Agra news नशीली दवाओं का हब बना आगरा
नकली दवाओं की मंडी बना आगरा
-इस शहर का मेडिकल के क्षेत्र में काफी नाम हुआ करता था। एक से एक डॉक्टर यहां मौजूद हैं। लेकिन कुछ मिलावटखोरों ने इस शहर की मेडिकल इंडस्ट्री को देश भर में बदनाम कर दिया है। अब इस शहर में इलाज और दवाइयों के नाम पर लोग डरते हैं कि कहीं कुछ नकली नहीं हो। अभी तक तो यहां खाने पीने की ही चीजें नकली बनाई जाती थीं। लेकिन अब इस शहर में हर दवाई नकली बन रही है। हालत यह हैं कि देश की सबसे बड़े दवा बाजार में शामिल आगरा के फुव्वारा से नकली और नशीली दवाओं का नेटवर्क 18 राज्यों तक फैल गया है। विदेशों तक में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री करते हुए कई लोग पकड़े जा चुके हैं। कफ सीरप से लेकर इंजेक्शन तक सब कुछ नकलीशहर में कुछ टाइम पहले तक तो सिर्फ कुछ ही दवाइयां नकली मिलती थीं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में नकली दवाओं का नेटवर्क अब टेबलेट से इमरजेंसी इंजेक्शन तक पहुंच गया है। अब इस शहर में नारकोटिक्स के द्वारा प्रतिबंधित कफ सीरप, नींद व दर्द की गोलियां, एंटीबायोटिक इंजेक्शन के अलावा अन्य दवाइयों का धंधा फुव्वारा स्थित मुबारक महल मार्केट से चल रहा है। मुबारक महल मार्केट में सैंपल की मेडिसन और बिना बिल के भी दवा खरीद सकते हैं। इसीलिए यहां से नकली दवा का धंधा ऑपरेट हो रहा है। इतना ही नहीं यहां फर्जी नींद की टेबलेट एक्सपायर्ड दवाइयां और फर्जी प्रेंगनेंसी टेस्ट किट तक बेचीं जा रही हैं।
इस तरह चलता है नकली दवाओं का नैक्सस शहर में नकली दवाओं का नैक्सस बड़े पैमाने पर चल रहा है। इसको ऑपरेट करने के लिए माफिया किस तरह से प्लानिंग करते हैं कि कम टाइम में ही शॉर्टकर्ट अपना कर लखपति और फिर करोड़पति बन जाते हैं। डुप्लिकेट पैकेजिंग- ड्रग माफिया ब्रांडेड दवाओं की सेम पैकिंग पर असली बैच नंबर छपवाते हैं। फिर ब्रांडेड कंपनियों के सॉल्ट वाली जेनेरिक दवाएं पैक करके ब्रांडेड दवाओं के दाम में बेच दी जाती हैं। डुप्लिकेट पैकेजिंग में उसी दवा की जेनेरिक दवा होने के कारण नमूने जांच में फेल नहीं होते और माफियाओं का काम बदस्तूर जारी रहता है। शेड्यूल रजिस्टरनार्कोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस ऐक्ट-1985 के तहत दवाओं की ब्रिकी के लिए कई सख्त नियम हैं। नार्कोटिक्स की दवाओं में नींद की टैबलेट से लेकर दर्द निवारक इंजेक्शन तक हैं। शहर में मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल है। इसलिए यहां इन दवाओं की खपत अधिक है। ये शिड्यूल एच में आते हैं इनकी बिक्री के लिए रजिस्टर मेंटेन करना होता है। मेडिकल स्टोर संचालक इन दवाओं के खरीददारों का ब्यौरा शिड्यूल-एच रजिस्टर में नहीं करते हैं और इनमें खेल कर जाते हैं।
सरकारी दवाओं की लेवलिंग में खेल शहर में देश भर से सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाएं, सैंपल की दवाएं ये शातिर लोग खरीदते हैं। फिर उन दवाओं की मुहर और लेवल को हटाकर उन पर मनमाना दाम लिखकर ग्रामीण इलाकों में बेच देते हैं। कई बार शहर में ऐसे ही शातिर और दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं। पिछले दिनों ही डिस्ट्रिक हॉस्पिटल में बिहार सरकार के रेबीज इंजेक्शन की खेप पकड़ी गई थी। एक्सपायर्ड दवाओं की री पैकेजिंग कुछ साल शहर में पकड़ी गई एक फैक्ट्री में बड़ी संख्या में एक्सपायर्ड दवाएं पकड़ी गईं थीं। इन दवाओं को फिर से पैक करके स्क्रीन प्रिटिंग के जरिए फर्जी एमआरपी और एक्पायरी डेट डालकर बाजार में सप्लाई कर किया जाता है। कई बार शहर में एक्सपायर्ड दवाओं की री पैकेजिंग पकड़ी गई है। कुरियर से सप्लाईशहर के दवा मफियाओं के गैंग नशीली और नकली दवाओं के अवैध कारोबार के लिए कुरियर एजेंसी की मदद लेते हैं। कुरियर एजेंसी सामान का बिल काटकर सामान की जगह दवाएं रखकर पहले उसे आगरा से बाहर फर्जी पते पर भेजती हैं। फिर वहां से ये दवाएं कई अन्य राज्यों में भेज दी जाती हैं।
फर्जी फर्म आटे और दाल की बोरियों में नकली दवाएं भरकर दूसरे राज्यों में आटे और दाल के नाम पर पंजीकृत फर्जी फर्मों पर दवाएं भेज दी जाती हैं। फिर उन्हीं फर्जी फर्म के आधार पर ई-वे बिल तैयार कराए जाते हैं। शहर में जीएसटी विभाग ने पिछले दिनों कई फर्मों को पकड़ा था। जो फल और ड्राइ फ्रूट के बैग में रखकर दवाएं बाहर भेजते थे।-विभाग द्वारा समय समय पर अभियान चला कर दवा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाई की जा रही है। कई अन्य लोग टारगेट पर हैं। जल्दी ही उन पर भी कार्यवाई की जाएगी।
इरफान नासिर एंटी नारकोटिक्स प्रभारी -दवाओं का काला कारोबार बहुत दूर तक फैला हुआ है। कई बार चीजें सामने आईं हैं, लेकिन फिर भी ये धंधा बंद नहीं हो रहा है।
विवेक शर्मा एडवोकेट -दवाओं के काले कारोबार पर और अधिक सख्ती की जरूरत है। तभी इन पर लगाम लग पाएगी सरकार को और भी कड़े कदम उठाने होंगे।
राव हरेंद्र परमार
-नकली दवाइयां लोगों को और अधिक बीमार कर रहीं हैं। लोग सही होने की जगह बीमार हो रहे हैं लोगों को भी इसके लिए अवेयर होना होगा।
डॉ सुशील शर्मा
-3500 से अधिक ड्रग लाइसेंसी हैं फव्वारा मार्केट में
-60 कंपनियों की सैंपल की दवाएं जिले में हुई हैं जब्त
-5000 से अधिक स्टॉकिस्ट हैं शहर में
-148 दुकानदारों के खिलाफ लिखे जा चुके हैं मुकदमें