आगरा. ब्यूरो शहर की दवा मार्केट को एशिया की सबसे बड़ी दवा मार्केट माना जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां नकली दवाओं का काला कारोबार चल रहा है. ये माफिया भारत के राज्यों में ही नहीं अब कई अन्य देशों में एक्टिव हो गए हैं. शहर में नकली कफ सीरप ब्रांडेंड कंपनी के टैबलेट इंजेक्शन से लेकर अबॉर्शन किट तक नकली बनाई जा रही हैं. ये सब इतने बड़े लेवल पर पहुंच गया है कि इस शहर में नकली दवाओं का काला कारोबार अनुमानित 2 हजार करोड़ सालाना तक पहुंच गया है. इसके अलावा यहां यहां नशे की दवाओं का कारोबार बड़े लेवल पर किया जाता है. देश भर में यहां से नशे की प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार चल रहा है.

नारकोटिक्स बैन दवाओं की जमकर हो रही तस्करी

मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल यहां मौजूद है इसलिए यहां नींद और नशे की टेबलेट की डिमांड रहती है। अधिकांश युवा इन दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिए करते हैं। नारकोटिक्स द्वारा कई कफ सीरप और टैबलेट बैन कर दी गई हैं। इस शहर में नारकोटिक्स द्वारा प्रतिबंधित कफ सीरप, नींद व दर्द की गोलियां, नशे के इंजेक्शन के अलावा अन्य प्रतिबंधित दवाइयों का धंधा फुव्वारा स्थित मुबारक महल मार्केट से चल रहा है। मुबारक महल मार्केट में सैंपल की मेडिसन और बिना बिल के भी दवा खरीद सकते हैं। इसीलिए यहां से नकली दवा का धंधा ऑपरेट हो रहा है।

पिछले साल पकड़ी गई थी नकली सीरप की फैक्ट्री
एएनटीएफ और औषधि विभाग की टीम ने पिछले साल जुलाई में कई जगह छापा डाला। इस दौरान करीब आधा दर्जन फैक्ट्री से नींद की टैबलेट प्रतिबंधित कफ सिरप सहित पांच करोड़ की नशीली दवाएं जब्त की थीं। इस दौरान कई नशे की अन्य दवाएं भी बरामद की गईं थीं। शहर के कई इलाकों में नारकोटिक्स द्वारा प्रतिबंधित दवाएं बनाई जाती थीं। कई बार इन पर कार्यवाई भी हुई, लेकिन वावजूद इसके इस शहर से नशीली दवाओं का कारोबार कम नहीं हुआ। बल्कि कई राज्यों तक नशीली दवाओं का काला कॉकस काम कर रहा है।

रेव पार्टियों में होती है नशीली दवाओं की सप्लाई

शहर में नशीली दवाओं का कॉकस सिर्फ आगरा ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों के मैट्रो सिटी दिल्ली, पंजाब, पुणे, बंगलुरू जैसे बड़े शहरों में होने वाली रेव पार्टियों में यहां से नशीली दवाओं की सप्लाई की जाती है। पिछले दिनों पंजाब पुलिस के द्वारा पकड़े गए आरोपियों से इस बात का खुलासा हुआ। रेव पार्टी और नाइट क्लब संचालकों से दवा माफिया सीधे संपर्क कर दवाएं बुक कराते हैं। दवा को कमीशन पर हॉकरों के जरिये सप्लाई कराया जाता है। इन पार्टियों में नशे की दवाओं को 100 गुना महंगे तक दामों में बेचा जाता है। क्योंकि ये दवाएं प्रतिबंधित हैं। हर जगह उपलब्ध नहीं होतीं।


एमडीएम ड्रग का धड़ल्ले से हो रहा कारोबार

एमडीएम यानी नशे की पुडिय़ा का इस्तेमाल इन दिनों शहर में जमकर हो रहा है। मिथाइलीन डाईऑक्सीमेथाम फेटा माईन छोटी पुडिय़ा में मिलता है। इसको लाइन बोला जाता है इसकी एक ग्राम की पुडिय़ा चार से सात हजार में मिलती है। रईसजादे इसकी गिरफ्त में बड़ी संख्या में में हैं प्राइवेट पार्टियों में इसका जमकर इस्तेमाल होता है। मैट्रो सिटी के अलावा शहर में भी बड़ी संख्या में लोग इसकी गिरफ्त में हैं। लोग पहले इसकी डेबिट कार्ड से पतली लाइन बनाते हैं फिर इसको करारे नोट में रोल बनाकर खींचते हैं। इसका नशा सीधे दिमाग पर असर करता है इसलिए इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है। शहर में बड़े लेवल पर इसका धंधा चल रहा है।

-विभाग द्वारा अभियान चला कर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा यहां नियमित रूप से सैंपलिंग और चेकिंग की जा रही है। कई सैंपल का रिजल्ट आना बाकी है।
इरफान नासिर नारकोटिक्स प्रभारी

-शहर को नशे की गिरफ्त से रोकना होगा। युवा अब यहां भी नशे के लिए अलग अलग दवाओं का इस्तेमाल करने लगे हैं। जो हानिकारक है।
विवेक शर्मा एडवोकेट


-पता नहीं क्यों दूसरे राज्यों की पुलिस को यहां ये सब दिख रहा है। लेकिन यहां के जिम्मेदारों को ये नहीं दिखाई पड़ता इसको रोकना होगा।
राजकुमार

-स्कूल कॉलेज जाने वाले युवा भी अब नशे का शिकार हो रहे हैं। कफ सिरप जो कहीं नहीं मिलता यहां बड़ी ही आसानी से मिल जाता है।
हिमांशु दीक्षित

-2000 करोड़ का है शहर का नकली दवा का कारोबार
-45 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त हुए है
-39 सैंपल फेल हुए हैं इस साल
-14 खांसी के सिरप के सैंपल फेल हुए इस साल

Posted By: Inextlive