

सिकंदरा हाईवे पर हुए हादसे
9 जनवरी: 2024 चालक ने नशे में कंटेनर दौड़ा, 18 वाहनों को चपेट में लिया। तीन लोगों की मौत

2 दिसंबर 2023: गुरुद्वारा गुरु का ताल पर कंटेनर ने ऑटो को रौंदा, छह लोगों की मौत
18 जून 2021: गुरु का ताल कट पर टैंकर ने बाइक सवार सास और दामाद को रौंदा, मौत

जुलाई 2020: गुरु का ताल के पास कंटेनर ने सड़क किनारे सोते छह लोगों को रौंदा, मौत


46 ब्लैक स्पॉट हैं आगरा में
थाने और हादसे

सिकंदरा - 135
खंदौली - 99
एत्मादपुर - 96
मलपुरा - 81
ताजगंज - 80
एत्माद्दौला - 65
अछनेरा - 62
सदर बाजार - 60
डौकी - 60
सैंया - 57
फतेहाबाद - 49
जगदीशपुरा - 48
फतेहपुर सीकरी - 45
हरीपर्वत - 34
वर्ष 2023 के आंकड़े।

46 ब्लैक स्पॉट बन रहे जानलेवा
- थाना सिकंदरा: हीरा लाल की प्याऊ (रुनकता), शेरजंग दरगाह, रेलवे पुल के नीचे, गुरुद्वारा गुरु का ताल, तेज शू कट, अरसेना कट, अरतोनी कट, सिकंदरा तिराहा, रुनकता तिराहा।

- थाना न्यू आगरा: ट्रांसपोर्ट नगर कट, लायर्स कॉलोनी कट, वाटरवर्क्स चौराहा (भगवान टाकीज से रामबाग की तरफ).
- थाना छत्ता : वाटरवक्र्स चौराहा (रामबाग से भगवान टॉकीज की तरफ)
- थाना एत्माद्दौला: झरना नाला, रॉयल कट, टेढ़ी बगिया चौराहा.
- थाना हरीपर्वत: आईएसबीटी कट, सुल्तानगंज की पुलिया, भगवान टाकीज.
- थाना सदर: रोहता नहर, मधु नगर चौराहा, प्रतापपुरा चौराहा, राजपुर चुंगी.
- थाना जगदीशपुरा: बिचपुरी नहर.
- थाना कागारौल:गढ़मुक्खा मोड़, गहर्रा की प्याऊ.
- थाना मलपुरा: नगला सेवला, झखोदा पुल, सहारा मोड़, बाद कट.
- थाना खंदौली: गांव मऊ चौराहा, इंटरचेंज, पोइया चौराहा, बगलघूंसा, झरना नाला.
- थाना जगनेर: सिद्ध बाबा मंदिर धौलपुर-भरतपुर मार्ग, सरेंधी चौराहा.
- थाना फतेहपुर सीकरी: कोरई, करहई, करहई मोड़.
- थाना एत्मादपुर : तहसील चौराहा, झरना नाला, नोएडा कट, खंदौली मार्ग चौराहा.

तीन साल में पांच से अधिक हादसों में चिह्नित होता है ब्लैक स्पॉट
जिन जगह पर तीन साल के अंदर पांच से अधिक हादसे हुए होते हैं, उनको ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया जाता है। एक ब्लैक स्पॉट का दायरा 500 मीटर तक माना जाता है। इन रास्तों पर यह देखा जाता है कि हादसे की प्रमुख वजह क्या है। इसके बाद उस समस्या को दूर किया जाता है, जिससे हादसे कम हो जाएं। जहां रोड इंजीनियरिंग में बदलाव की जरूरत है, वहां संबंधित विभाग के माध्यम से बदलाव किए जाते हैं। संकेतक लगाए जाते हैं। चेतावनी बोर्ड लगाए जाते हैं। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में ब्लैक स्पॉट पर हादसे कम करने को लेकर कवायद पर विचार किया जाता है। कई बार रोड इंजीनियरिंग (सड़क पर गड्ढे, मोड़ पर संकेतक नहीं होने, रोशनी नहीं होना) में कमी की वजह से हादसे होते हैं.


झपकी से सबसे ज्यादा हादसे
सीनियर एडवोकेट केसी जैन बताते हैं कि यमुना और लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सबसे ज्यादा हादसे झपकी आने की वजह से होते हैंं। कई बाद जल्दी गंतव्य पर पहुंचने के लिए लोग खुद या फिर चालक से वाहन चलवाते हैं। नींद आने पर आराम नहीं करते। इस वजह से झपकी आती है। हादसा हो जाता है। इसके अलावा शराब पीकर वाहन चलाने से भी हादसे हो रहे हैं। सड़कों पर पुलिस की चेकिंग नहीं होती है। वाहन चालकों को भी जागरूक रहने की जरूरत है। जिन स्थान पर तीन से ज्यादा हादसे होते हैं, उन्हें ब्लैक स्पाट की श्रेणी में रखा जाता है। इन पर रोड इंजीनियरिंग में बदलाव कर सुरक्षा इंतजाम किए जाने होते हैं।

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लेन फॉलोइंग की नहीं कोई मॉनिटरिंग
सीनियर एडवोकेट केसी जैन ने बताया कि इस तरह के हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह जो सामने आती है वह है लेन फॉलोइंग न करना। लेन फॉलोइंग करते समय हमेशा ड्राइवर को अपनी राइट साइड से ओवरटेक करना चाहिए। लेकिन जल्दबाजी में लोग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए लेन फॉलोइंग नहीं करते। जबकि ऐसा करना दंडनीय अपराध है। वाहन चालकों को लेन फॉलोइंग कराने के लिए सरकारी सिस्टम भी कोई अलर्टनेस नहीं दिखाता। यमुना एक्सप्रेसवे या फिर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे या अन्य कोई हाईवे हो, लेन फॉलोइंग की कोई मॉनिटरिंग नहीं की जाती और न ही कोई चालान किया जाता है। जबकि बस के लिए भी लेन तय की गईं हैं। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर थर्ड लेन बस के लिए तय है। प्रॉपर मॉनिटरिंग के अभाव में ओवरटेक और स्पीड कंट्रोल पर भी लगाम नहीं लग पा रही है।
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्रसरकारी सिस्टम दिखाए अलर्टनेस
संस्था ट्रैफिक सपोर्ट टीम के संस्थापक सुनील खेत्रपाल ने बताया कि वाहन चालक को हमेशा लेन ड्राइविंग का ध्यान रखना चाहिए। हाईवे पर ओवरलोडेड वाहन दौड़ते हैं। बसों में भी सीट से अधिक सवारियां होती हैं। ऐसे में आखिर जिम्मेदारी सरकारी विभाग इस ओर क्यों आंखें बंद कर बैठे रहते हैं। ओवरलोडेड व्हीकल टोल क्रॉस करते जाते हैं, उन्हें रोकना तो छोडि़ए वाहन चालकों को टोकने तक की कोई जहमत नहीं उठाता। सबसे पहले ड्राइवर को रूल्स फॉलो करना चाहिए, अगर वह नहीं कर रहा है तो रूल फॉलो कराने की भी तो किसी की जिम्मेदारी है? ऐसे में इन विभागों को सक्रियता दिखानी चाहिए।

Posted By: Inextlive