Agra News फर्जी डिग्री से कनाडा में जॉब के साथ बन गए डॉक्टर
केस नं एक
मास्टर माइंड से की जा रही पूछताछ
ताजगंज थाना क्षेत्र स्थित रचना पैलेस से पुलिस और एसटीएफ की टीम ने फर्जी डिग्री तैयार करने वाले मास्टमाइंड नेकराम को अरेस्ट किया था। उसकी निशानदेही पर मोहित, अर्जुन और पंकज को भी ढाई हजार फर्जी डिग्री के साथ अरेस्ट किया गया था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनको नहीं पता कि वे अब तक कितने लोगों को डिग्री तैयार कर दे चुके हैं। फर्जी डिग्री से युवा विदेशों में भी जॉब कर रहे हैं। एसटीएफ प्रभारी हुकूम सिंह ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ पर अहम साक्ष्य मिले हैं, इसी आधार पर जांच की जा रही है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को भी जांच में शामिल किया गया है, जिनको डिग्री बेची गई है।
केस नं दो
कनाड़ा में जॉब के लिए आवेदन
वर्ष 2018, तत्कालीन कुलपति अरविंद दीक्षित के समय में मार्कशीट और डिग्री पर कनाडा में जॉब को दो दर्जन युवकों ने आवेदन किया था। वहां जॉब मिलने पर उनके द्वारा वीजा के लिए कनाडा दूतावास में आवेदन किया गया। वहां से मार्कशीट और डिग्री विवि में सत्यापन को भेजी गईं। लेकिन विवि प्रशासन मामले को दबाए रहा। इसके बाद कनाडा दूतावास ने आइईटी, इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, के निदेशक से मेल कर जानकारी मांगी। निदेशक ने संस्थान के रिकॉर्ड में सभी के नाम चेक किए तो वह सभी फर्जी निकले। जिसमें कुछ आज भी फर्जी डिग्री के जरिए जॉब कर रहे हैं। क्योंकि इस संबंध में यूनिवर्सिटी ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
कनाडा में जॉब करने वाले युवकों ने खंदारी स्थित आइईटी के बीई कोर्स की मार्कशीट व डिग्रियां लगाई हैं। एक ने तो आइटी ब्रांच से वर्ष 2018 में अपने को बीई दिखाया, जबकि यहां आइटी ब्रांच वर्ष 2018 में चल ही नहीं रही थी। इन सभी के अच्छे नंबर देख वहां से जॉब को हरी झंडी मिल गई। इसके बाद इनके द्वारा वीजा को आवेदन किया गया। कनाडा दूतावास ने करीब आठ महीने पहले सत्यापन के लिए विवि में ऑनलाइन आवेदन किया था। दूतावास ने कई बार विवि प्रशासन को मेल भी किए लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद दूतावास ने आइईटी के निदेशक वीके सारस्वत ने मेल आइडी के जरिए उनकी सभी मार्कशीट व डिग्रियां सत्यापन को भेजीं। निदेशक ने दूतावास को इनके फर्जी होने की जानकारी दे दी।
केस नं तीन
एमबीबीएस की डिग्री भी मिली फर्जी
डॉ। भीमराव अंबेडकर यूुनिवर्सिटी में छात्र नेता राहुल पाराशर को वर्ष 2022 में फर्जी डिग्री के मामले में जेल भेजा था। इस कार्य में यूनिवर्सिटी में कार्यरत एक चतुर्थश्रेणी कर्मचारी भी शामिल था, ये एमबीबीएस कॉपियों में नंबर बढ़वाने काम करते थे, साथ ही ऐसे लोगों को भी डिग्री मुहैया कराई थी, इस मामले में कोर्ट में मामला विचाराधीन है।
हाल ही में तीन लोगों को अरेस्ट किया गया है, जो यूनिवर्सिटी के नाम इस्तेमाल फर्जी डिग्री में कर रहे थे, उनसे यूनिवर्सिटी का कोई लेना-देना नहीं है, पुलिस और एसटीएफ की टीम संयुक्त रूप से काम कर रही हैं, जांच में सहयोग किया जाएगा।
राजीव कुमार, कुलसचिव, डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी