फेक आईडी से एक्टिव मिले 98 सिम कार्ड, तीन अरेस्ट
आगरा (ब्यूरो)। थाना शाहगंज पुलिस टीम ने चैकिंग के समय एक बाइक पर सवार होकर जा रहे तीन आरोपियों को अरेस्ट कर लिया। पूछताछ के बाद पता चला कि वे लोगों से फ्रॉड करते थे। पुलिस ने बताया कि शातिर साइबर फ्रॉड लोगों को पैसों का लालच देकर खाता खुलवा लेते हैं फिर उनका एटीएम कार्ड, चैक बुक व एक्टिवेटेड सिम खुद लेकर साइबर फ्र ॉड के जरिए से पैसे अलग-अलग खातों में भिजवाते थे। आरोपियों के कब्जे से 6 एटीएम कार्ड, 1 आधार कार्ड 98 सिम कार्ड एक्टिवेट और एक बाइक बरामद की है।
ठगी की रकम का करते थे बटवारा
पुलिस टीम के पूछताछ करने पर आरोपियों ने बताया कि वे लोग गैंग के मास्टर माइंड शानू के लिए काम करते हैं, मिले एटीएम कार्ड अलग-अलग लोगों के हैं। जो लोगों को पैसों के लालच में तैयार कर उनसे खाता खुलवाते हैं। इन फर्जी सिम के जरिए से वे सीधे साधे लोगों से बात करके अपने आप को बिजली कर्मी बैंक कर्मी बताकर धोखे से उनका पासवर्ड ओटीपी पूछते थे फिर उनका खाता साफ कर देते थे। शानू लोगों से धोखाधड़ी करके उनके खाते से नेट बैकिंग के जरिए पैसा ट्रांसफर कराता है, इसका हिस्सा सभी को मिल जाता है।
पकड़े गए आरोपी
- शहबाज उर्फ बन्टू पुत्र रियाज मौहम्मद निवासी मौहल्ला सराय थाना फतेहपुर सीकरी
-आबिद पुत्र शहीद निवासी नई बस्ती निजूल की जगह कटघर ईदगाह थाना रकाबगंज
-संजीव त्यागी पुत्र रामवीर निवासी रघुपुरा थाना इरादतनगर
शातिर ठगों से बरामदगी
-एटीएम कार्ड
06
-आधार कार्ड
01
-सिम कार्ड एक्टिवेट
98
-मोटर साइकिल
01 साइबर क्रिमिनल्स जो लोगों को पैसों का लालच देकर फ्रॉड करते थे उनके तीन साथियों को अरेस्ट किया गया है। साथ ही उनके पास से 98 सिम जब्त किए गए हैं, जो एक्टिव थे, एटीएम कार्ड, शातिर सरकारी विभाग का कर्मचारी बनकर लोगों को गुमराह करते थे।
सूरज राय, डीसीपी नगर जोन
ये भी है एक फ्रॉड का तरीका
मैसेज के साथ वह एक फर्जी बिजली अधिकारी का नंबर भी भेज रहे हैं। ठग खुद को बिजली विभाग का कर्मचारी बताते हैं और फिर ग्राहकों को उनके बकाया बिल की जानकारी भी देते हैं। उस नंबर को अगर कोई टू्र-कॉलर पर चेक करता है तो उस पर विद्युत विभाग या यूपीपीसीएस लिखकर आता है। इससे लोगों को यकीन हो जाता है कि वह विभाग का ही कर्मचारी है। कई बार इसके लिए वह लोगों को व्हाट्सएप पर संपर्क करते हैं। यदि कोई शख्स बिजली बिल के भुगतान के लिए तैयार हो जाता है, तो स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड करने के बाद दस रुपए ट्रांसफर करने की बात कहकर क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी ले लेते हैं। इसके बाद खाता खाली कर देते हैं।
सबसे पहले आप खुद और अपने घरवालों को जागरूक बनाएं। दूसरा किसी भी अनजान शख्स से अपना ओटीपी शेयर न करें। मैसेज पर आए लिंक या अनजान फोन नंबर का उपयोग नहीं करें। किसी के कहने पर स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड नहीं करें। यदि आपके पास इस तरह का कोई मैसेज आता है, तो पहले उसके सोर्स की जांच कर लें। किसी भी प्राइवेट अकाउंट में पेमेंट करने से बचें।
सुलतान सिंह, साबइर एक्सपर्ट