एसिड अटैक पीडि़ता बोली, समाज ने व्यवहार किया जैसे मुझे जीने का अधिकार ही नहीं
आगरा(ब्यूरो)। अब नतीजा है कि आज गीता ने स्टार्टअप शुरू किया है। जिसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। सभी लोग गीता की फूड स्टॉल को ढूंढते हुए आ रहे हैैं और उनके हौसले को सलाम कर रहे हैैं। सौरों कटरा की निवासी नीतू माहौर ने एसएन मेडिकल कॉलेज सीनियर ब्वॉयज हॉस्टल के पास गीता की रसोई नाम से फूड स्टॉल शुरू की है। इसके कारण नीतू चर्चा में बनी हुई हैैं। नीतू ने बताया कि उनके हौसले को देखकर खुद एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता और एमएलसी विजय शिवहरे ने उनकी स्टॉल का शुभारंभ किया। नीतू ने बताया कि वह पराठा बेलती हैैं और उनके सहयोगी इसे सेंकते हैैं। हमारा स्वाद सभी को खूब पसंद आ रहा है।
बहन की हो गई मौत
नीतू ने बताया कि 1992 में उनकी मां गीता देवी के ऊपर उनके परिवार के सदस्य ने तेजाब फेंका था। इस दौरान मैैं और मेरी बहन मां के पास ही थे। हम दोनों भी जख्मी हो गए। काफी समय तक हमारा उपचार नहीं हो सका। जैसे-तैसे दो साल में हम अपना उपचार करा पाए लेकिन मेरी बहन इस दौरान नहीं बच सकी। हादसे में मेरी आंखें जख्मी हो गईं। जैसी काया ईश्वर ने दी थी, अब वैसी काया मेरे पास नहीं रही।
समाज का व्यवहार ऐसा जैसे जीने का अधिकार नहीं
नीतू बताती हैं कि समाज का व्यवहार उन्हें रोजाना बताता था कि अब उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं है। लोगों की इस मानसिकता से हर दिन लड़ीं। कई बार लड़खड़ाई ने बार-बार उन्होंने खुद को ढांढस बंधाया। नीतू ने बताया कि मेरा सपना है कि मैैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊं। दूसरों का सहारा बनूं। अब मैैंने इसकी शुरूआत अपने स्टार्टअप से की है। मैैं इसे और आगे ले जाऊंगी।
नीतू ने बताया कि हादसे के कारण मैैं मंद दृष्टि की शिकार हो गई। इस कारण पढ़ाई नहीं कर पाई। इसके बाद एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए काम करने वाली संस्था शीरोज हैैंगआउट ने उनकी मदद की। उन्हें शीरोज में कुछ नया करने को प्रेरित किया। वहां खाना बनाना सीखा। इसके बाद रोजगार भारती संस्था ने उन्हें कियोस्क अवेलेबल करा दिया। इसका नाम उन्होंने अपनी मां गीता के नाम पर रखा। बचपन में ही मेरे ऊपर एसिड अटैक हो गया। हमेशा से ही कुछ करने की चाह थी। लेकिन अब जाकर गीता की रसोई शुरू की है। इसे और आगे ले जाऊंगी।
- नीतू माहौर, एसिड अटैक सर्वाइवर
नीतू सोसायटी के उन लोगों के लिए मिसाल हैैं। जो सोचते हैं कि वह कमजोर हैैं। हौसला हो तो मुश्किल घड़ी से भी निकला जा सकता है।
- संदीप सिंह, कस्टमर
- मनीष, कस्टमर नीतू की स्टॉल पर काफी टेस्टी फूड है। हाईजीन का भी काफी ख्याल रखा जा रहा है। उनके हौसले को भी सलाम है। उन्हें हम आगे के लिए शुभकामनाएं देते हैैं।
- दिव्या गुप्ता, कस्टमर मेरा फ्रेंड कल यहां पर पराठा खाकर गया था। उसने मुझसे कहा कि मैैं भी ट्राई करूं। मैैं यहां पर नीतू को सपोर्ट करने के लिए भी आई हूं। नीतू के जज्बे को सलाम है।
- हिमानी, कस्टमर