Agra News 'बारिश की हर बूंद बचाना है जरूरीÓ
शहर में तेजी से गिर रहा ग्राउंड वॉटर
शहर ओवर एक्सप्लॉइटेड कैटेगिरी में है। एक्सपट्र्स ने बताया कि ये अलार्मिंग सिचुएशन है। जबकि 2017 में शहर क्रिटिकल कैटेगिरी में था। हालात तेजी से बदत्तर हो रहे हैं। शहर में ग्राउंड वॉटर अब 65 से 70 मीटर के बाद ही मिलता है। कई एरियाज में ये आंकड़ा 100 के आसपास तक पहुंच गया है। जिससे पानी की क्वालिटी में भी गिरावट आ रही है। पोस्ट मॉनसून-2022 में शहर का औसतन ग्राउंड वॉटर लेवल 27.49 मीटर था, जो पोस्ट मॉनसून-2023 में 26.27 मीटर दर्ज किया गया। ग्राउंड वॉटर में भले ही 1.22 मीटर का सुधार जरूर हुआ, लेकिन अब भी शहर नोटिफाइड क्षेत्र में है।
इन भवनों में जरूरी है रेन वॉटर हार्वेस्टिंग
रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर लोगों में जागरूकता आई है। सरकारी विभागों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के निर्माण के साथ अब प्राइवेट बिल्डिंग में भी इस सिस्टम को डेवलप किया जा रहा है। 300 स्क्वायर मीटर या इससे अधिक क्षेत्र में भवन निर्माण कराने के लिए नक्शा पास कराने को एडीए में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सिक्योरिटी मनी डिपोजिट किया जाता है। जो इसकी गारंटी होता है कि मकान स्वामी की ओर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप किया जाएगा। निर्माण पूरा होने के बाद उसे ये सिक्योरिटी मनी वापस मिल जाता है।
एरिया फीस
300-500 स्क्वायर मीटर 2.25 लाख
500-1000 स्क्वायर मीटर 3 लाख
1000 स्क्वायर मीटर से अधिक 3.75 लाख
कौन सी छत कितना पानी समेटेगी
एरिया रिचार्ज हेतु अवेलेबल रेन वॉटर
100 80 हजार
200 1.6 लाख
300 2.4 लाख
500 4 लाख
1000 8 लाख
ग्राउंड वॉटर में शहर के सबसे प्रभावित क्षेत्र
- कु ंडौल: 52.85 मीटर
- अमरपुरा: 45.82 मीटर
- विजय नगर: 37.62 मीटर
- पीडब्ल्यूडी ऑफिस: 37.78 मीटर क्या होता है पीजो मीटर
पीजो मीटर की सहायता से मानसून से पहले मानसून के बाद भूजल स्तर का मापन किया जाता है। भूजल स्तर मापने के लिए पीजो मीटर की खुदाई की जाती है। वह स्थान के अनुसार तय होती है। क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग गहराई होती है। लाइम स्टोन क्षेत्र में गहराई ज्यादा होती है, जबकि सपाट सतह और मैदानी इलाकों में यह कम हो सकती है। डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर
भूजल की जानकारी आसानी से मिल सके इसके लिए भूगर्भ जल विभाग की ओर से डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर का यूज किया जा रहा है। शहर में 16 स्थानों पर डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर लगाए गए हैं। डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर प्रेशर सेंसर तकनीक पर आधारित है। यह तकनीक भूजल स्तर के दबाव को उसकी गहराई में परिवर्तित करके आंकड़े देती है। मशीन में लगी चिप से वॉटर लेवल की ऑनलाइन जानकारी मिल जाती है।
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शहर में ग्राउंड वॉटर की स्थिति
हाईडोग्राफ स्टेशन प्री मॉनसून-22 पोस्ट मॉनसून-22 प्री मानसून-23 पोस्ट मॉनसून-23
बुराना प्री स्कूल 24.31 18 18.33
कंकारपुरा प्री स्कूल 9.10 8.45 9.25 7.73
तोरा प्री स्कूल 34.81 33.95 34.64 34.45
जिला उद्योग केंद्र नुनिहाई 11.76 11.56 12.35 10.66
पीडब्ल्यूडी कॉलोनी, करिअप्पा मार्ग 13.36 11.72 13.85 13.80
मुफीद ए आम इंटर कॉलेज, विजय नगर 14.16 14.34 13.06
सेंट कोलंबस पब्लिक स्कूल, कमला नगर 37.74 37.62
राजकीय नलकूप कॉलोनी 29.37 29.35
बीडी शर्मा इंटर कॉलेज, अमरपुरा 46 45.94 45.82
आगरा कॉलेज 25.09 23.91 23.92 22.98
डीएडी डिग्री कॉलेज कुंडौल 52.84 57.92 52.85 56.59
प्री मानसून
मई-जून पोस्ट मानसून
अक्टूबर-नवंबर
आगरा सिटी प्री मॉनसून-2022
27.74 पोस्ट मॉनसून-2022
27.49 प्री मॉनसून-2023
27.46 पोस्ट मॉनसून-2023
26.27
कं क्रीट का बिछाया जाल
शहर जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ा, उसी तरह प्राकृतिक संसाधनों की कमी होने लगी। इसमें सबसे प्रमुख ग्राउंड वाटर है। शहर में ग्राउंड वाटर किस तरह विकराल स्थिति में पहुंच चुका है, इसका अंदाजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है। कुंडौल स्थित डीएवी इंटर कॉलेज में ग्राउंड वाटर 56.59 मीटर पर पहुंच चुका है। अमरपुरा में ये वॉटर लेवल 45.82 मीटर तक जा चुका है। शहर के अन्य एरियाज की भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। शहर में तेजी से बढ़ रहा कंक्रीट का जाल भी इसकी वजह है। पहले सड़क किनारे फुटपाथ की जगह मिट्टी की होती थी या फिर ईंट से बना फुटपाथ भी होता था, तो बारिश का पानी उससे रिस कर जमीन में जाया करता था। जमीन इस पानी को सोख लेती थी। लेकिन विकास के दौर में सभी फुटपाथ पक्के हो गए हैं। इन्हें सीसी का बना दिया गया है या फिर सीमेंटेड इंटरलॉकिंग टाइल्स लगा दिए गए हैं, जिससे पानी तो छोडि़ए बारिश की एक बूंद भी जमीन में जाना मुमकिन नहीं है।
--------------- वॉटर रिचार्ज के तरीके
- रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
- नहर
- तालाब
- बारिश
- नदी
- चेक डैम
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असेसमेंट यूनिट नेम कैटेगिरीज अछनेरा --- सेमी क्रिटिकल
आगरा सिटी--- ओवर एक्सपलॉइटेड
अकोला----- ओवर एक्सपलॉइटेड
बाह-क्रिटिकल
बरौली अहीर---- ओवर एक्सपलॉइटेड
बिचपुरी-ओवर एक्सपलॉइटेड
एत्मादपुर -ओवर एक्सपलॉइटेड
फतेहाबाद -ओवर एक्सपलॉइटेड
फतेहपुर सीकरी -ओवर एक्सपलॉइटेड
जगनेर -सेमी क्रिटिकल
जैतपुर कलां -क्रिटिकल
खंदौली-ओवर एक्सपलॉइटेड
खेरागढ़-सेमी क्रिटिकल
पिनाहट -सेमी क्रिटिकल
सैंया- ओवर एक्सपलॉइटेड
शमसाबाद -ओवर एक्सपलॉइटेड
नोट:::(सेंट्रल ग्राउंड वॉटर रिसोर्स द्वारा वर्ष 2022 में ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट की रिपोर्ट में बताई गई स्थिति.)
--------------------- ग्राउंड वॉटर की स्थिति (मीटर में) ब्लॉक 2019 में 2023 में
प्री मानसून पोस्ट मानसून प्री मानसून पोस्ट मानसून
अछनेरा 10.48 9.45 9.96 8.12
अकोला 21.98 20.26 18.46 14.36
बाह 37.23 35.43 37.27 36.64
बरौली अहीर 25.64 24.72 21.31 22.72
बिचपुरी 27.45 27.10 23.94 23.48
एत्मादपुर 28.88 29.29 31.82 32.44
फतेहाबाद 42.07 41.23 45.55 45.08
फतेहपुर सीकरी 18.61 14.56 12.64 9.55
जगनेर 15.49 12.70 9.73 8.56
जैतपुर कलां 36.48 35.25 36.56 36.79
खेरागढ़ 22.16 20.88 33.50 33.06
खंदौली 35.35 33.66 33.70 32.32
पिनाहट 34.37 31.72 33 37.01
सैंया 40.26 39.26 36.41 36.83
शमसाबाद 44.82 45.04 44.02 45.48 ------------
रिचार्ज पिट में 25 से 30 मीटर गहरा बोरिंग होता है
एक्सपट्र्स ने बताया कि बारिश में छतों पर गिरने वाले पानी को एकत्र कर पाइप के जरिए ग्राउंड वॉटर रिचार्ज किया जाता है। इसके लिए छत से आने वाले पाइप को दो चैंबर में होकर गुजारते हैं। पहला चेंबर सिल्ट चेंबर होता है, जिसमें बारिश के पानी में मौजूद सिल्ट व अन्य गंदगी को शोधित करते हैं। फिर सिल्ट चेंबर से साफ पानी रिचार्ज पिट में जाता है। रिचार्ज पिट में 25 से 30 मीटर गहरा बोरिंग होता है। जो बारिश के पानी को बलुई जल स्रोत में मिलाता है। शुद्ध वर्षा जल में एक लीटर पानी से करीब 200 मिली लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। शेष 800 मिली लीटर पानी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज के काम आता है। पुरानी बोरिंग का कर सकते हैं यूज
शहर के कई एरियाज में ग्राउंड वॉटर लेवल तेजी से गिर रहा है। ऐसे में बोरिंग सूख जाती है। लोग नई बोरिंग कराते हैं। ऐसे में पुरानी बोरिंग का यूज रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए किया जा सकता है। इसके लिए बोरिंग पर सिर्फ पिट्स तैयार करना होता है।
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क्या है इनका मतलब
सेफ: सेफ जोन वह है जहां ग्राउंड वॉटर की अवेलेबिलिटी का 50 परसेंट से कम पानी का यूज (जमीन से निकाला गया) है। एक एग्जामपल से इस तरह समझा जा सकता है कि अगर कहीं ग्राउंड वॉटर में 100 लीटर की अवेलिबिलिटी है, उसमें से 50 लीटर से कम पानी निकाला जाता है तो ये सेफ जोन है। सेमी-क्रि टिकल: ये वह कैटेगिरी है जब अवेलेबल ग्राउंड वॉटर का 50 से 70 परसेंट पानी निकाला जाए। ये सेमी क्रिटिकल में आता है। इसे शुरुआती तौर पर चेतावनी माना जाता है। इस कैटेगिरी में सुधार के लिए 100 परसेंट ग्राउंड वॉटर के रिचार्ज की आवश्यकता होती है। यानी अगर कहीं अवेलेबिलिटी 100 लीटर है तो उसमें 100 लीटर पानी का रिचार्ज करने की ही आवश्यकता होगी। क्रिटिकल: इसमें अवेलेबल वॉटर के दोहन का आंकड़ा 70 से 90 परसेंट तक पहुंच जाता है। क्रिटिकल जोन में एक्शन लेने की जरूरत होती है। जिससे हालत में सुधार लाया जा सके। इस कैटेगिरी से बाहर निकलने के लिए 150 परसेंट रिचार्ज की आवश्यकता होती है। ओवर एक्सप्लॉइटेड: इसमें ग्राउंड वॉटर के यूज की डिमांड 100 परसेंट तक पहुंच जाती है या इसे भी क्रॉस कर जाती है। ये सबसे खराब कैटेगिरी है। इसमें 200 परसेंट ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होना चाहिए। तभी स्थिति में सुधार हो सकता है। क्या है वॉटर रिचार्ज?
जिस तहर जमीन से पानी निकाला जाता है, उसी तरह जमीन में पानी भी पहुंचता है, उसे ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कहते हैं। ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कई तरीके से होता है। इसमें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, नहर, तालाब, बारिश, नदी आदि मुख्य भूमिका निभाते हैं।
------------ आरडब्ल्यूएच के लिए देते हैं टेक्निकल गाइडेंस
जलाधिकार फाउंडेशन के सेक्रेटरी इंजी दिवाकर तिवारी ने बताया कि हर किसी को घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग बनाना चाहिए। इसमें खर्चा भी अधिक नहीं आता है। संस्था पदाधिकारियों की ओर से लोगों को अवेयर करने के साथ रेन वॉटर हार्वेस्टिंग डेवलप करने के प्रति टेक्निकल गाइडेंस भी दी जाती है। अगर एक हजार स्क्वायर फीट की रूफ है तो रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में आठ से 11 हजार रुपए का खर्चा आता है। छत से बारिश के पानी के लिए पाइप तो वैसे भी लगाया जाता है। इस पाइप को सीवेज की जगह पिट्स कर उससे जोडऩा होता है। इन पिट्स को एक बोरिंग से जोड़ा जाता है। बोरिंग की गहराई 70 से 80 फीट होनी चाहिए। अगर सबमर्सिबल की पुरानी बोरिंग है तो उसका भी यूज किया जा सकता है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार हो जाता है। जल की हर बूंद है अनमोल
जल ही हर बूंद अनमोल है। जल का संचयन एवं संरक्षण अति महत्वपूर्ण है। इसी संदेश के साथ भूजल की महत्ता को ध्यान में रखते हुए 16 से 22 जुलाई तक भूजल सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को जियोफिजिकल सर्वे खंड आगरा के परिसर में सीनियर जियोफिजिसिस्ट द्वारा बैनर पोस्टर के माध्यम से समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों में जल संचयन एवं संरक्षण का संकल्प लिया। जल की हर एक बूंद को धन की पूंजी के समान बचाएंगे और अपने परिवार, पड़ोसी एवं क्षेत्र के लोगों को भी जल संरक्षण के प्रति अवेयर करेंगे। लोगों को अवेयर करने के लिए बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थलों एवं सार्वजनिक स्थानों पर पंफ्लेट एवं पोस्टर वितरित किए गए। आगरा के ब्लॉक अछनेरा के ग्राम जनूथा, कथवारी एवं ब्लॉक शमसाबाद के लारा कला, सिकतरा गांव में जल की महत्ता और स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिंचाई विधि, खेतों की मेड़ों पर पौधरोपण करने का सुझाव दिया।