आगरा. ब्यूरो मई का महीना और दिन के करीब तीन बजे भी तेज रोशनी वाली लाइट जला कर इस इस बाजार में उजाला किया जा रहा है तो आप इस बाजार की तंगी को समझ सकते हैं. कहने को तो इस गली का नाम लुहार गली है लेकिन यहां लोहा नहीं मिलता. इसके अलावा यहां कॉस्मेटिक इनरवियर सुई धागा और इत्र आपके मतलब का हर सामान इस बाजार में मिलता है. यही वजह है कि इस बाजार में हर समय हुजूम रहता है. इस बाजार में जाने के बाद दिन और रात का अंदाज़ा ही नहीं लग पाता यहां अगर कोई आगजनी की घटना हुई तो उसको संभालना मुश्किल हो जाएगा.

हर दिन रहता है 10-15 हजार का फुटफॉल

मुगल कालीन बाजार लोहार गली में कॉस्मेटिक इनरवियर और इत्र परफ्यूम का कारोबार बड़े रूप में होता है यहां हर दिन लगभग 10 से 15 हज़ार लोग प्रतिदिन आते है। दूरदराज के शहरों से भी लोग इस बाजार में आते हैं। तंग गलियों में बसे इस बाजार में अगर आप अंदर चले गए तो आपको गली के दूसरे किनारे से ही बाहर जाना पड़ेगा.आप पीछे लौटकर मार्केट से बाहर नहीं आ सकते हैं। इससे आप अदांजा लगा सकते हैं कि मार्केट कितना संकीर्ण हैं। गली में हर जगह केबिल का एक ही जगह पर जाल बिछा है। इनमें कभी भी शार्ट सर्किट होना आम बात है। दुकानों में न तो फायर सेफ्टी के इंतज़ाम हैं। ना ही इस बाजार से बाहर निकलने के इंतज़ाम अगर इस बाजार में कोई भी घटना हुई तो यहां से निकलना मुश्किल हो जाएगा। न तो पानी का इंतजाम है। न ही फायर एक्सटिंग्विशर की उपलब्धता है।

गर्मियों में होती हैं आग लगने की ज्यादा घटनाएं

गर्मियों के मौसम में अचानक आग लगने की घटनाओं में इजाफा हो जाता है। शहर में बीते दो दिनों में आग लगने की दो अलग- अलग घटनाएं हो चुकी हैं। इस मौसम में आग पल भर में ही विकराल रूप ले लेती है। इसीलिए अग्निशमन विभाग गर्मियों के लिए विशेष तैयारी रखता है। अधिकांश घटनाओं की वजह शार्ट शर्किट होती है। इसकी वजह है गर्मियों में ऐसी पंखे कूलर जैसे इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट अधिक चलते हैं। इससे लोड बढ़ता है। स्पार्किंग होती है और शार्ट शर्किट से आग लग जाती है। शहर में पुराने बाजार में कई ऐसे मार्केट हैं जहाँ आग लग जाए तो बुझाना मुश्किल होगा। ये बाजार इस कदर संकरे हैं कि अगर यहां ऐसी कोई घटना हुई तो यहां दमकल का पाइप भी बहुत मुश्किल से जाएगा।


लुहार गली में पैदल चलना तक है मुश्किल

आगरा के पुराने मार्केट में शुमार लुहार गली के बाजार की गलियां इतनी तंग हैं कि इन गलियों में एक साथ दो आदमी पैदल तक नहीं जा सकते। इस गली में दूर दूर तक एक से एक सटी हुई दुकानें हैं। गलियां इतनी तंग हैं कि एक आदमी एक ही बार में पैदल इन गलियों में निकल सकता है। सामान के नाम पर इस बाजार में दुकानें ठूंस ठूंस कर इस कदर भरी हुई हैं कि अगर यहां छोटी सी भी घटना हुई तो भयावह होने में टाइम नहीं लगेगा।

केबिलों का जाल इतना की हवा भी न गुजऱ पाए

-लुहार गली मार्केट में हर तरफ तारों का मकडज़ाल बना हुआ है। यहां पुरे बाजार में केबिलों का जाल इतना घना है कि इन पर बंदर आराम करते हुए नजऱ आते हैं। घनी आबादी के नीचे छोटी सी गली में करीब 2000 दुकानें इस मार्केट में हैं। यहां तो हल्की सी शॉर्ट सर्किट पल भर में पुरे बाजार को खाक कर सकती है। इस बाजार में फायर ब्रिगेड तो क्या फायर ब्रिगेड के कर्मी भी नहीं जा सकते।

ट्रांसफार्मर के नीचे लगता है बाजार

लुहार गली की तंग गलियों में से एक गली के किनारे दो पोल लगे हुए हैं। करीब पांच फ़ीट ऊँचे पोल पर ट्रांसफार्मर रखा हुआ है और इस ट्रांसफार्मर के नीचे होकर आम रास्ता है। जहां से बाजार के लिए लोगों का आना जाना होता है। इसी के नीचे संकरी गली में दुकानों पर कॉस्मेटिक का सामान थोक में रखा हुआ है। बगल में कपड़े रखे हुए हैं। अगर किसी ट्रांसफार्मर या किसी भी वायर में हल्की सी भी स्पार्किंग हुई तो आप उस घटना की भयावहता का अंदाज़ नहीं लगा सकते।

नियम कानून ताक पर

-लुहार गली की तंग गलियों के ऊपर घनी आबादी है। यहां हर घर के नीचे चार पांच संकरी दुकानें हैं इन दुकानों पर बिजली के कनेक्शन हैं और इन कनेक्शन के लिए केबिलों का जाल है। इस बाजार में कही भी नियम कानून और मानकों का पालन नहीं हुआ है। अगर यहां किसी भी दिन छोटी सी घटना हुई तो उसका नुकसान बड़े लेवल पर होगा। इसका जिम्मेदार कौन होगा। ये बड़ा सवाल बना हुआ है।

फायर सेफ्टी के नहीं हैं इंतज़ाम

लुहार गली की तंग गलियों में फायर सेफ्टी के कोई इंतज़ाम नहीं हैं। कटिया डाल कर जगह जगह लाइट चल रही है। अगर हल्की सी भी कहीं स्पार्किंग हुई तो आग पालक झपकते ही विकराल रूप ले लेगी। फायर ब्रिगेड की गाडी यहां तक पहुंच नहीं सकती। किसी भी दुकान में फायर सेफ्टी के उपकरण नहीं हैं न ही बाजार में कोई पानी का टैंक है। जहां से आग लगने के बाद पानी की व्यवस्था की जा सके।


आगरा कानपुर और बनारस जैसे जो पुराने शहर में वहां इस तरह की समस्याएं हैं, जिन पर शासन काम कर रहा है। हमारे पास ऐसी स्थिति के लिए पांच बाइक मौजूद हैं। जो किसी भी आपात स्थिति में ऐसे लोकेशन पर जा सकती हैं

देवेंद्र कुमार सिंह सीएफओ

-अवैध कटिया डाल कर लोग लाइट जलाते हैं। इनमें स्पार्किंग होती रहती है। कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है।
विनोद यादव

-इसके पहले 2014 में आग लगने से बहुत बड़ा नुकसान हुआ था। तब सोचा कुछ सुधार होगा लेकिन स्थिति वैसी की वैसी है लगता नहीं सुधार होगा।
अनिल

-लगता है जिला प्रशासन किसी बड़ी घटना का इतंज़ार कर रहा है अगर यहां आग लगी तो बुझाना छोडि़ए यहां से लोग तक बच कर नहीं निकल सकते।
अभिषेक उपमन

Posted By: Inextlive