-पिछले दिनों दिल्ली में डेंगू का एक नया मामला सामने आया जिसमें एक ही व्यक्ति को एक बार में दो टाइप का डेंगू हुआ था. हैरानी की बात ये थी कि डेंगू के मरीज में प्लेटलेट्स काउंट कम होते हैं लेकिन इस केस में ऐसा कुछ नहीं था. इस एक केस ने डाक्टरों को भी हैरत में डाल दिया था. इसी केस के बाद कयास लगाए गए कि डेंगू के स्ट्रेन बदल रहे हैं. हालांकि इस केस पर किसी भी रिसर्च का रिजल्ट नहीं आया है. इस स्ट्रेन को कॉन्करेन्ट इंफेक्शन का नाम दिया गया था. आगरा. ब्यूरो साल 2021 की बात है आगरा शहर से 50 किलोमीटर दूर फिरोजाबाद में डेंगू ने तांडव मचा दिया था. लगभग 50 लोगों की मौत हो गई थी. मौके पर डब्ल्यूएचओ की टीम को आना पड़ा था सीएम योगी को फिरोजाबाद आना पड़ा था. मुख्य सचिव ने भी फिरोजाबाद जा कर हालात परखे थे. जानकारों ने जब रिसर्च की तो पहला कारण ये निकल कर आया कि कूलर के पानी में डेंगू ने म्यूटेन बदल लिया था. तत्कालीन डीएम ने जिले भर में एक महीने के लिए कूलर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. इस अवधि के दौरान बच्चों को आसपास के जिलों में भी बच्चों को जकड़ लिया था. ऐसा इसलिए हुआ कि डेंगू ने अपना स्ट्रेन बदल लिया था. जब तक एक्सपर्ट इसको समझ पाते तब तक सिर्फ आगरा मंडल ही नहीं बल्कि पुरे वेस्ट यूपी में कई बच्चों की मौत हो चुकी थी.

2012 के बाद आया खतरनाक वेरिएंट

बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान आईआईएससी द्वारा किए गए एक रिसर्च से पता चलता है कि भारत में पिछले कुछ दशकों में डेंगू का प्रकोप बढ़ा है। रिसर्च के मुताबिक डेंगू एक मच्छर से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है जो पिछले 50 वर्षों में लगातार बढ़ी है। डेंगू का प्रकोप मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में सबसे अधिक देखा जा रहा है। रिसर्च में बताया गया है कि, डेंगू अब कई नए रूपों में सामने आने लगा है। डेंगू ने कई रूप बदल लिए हैं। रिसर्च के मुताबिक भारत में 2012 तक डेंगू एक और तीन थे जो इतने खतरनाक नहीं थे। लेकिन 2012 के बाद डेंगू दो का वेरिएंट पुरे देश में प्रभावी हो गया है। वहीं जर्नल पीएलओएस पैथोजेन्स की रिसर्च के मुताबिक 2002 के बाद से अब तक डेंगू के मामलों में लगभग 25 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो गई है।

बारिश ही नहीं अब बारिश के बाद सताता है डेंगू का डर

कुछ साल पहले तक मच्छर डेंगू सिर्फ बरसात के मौसम में ही खतरनाक होता था। इसके बाद सर्दी और गर्मियों में डेंगू या इस तरह के मच्छर नहीं होते थे। ऐसा इसलिए भी था, क्योंकि मौसम में समानता रहती थी। एक परिस्थिति के अनुकूल ही मच्छर सर्वाइव कर पाते थे। लेकिन समय के साथ जलवायु में तेजी से बदलाव आ रहा है, जिससे डेंगू का मच्छर अब हर परिस्थिति में सर्वाइव करने लगा है। आमतौर पर पहले सर्दियों में डेंगू का असर कम होता था। लेकिन अब अक्टूबर माह तक ये मच्छर सर्वाइव कर जाता है। जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियाँ मच्छर जनित बीमारियों, जैसे डेंगू बुखार, को नए स्थानों पर फैलने में सक्षम बना रही हैं। कई रिसर्च बताती हैं कि प्लास्टिक कचरा इसके लिए अधिक जिम्मेदार है।

2023 में आए सबसे अधिक मामले

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक साल 2023 में दुनिया भर में डेंगू मरीजों की संख्या अब तक सबसे अधिक थी। हालांकि भारत में इस वर्ष ये अधिक प्रभावी नहीं रहा था। आम तौर पर डेंगू वायरस संक्रमित मादा मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। एडीज जीनस के भीतर अन्य प्रजातियां भी वेक्टर के रूप में कार्य कर सकती हैं। लेकिन उनका योगदान आम तौर पर एडीज एजिप्टी के बाद दूसरे नंबर पर होता है। हालांकि, 2023 में कई देशों में एडीज एल्बोपिक्टस (टाइगर मच्छर) द्वारा डेंगू का वाहक बनने की बात भी सामने आई थी। डॉ ऋषि गोपाल बताते हैं कि डेंगू का स्ट्रेन नहीं बदला कुछ अन्य मच्छर डेंगू के वाहक बन गए हैं।

इस तरह से बदल रहे मच्छर

पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में अलग अलग बदलाव हुए इस दौरान मच्छरों में बदलाव भी हुए हैं। स्टैनफोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन तरह के मच्छर प्रमुख रूप से सामने आए हैं।

एनोफिलीज गाम्बिया मच्छर
ये मच्छर मलेरिया फैलाने के जाने जाते हैं और गर्म जलवायु को पसंद करते हैं। अधिकांश एनोफिलीज मच्छर देर शाम या रात में काटते हैं।


एडीज एजिप्टी मच्छर

एडीज एजिप्टी मच्छर गर्म तापमान (29 डिग्री सेल्सियस/84 डिग्री फ़ारेनहाइट तक) रहना पसंद करता है मानव निर्मित प्लास्टिक के कंटेनर, जैसे कि रबर के टायर और फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलें, एडीज एजिप्टी के लिए पसंदीदा प्रजनन स्थल हैं। डेंगू चिकनगुनिया और जीका वायरस फैलाते हैं।

क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर
क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर सेंट लुईस इंसेफेलाइटिस जैसी अन्य बीमारियों के अलावा वेस्ट नाइल वायरस फैलाते हैं। एनोफिलीज या एडीज मच्छरों की तुलना में ये ठंडे तापमान के प्रति अधिक सहनशील होते हैं।

सीरोटाइप-2 है सबसे खतरनाक स्ट्रेन

-वैसे तो डेंगू के चार स्ट्रेन हैं लेकिन इनमें सबसे अधिक खतरनाक स्ट्रेन सीरोटाइप 2 है। अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक डेंगू सीरोटाइप-2 गंभीर हो सकता है। यह स्ट्रेन लोगों में डेंगू के रक्तस्रावी बुखार का भी कारण बन सकता है जिसे डेंगू का सबसे गंभीर रूप माना जाता है। इसमें रोगियों के ब्लड प्रेशर में तेजी से गिरावट आ जाती है। जिससे शॉक लगने या मौत होने का खतरा बढ़ जाता है।

ये हैं डेंगू के स्ट्रेन

ष्ठश्वहृ-ङ्क१- हाइग्रेड फीवर की शिकायत रहती है
ष्ठश्वहृ-ङ्क२- शरीर में नीले रंग के चकत्ते बन जाते हैं
ष्ठश्वहृ-ङ्क३-मरीज को ब्लीडिंग हो सकती है
ष्ठश्वहृ-ङ्क४-अंतिम स्टेज में कोमा की स्थिति हो सकती है


सभी विभागों की बैठक कर उनकी तैयारियों का जायजा लिया जा रहा है। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर भी टीमें बना दी गईं हैं। जो इस तरह के केस की निगरानी करेंगी।
डॉ। अरुण श्रीवास्तव सीएमओ

बच्चों को डेंगू जल्दी शिकार बनाता है। डेंगू की स्थिति में बच्चों को ब्लीडिंग जल्दी होने लगती है इसलिए बच्चों के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
डॉ दीपक गुप्ता चाइल्ड रोग विशेषज्ञ

-25 प्रतिशत मामले बढ़ गए 2002 से 2018 के बीच
-2023 में आए सबसे अधिक मामले
-100 से अधिक देशों में डेंगू पर काम करता है डब्लूएचओ
-7300 मौतें लगभग हुईं पिछले साल देश में

Posted By: Inextlive