ताजनगरी में गुरुवार को न्यूरोलॉजिस्ट्स के महाकुंभ का शुभारंभ होटल जेपी पैलेस में हो गया. न्यूरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया का 70वें अधिवेशन एनएसआईकॉन-2023 में दुनियाभर से एक हजार न्यूरोसर्जन शिरकत कर रहे हैं. गुरुवार को न्यूरोसर्जरी को लेकर आ रहे बदलावों बढ़ती तकनीक पर चर्चा हुई. इसके साथ ही 37 शोधपत्र पढ़े गए.

आगरा (ब्यूरो)। आयोजन अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ। आरसी मिश्रा ने बताया कि 19वीं सदी के पहले चिकित्सा की पढ़ाई फिजीशियन और सर्जन तक ही सीमित थी। अब तकनीक के विकास, सोच और मानव शरीर रचना की बेहतर समझ के कारण इसका विशेषज्ञता में विभाजित होना जरूरी हो गया। विशेषज्ञों ने 20वीं सदी में इसे सुपर स्पेशियलिटीज में विभाजित किया। 21 वीं सदी में एमआरआई, पेट स्कैन और बेहतर रिजॉल्यूशन युक्त सीटी स्कैन हमारे सामने मौजूद हैं। इसके बाद भी सिलसिला थमा नहीं है मेडिकल इंजीनियरिंग और रोबोटिक्स का क्षेत्र संभावनाओं से भरपूर है।


न्यूरोसर्जरी में हुई रोबोट की एंट्री
जापान न्यूरोसर्जिकल सोसायटी के डॉ। अक्यो मोरिता ने कहा कि एक वक्त था जब दिमाग में ट्यूमर होने पर सर्जरी करना मुश्किल था। लेकिन अब न्यूरोसर्जरी में रोबोट की एंट्री हो चुकी है। इससे और अच्छे परिणाम आ सकते हैैं। उन्होंने कहा कि न्यूरोसर्जरी के दौरान नर्व डैमेज भी घातक है। इसलिए इस क्षेत्र में मेडिकल इंजीनियरिंग के साथ रोबोटिक्स की ओर ध्यान जाता है। रोबोटिक सर्जरी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बहुत जरूरी है।

दूरबीन से स्पाइन सर्जरी
सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ। वाईआर यादव ने बताया कि कमर दर्द पांच दिन से ज्यादा रहे और हाथ-पैर सुन्न हो जाएं या झनझनाहट महसूस हो तो देर न करें। यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी दिक्कत हो सकती है। इसमें मिनीमल इनवेसिव स्पाइजन सर्जरी (दूरबीन) से ऑपरेशन किया जाता है। न्यूरोसर्जरी के कुल मामलों में 50 फीसद तक स्पाइन सर्जरी के भी आते हैं। हाथ पैर में कमजोरी, दर्द बना रहना और सुन्नता डिस्क के प्रभावित होने का संकेत है।


इन विषयों पर हुई चर्चा
पहले दिन डॉ। वीपी सिंह, डॉ। के श्रीधर, डॉ। अरविंद अग्रवाल, डॉ। सुमित सिन्हा और डॉ। देबाशीष चौधरी द्वारा कार्यशाला का उद्घाटन और न्यूरोसर्जरी पर लिखी पुस्तक का विमोचन किया गया। इसके बाद हॉल ए, बी और सी में ग्लियोमास, वस्कुलर, एंडोस्कोपी, स्पाइन, हैडेक, स्कल बेस सर्जरी, न्यूरोसाइंस में आधुनिक विकास आदि विषयों पर 37 से अधिक तकनीकी सत्र और कार्यशालाएं हुईं। एक्यूट स्ट्रोक मैनेजमेंट, न्यूरो इंफेक्शन, न्यूरो इंल्फिमेशन, मूवमेंट डिस्आर्डर, न्यूरो रिहेबिलिटेशन, न्यूरो क्रिटिकल केयर, कार्डियोएम्बोलिक स्ट्रोक, केरोटिड आर्टिज स्टेंटिंग अपडेट, कॉम्पलेक्स एन्यूरिज्म अपडेट, सिरदर्द एवं मिर्गी समेत कई विषयों पर चर्चा हुई।

दीप प्रज्वलित कर हुआ उदघाटन
अधिवेशन का उद्घाटन यूपी स्टेट काउंसिल फॉर हायर एजुकेशन के प्रेसिडेंट डॉ। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने किया। इस दौरान आयोजन अध्यक्ष डॉ। आरसी मिश्रा, आयोजन सचिव डॉ। अरविंद कुमार अग्रवाल, डॉ। अक्यो मोरिता, डॉ। वीपी सिंह, डॉ। वाईआर यादव, डॉ। के श्रीधर मौजूद रहे।


न्यूरोलॉजिस्ट का यह सम्मेलन न्यूरोसर्जरी में तकनीकी विकास और भविष्य की संभावनाओं को लेकर रास्ते खोलेगा।
- डॉ। अरविंद यादव, आयोजन सचिव


न्यूरोसर्जरी में रोबोट की एंट्री हो चुकी हैै। मेडिकल क्षेत्र में तकनीकी के जुडऩे से न्यूरोसाइंस की दुनिया विकसित हो रही है।
- डॉ। अक्यो मोरितो, प्रतिनिधि, जापान न्यूरोलॉजिकल सोसायटी


अधिवेशन में देश-विदेश और सार्क देशों के प्रख्यात न्यूरोसर्जन्स और न्यूरोफिजीशिन हिस्सा ले रहे हैं। जापानी विशेषज्ञों का दल भी अपने अनुभव बांट रहे हैैं।
डॉ। आरसी मिश्रा, आयोजन अध्यक्ष

न्यूरोसर्जरी के कुल मामलों में 50 फीसद स्पाइन सर्जरी के भी केस आते हैैं। इनकी दूरबीन से सर्जरी की जाती है। यहा 90 प्रतिशत तक सफल है।
-डॉ। वाईआर यादव, अध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी विभाग, जबलपुर मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive