क्रिमिनल बना रही ऑनलाइन गेम की लत...-581 एप ब्लाक किए गए पिछले साल.-88 फीसदी लड़कियां ऑनलाइन गेम पर करती हैं टाइम पास. -45 प्रतिशत पेरेंट्स परेशान हैं बच्चों की इस लत से. -45 फीसदी लोग हैं गेम्स के लिए हिंसक. ऑफिस में काम करते वक्त लंच टाइम में ऑनलाइन गेम का टास्क या फिर सड़क पर अकेले खड़े हो कर गेम का टास्क पूरा करना बच्चों का स्कूल से आ कर मोबाइल में लग जाना. कई बार ऑनलाइन गेम की लत हादसों की वजह बन रही है. जिन बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की लत बढ़ रही है वे बच्चे हिंसक हो रहे हैं. अपने ही घर में चोरी कर रहे हैं. या झूट बोल रहे हैं. कैरियर बनाने की उम्र में किशोर अपराधी बन रहे हैं. अधिकतर बच्चे शूटिंग और मारधाड़ जैसे गेम खेल रहे हैं. जो उन पर गलत असर डाल रहा है. ऑनलाइन गेमिंग की लत खतरनाक हो रही है.

ये था मामला

आगरा। ब्यूरो 27 मई को मुंबई ट्रैफिक पुलिस के हेल्पलाइन नंबर पर एक धमकी भरा मैसेज मिला। मैसेज में मुंबई एयरपोर्ट ताज होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को बम से उड़ाने की धमकी मिली। जांच में शहर के सदर थाना क्षेत्र के सोहल्ला निवासी अरविन्द राजपूत को अरेस्ट किया। युवक ने एक ऑनलाइन गेम में मिले टास्क को पूरा करने के लिए मुंबई पुलिस को धमकी दी थी। दरसल ऑनलाइन गेमिंग की लत खतरनाक हो रही है। ऑनलाइन गेमिंग के मामले में भारत पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इसके लिए हत्याएं हो रही हैं। लोग साइबर अपराध कर रहे हैं और कई मामलों में सुसाइड भी कर रहे हैं। शहर में भी ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं।

41 फीसदी आबादी गेमिंग की जद में

अलग अलग एजेंसी और फर्मों की रिपोर्ट और रिसर्च के मुताबिक भारत का एक बड़ा युवा वर्ग ओनलाइन गेम्स की जद में बुरी तरह फंसा हुआ है। भारत की 41 फीसदी आबादी जो 20 साल से कम उम्र की है ऑनलाइन गेम्स की आदी बन चुकी है। 2018 तक भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या 26.90 करोड़ थी। लेकिन कोरोना काल के बाद से इस आंकड़े में बढ़ोत्तरी हुई है। केपीजीएम फर्म की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले लॉकडाउन के बाद से गेमिंग एप्स पर लोगों ने पहले की तुलना में 21 फीसदी ज्यादा समय बिताना शुरू कर दिया है। और इस समय लगभग 41 फीसदी आबादी ऑनलाइन गेमिंग की जद में है।

टास्क पूरा करने के लिए बन रहे क्रिमिनल

-ऑनलाइन गेम में यूजर को इन गेम में कई अलग अलग टास्क दिए जाते हैं ये टास्क कई बार अजीबो गरीब होते हैं। ये टास्क कई प्रकार के होते हैं जैसे
-वेकअप एट 3.30 मॉर्निंग- सुबह 3 बजे उठकर हॉरर फिल्में देखने और उसकी फोटो गेमिंग एप पर अपलोड करना।
-स्टार चेलेंज स्टार बनने के लिए कोई भी ऐसी हरकत करना जिससे आपका नाम हो।
ब्लड टास्क - बॉडी के किसी भी पार्ट को डेमेज करके उसकी फोटो अपलोड करना।
कूदना- सरकार द्वारा बंद किए गए एक एप में छत से कूदने का टास्क दिया जाता था
चाकू से काटना- इस गेम में एक टास्क तैयार करना होता है इसमें खुद को कई जगह से डेमेज करना होता है।
म्यूजिक सुनना- क्यूरेटर यूजर्स को म्यूजिक भेजता है जो सुसाइड करने और खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने वाले होते है।
सुसाइड अटेम्प्ट - कई गेम्स में सुसाइड का टास्क दिया जाता था जो एक अटेम्प्ट होता है लोग कई बार जान गँवा देते हैं।


शहर में बढ़ रहे मरीज

-शहर के साइकाटिस्ट के पास कोरोना के बाद से बच्चों के फोबिया के केस बढ़ गए हैं। जरूरत से अधिक गेम खेलने से बच्चों को फोबिया हो रहा है। बच्चे हिंसक हो रहे हैं गेम के लिए खाना तक छोड़ रहे हैं। फिजिकल एक्टिविटी न होने से बच्चे गेम के करेक्टर को रोल मॉडल मानने लगते हैं। शहर में अलग अलग डाक्टरों के पास ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इनमें अधिकतर बच्चे हैं।

बच्चों को स्मार्ट फोन या लैपटॉप देते समय उनमें कुछ वेब साईट या एप को ब्लाक कर दें इसके अलावा जरूरत से अधिक मोबाइल चलाने बचें और बच्चों को भी बचाएं। लोग कई बार गेम के किरदार को निभाने लगते हैं इसी से ये घटनाएं हो रही हैं।
पूनम तिवारी मनोवैज्ञानिक आरबीएस कॉलेज असिटेंट प्रोफेसर

Posted By: Inextlive