'माता पिता को दे वनवास खुद को आज्ञाकारी लिखÓ....महेंद्र प्रताप चांद का ये शेर बढ़ते ओल्ड एज होम के कल्चर को बयां करता है. बीते दो दशकों में यह कल्चर तेजी से बढ़ा है. बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को घर से बाहर निकाल देते हैैं और खुद को बेचारा साबित करते हैैं. लेकिन पेरेंट्स का बच्चों के प्रति प्यार कम नहीं होता है.

आगरा। वे आज भी अपने बच्चों की तरक्की के लिए भागमभाग कर रहे हैैं। एक ओर ओल्ड एज होम में बूढ़े मां-बाप की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर छोटे बच्चों के पेरेंट्स भागमभाग भरी जिंदगी में उनका फ्यूचर सिक्योर करने में लगे हुए हैं। एत्माद्दौला 70 वर्षीय निवासी राजेंद्र सिंह एक कॉटन मिल में काम करते थे। बेटे को पढ़ाया-लिखाया और उसका कॅरियर बनाया। उसकी शादी की। इसके बाद में बेटे की पत्नी ने बार-बार झगड़ा करना शुरू कर दिया। परिस्थितियां ऐसी हुईं कि उन्हें घर छोडऩा पड़ा। अब वे सिकंदरा क्षेत्र स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में रह रहे हैैं। राजेंद्र की सिंह पत्नी ओमवती ने बताया कि उनका बेटा तो ठीक है। लेकिन बहू खराब है। बेटा हमसे मिलने के लिए आता है। वो कहता है कि वो हमें जल्दी ही घर ले जाएगा। राजेंद्र ने बताया कि छह साल हो गए हैैं, लेकिन बेटा घर नहीं ले जाता।

हर साल बढ़ रही संख्या
राम लाल वृद्धाश्रम के व्यवस्थापक पंकज शर्मा बताते हैैं कि 2009 में जब वृद्धाश्रम की शुरूआत हुई तो इतने बुजुर्ग नहीं थे। लेकिन अब हर महीने 20 से 25 बुजुर्ग हमारे यहां आते हैैं। इनमें से 10 से 15 लोगों का समझौता करा दिया जाता है। लेकिन लगभग 10 लोग यहीं रह जाते हैैं। वे बताते हैैं कि वर्तमान में वृद्धाश्रम में 316 वृद्ध रह रहे हैैं।

बच्चों के फ्यूचर के लिए दिन रात मेहनत
नगला पदी निवासी अमित सक्सेना बताते हैैं कि उनका एक बेटा है। उसके बेहतर फ्यूचर के लिए उन्होंने खूब मेहनत की और उसकी स्कूलिंग से लेकर हायर एजुकेशन तक शिक्षा दिला दी है। अब बेटा एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रहा है। अमित बताते हैैं कि अब हमारे जीवन का उद्देश्य पूरा हो गया है। रावतपाड़ा तिवारी गली निवासी अंजुल शर्मा टीचर हैैं। वे अपनी बेटी को आईएएस बनाना चाहती हैैं। वे इसके लिए अपनी बेटी को सभी सहूलियत देने का प्रयास करती हैैं। वे कहती हैैं कि उनका एक ही मोटिव है कि वे अपनी बेटी का फ्यूचर सिक्योर कर दें।


बेटी की शादी के बाद बहू झगड़ा करने लग गईं। इस कारण वृद्धाश्रम में रह रहे हैैं.बेटा मिलने आता हैै और वापस घर ले जाने का आश्वासन देता है।
-राजेंद्र, वृद्ध

हमारा अपने बच्चों का भविष्य बनाना ही उद्देश्य है। यदि बच्चो का फ्यूचर सिक्योर हो जाएगा। यही हमारे लिए अचीवमेंट है
-अंजुल शर्मा, टीचर

वृद्धाश्रम में साल दर साल बुजुर्गों के आने की संख्या बढ़ रही है। हर माह 25 से 30 बुजुर्ग आते हैैं।
-पंकज शर्मा, व्यवस्थापक, रामलाल वृद्धाश्रम

Posted By: Inextlive