पांच वर्ष में 1.82 करोड़ के करीब पौधे रोपे गए. सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक संस्थाओं ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई लेकिन फिर भी ताजनगरी में हरियाली बढऩे बजाय सिमटती गई. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के अनुसार आगरा का वन क्षेत्र 262.62 वर्ग किमी था. वर्ष 2019 की तुलना में इस आंकड़े में कोई अंतर नहीं आया जबकि वर्ष 2019 में 28 लाख वर्र्ष 2020 में 38 लाख और वर्ष 2021 में 45 लाख पौधे रोपे गए


आगरा(ब्यूरो)। इस दौरान वन क्षेत्र में एक मीटर का भी इजाफा नहीं हुआ। जीपीएस और आधुनिक सेटेलाइट इमेज के आधार पर किए गए सर्वे में पूरे ताज ट्रिपेजियम जोन में वन क्षेत्र नहीं बढ़ा, केवल झाडिय़ों की संख्या में 0.52 फीसदी का इजाफा हुआ है।

हर वर्ष लाखों की संख्या में रोपे पौधे
फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, देहरादून द्वारा प्रत्येक दो साल में देश के सभी राज्यों व जिलों के फोरेस्ट कवर का ब्यौरा वन स्थिति रिपोर्ट में प्रकाशित किया जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर कार्बन स्टाक व वन आवरण के क्षेत्रफल में बढ़त या घटौती का आंकलन किया जाता है। जिले में पौधरोपण अभियान के अंतर्गत 2018 में 20 लाख, 2019 में 28 लाख , 2020 में 38 लाख, 2021 में 45 लाख और वर्ष 2022 में 51 लाख पौधे लगाए गए। इसके अतिरिक्त समाज सेवी संस्थाओं द्वारा भी हर साल लाखों की संख्या में पौधारोपण का दावा किया जाता है।

टीटीजेड के निर्धारित मानकों में भी पीछे
राष्ट्रीय वन नीति व टीटीजेड में निर्धारित फॉरेस्ट कवर जिले के कुल क्षेत्रफल का 33.3 प्रतिशत होना चाहिए। जिले में फॉरेस्ट कवर का क्षेत्रफल 33 फीसद के सापेक्ष केवल 6.50 फीसद ही है।

न बढ़ा, न घटा
वन स्थिति रिपोर्ट- 2017 में आगरा का कुल फॉरेस्ट कवर 272 वर्ग किमी था एवं झाड़ीदार जंगल 64 वर्ग किमी था। 2019 की रिपोर्ट के अनुसार आगरा का फॉरेस्ट कवर 9.38 वर्ग किमी घटकर 262.62 वर्ग किमी रह गया। झाड़ीदार क्षेत्र बढ़कर 75.14 वर्ग किमी हो गया था। 2021 की रिपोर्ट के अनुसार आगरा के वन आवरण और झाड़ीदार क्षेत्रफल स्थिर बना हुआ है।

कागजों में ही होता है पौधरोपण
पौधरोपण के लिए वन विभाग के साथ अन्य सरकारी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई। सभी ने कागजों में पौधरोपण की रिपोर्ट भेजी, लेकिन हकीकत में गड्ढे खाली दिखे, उनमें ठूंठ भी न नजर आए। अवधपुरी, मारुति एस्टेट रोड, अलबतिया रोड, जीआईसी मैदान, खंदारी चौराहे के पास आईएएस हॉस्टल के सामने, कोठी मीना बाजार मैदान, इनर रिंग रोड, फतेहाबाद रोड पर पौधरोपण करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद ही यहां से पौधे गायब हो जाते हैं।

10 वर्ष में 0.34 फीसदी से घटा वनक्षेत्र
30 दिसंबर 1996 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी में आगरा मंडल के आगरा, फि रोजाबाद, मथुरा अलीगढ़ मंडल के हाथरस, एटा और राजस्थान के भरतपुर जिले का 10,400 वर्ग किमी क्षेत्र आता है। टीटीजेड क्षेत्र में फॉरेस्ट कवर 33 प्रतिशत होना चाहिए। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार साल 2011 में आगरा में हरियाली 6.84 फीसदी थी जो अब 2021 की रिपोर्ट में गिरकर 6.5 फीसदी रह गई। 10 वर्ष में 0.34 फीसदी वन क्षेत्र घटा है 4041 वर्ग क्षेत्रफल में फैले आगरा में 62.68 वर्ग किमी में मध्यम घनत्व वाले वन और 199 वर्ग किमी में ओपन फॉरेस्ट है। बाकी झाडिय़ों का हिस्सा है। आगरा में कुल 262.62 वर्ग किमी में हरियाली पाई गई।

10 साल में 14 किमी जंगल काट दिया
2011 से 2021 के बीच दस साल में आगरा में 14 किमी जंगल में कमी आई है। वन क्षेत्र वर्ष 2011 में 276 किमी से घटकर अब वर्ष 2021 की रिपोर्ट में 262.62 वर्ग किमी रह गया है। इस अवधि में यमुना एक्सप्रेसवे, लखनऊ एक्सप्रेसवे, माल रोड चौड़ीकरण, रेलवे लाइन बिछाने और बिजली परियोजनाओं के साथ आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट आदि में 1.40 लाख पेड़ काट दिए गए जो 100 साल तक पुराने थे।

पौधरोपण की स्थिति
वर्ष पौधरोपण
2018 20 लाख
2019 28 लाख
2020 38 लाख
2021 45 लाख
2022 51 लाख
2023 47.50 लाख टारगेट

साल हरित क्षेत्र किमी
2011 6.84 परसेंट 276.00
2013 6.78 परसेंट 273.00
2015 6.75 परसेंट 273.00
2017 6.73 परसेंट 272.00
2019 6.50 परसेंट 262.60
2021 6.50 परसेंट 262.62

पिछले चार से पांच साल में फॉरेस्ट कवर 10 से 12 किमी घट गया है। विभिन्न प्रोजेक्ट के लिए पेड़ लगातार कटते जा रहे हैं। लेकिन इसके लिए जो पौधे लगते हैं। वह देखभाल के अभाव में दम तोड़ देते हैं। वन विभाग या किसी अन्य सरकारी विभाग की ओर से पौधरोपण किया जाता है तो गड्ढा खोदकर या फिर पौधा लगाकर छोड़ दिया जाता है। न तो उसमें पानी देने और न ही उसके देखभाल की कोई व्यवस्था की जाती है। सिर्फ पौधे लगाने का ही अभियान नहीं चलना चाहिए, बल्कि जो पौधे लगाए हैं, उनकी देखरेख के लिए भी अभियान चलाए जाने की जरूरत है।
-डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट

सरकारी विभाग की ओर से पौधरोपण के नाम पर अधिकतर दिखावा किया जाता है। कई जगह तो देखा जाता है कि सिर्फ गड्ढे खोदकर छोड़ दिए जाते हैं, उनमें पौधे तक भी नहीं लगाए जाते। कुछ वर्ष पूर्व में यमुना में ही पौधे लगा दिए गए थे। नदी का जलस्तर बढऩे पर सभी पौधे बह गए थे। पौधरोपण को लेकर सरकारी विभागों को गंभीर होना पड़ेगा। तभी इसका असर दिखेगा।
ब्रज खंडेलवाल, पर्यावरणविद्

इस रिपोर्ट में जो डाटा होता है कैटेगराइज्ड इमेज के आधार पर होता है। पिछले दो रिपोर्ट में कमी नहीं आई है। आगरा में फॉरेस्ट कवर स्टेबल रहा है। पौधरोपण अभियान का रिफलेक्शन नजर आने में 8 से 10 वर्ष का समय लगता है।
आदर्श कुमार, डीएफओ आगरा

Posted By: Inextlive