ताजनगरी में 60 परसेंट से अधिक गर्भवतियां एनीमिया से पीडि़त होती हैं. इसके साथ ही टीन एज गल्र्स भी बड़ी मात्रा में एनीमिक हो रही हैं. इस बात की तस्दीक नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे एनएफएचएस -5 के आंकड़े कर रहे हैैं. महिलाओं में एनीमिक होने का कारण सही पोषण आहार न लेना बताया जा रहा है.

आगरा(ब्यूरो)। 2020-21 में हुए एनएफएचएस-5 के सर्वे के अनुसार आगरा में 15 से 49 वर्ष की 61.8 परसेंट गर्भवती एनीमिया से ग्रसित थीं। वहीं 15 से 49 साल की सभी महिलाओं में 59.4 परसेंट महिलाओं को भी एनीमिया की शिकायत सामने आई। 15 से 19 साल की 61.4 परसेंट लड़कियां भी एनीमिक हैैं। जबकि साल 2015-16 में हुए एनएफएचएस-4 के सर्वे में यह संख्या 46.1 परसेंट थी। एनीमिया होने का सबसे मुख्य और बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी होना है। इसलिए, इससे बचाव के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। सीएमओ डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि आहार में बदलाव ही इस बीमारी से बचाव का सबसे सरल उपाय है। यह बीमारी खून में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन कम होने से होती है। इसलिए, लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज कराएं और डॉक्टर के परामर्श का पालन करें। अन्यथा थोड़ी सी लापरवाही बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। ऐसे में समय पर जांच के लिए अस्पताल जाने के साथ डॉक्टर्स की सलाह पर अमल करना चाहिए।


डॉक्टर से करानी चाहिए जांच
एसीएमओ (आरसीएच) डॉ। संजीव वर्मन ने बताया कि यह समस्या गर्भावस्था में अधिक पाई जाती है। गर्भस्थ शिशु के विकास के चलते एनीमिया होने की संभावना अधिक हो जाती है। इसलिए गर्भवती को गर्भधारण के दौरान लगातार हीमोग्लोबिन समेत अन्य आवश्यक जांच करानी चाहिए साथ ही डॉक्टर के परामर्श का पालन करना चाहिए। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जीवनी मंडी की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ। मेघना शर्मा ने बताया कि एनीमिया के दौरान तुरंत किसी अच्छे डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए और आवश्यक जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि गर्भवती को प्रसव पूर्व 6 माह तक सुबह शाम आयरन की गोलियां दी जाती हैं। इसी तरह से प्रसव के पश्चात भी 6 माह तक आयरन की गोलियां दी जाती हैं। कुल मिलाकर गर्भवती को प्रसव से पहले और प्रसव के बाद में 720 आयरन की गोलियों का सेवन कराया जाता है।

एनीमिया का हो सकता है उपचार
रतनपुरा निवासी 23 वर्षीय गर्भवती निशा ने बताया कि वह छह माह की गर्भवती हैं। पहली प्रसव पूर्व जांच करवाने पर पता चला कि उनमें खून की कमी है और उनका हीमोग्लोबिन का स्तर 5.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो गया। क्षेत्रीय आशा के द्वारा उन्होंने उन्हें जीवनी मंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ। मेघना शर्मा से परामर्श लिया। उन्होंने आयरन सुक्रोज चढ़ाने की सलाह दी। अब तक उन्हें निश्चित समयांतराल पर तीन से पांच आयरन सुक्रोज चढ़ाये जा चुके हैं। इसके साथ ही डॉ। मेघना ने उन्हें आयरन व कैल्शियम की गोलियां देकर नियमित सेवन करने और हरी साग-सब्जियों सहित पांच मेल का आहार लेने की सलाह दी। निशा ने बताया कि पहले उन्हें चक्कर आते थे। लेकिन अब वह समस्या दूर हो गई है। अब कमजोरी महसूस नहीं होती है और न ही चक्कर आते हैं। इसके साथ ही अब उनका हीमोग्लोबिन 8.5 हो गया है।
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यह हैं एनीमिया के लक्षण
थकान होना
कमजोरी फील होना
त्वचा का पीला होना
दिल की धड़कन में बदलाव होना
सांस लेने में तकलीफ होना
चक्कर आना
सीने में दर्द होना
हाथों और पैरों का ठंडा होना
सिरदर्द होना

प्रोटीन युक्त आहार का करें सेवन
डॉ। मेघना ने बताया कि एनीमिया के दौरान प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करें। जैसे - पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, मूंगफली , मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि। प्रोटीन युक्त आहार शरीर के पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। इससे हीमोग्लोबिन जैसी कमी भी दूर होती है। एनीमिया से बचाव के लिए लौह तत्व युक्त (आयरन) चीजों का सेवन करें।
एनीमिया खून में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन कम होने से होता है। इसलिए, लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज कराएं और डॉक्टर के परामर्श का पालन करें।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ

यह समस्या गर्भावस्था में अधिक पाई जाती है। गर्भस्थ शिशु के विकास के चलते एनीमिया होने की संभावना अधिक हो जाती है। इसलिए गर्भवती को गर्भधारण के दौरान अपनी प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराएं।
- डॉ। संजीव वर्मन, एसीएमओ आरसीएच

टीन एज से बच्चियों के खाने पीने पर ध्यान दें। उन्हें हरी-सब्जियों का सेवन कराएं। यदि कमजोरी चक्कर आना जैसे लक्षण हैैं तो हीमोग्लोबिन की जांच जरूर कराएं।
- डॉ। मेघना शर्मा, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, यूपीएचसी जीवनीमंडी


एनएफएचएस-5 के अनुसार एनीमिया के आंकड़े
61.8 परसेंट गर्भवती पाई गईं एनीमिक
59.4 परसेंट अन्य महिलाएं भी एनीमिक
61.4 परसेंट 15 से 19 साल की लड़कियों में भी मिला एनीमिया

Posted By: Inextlive